Sunday, September 8, 2024
धार्मिकमनोरंजन

Ramayan Released in 1987 : क्या आपको पता है कि 1987 में आई रामायण के कलाकारों में किसको हुआ था नफा और किसको हुआ था नुकसान

अरुण गोविल को लोग आज भी भगवान की नजरों से देखते हैं।लोग उनमें आज भी भगवान राम की छवि को ढूंढते हैं और बिल्कुल उन्हें ईश्वर जैसा सम्मान भी देते हैं। रामानंद सागर की रामायण में काम करने के बाद उनके प्रोफेशनल लाइफ में भी कई ज्यादा फायदे और नुकसान हुए।अरुण गोविल ने अब इन नुकसान और नफा को गिनवाया है आईए जानते हैं क्या कहा उन्होंने ..

आनंद सागर की रामायण में राम की भूमिका निभाकर घर-घर फेमस हुए अरुण गोविल को उनकी को स्टार दीपिका चिखलिया के साथ अयोध्या के भव्य कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया था।साल 1987 में टीवी पर प्रसारित हुई रामायण के राम सीता को लोगों ने इतना प्यार दिया कि लोग उन्हें भगवान मानने लगे।

500 साल के इंतजार के बाद अब भगवान राम फिर से देश के गौरव संस्कृति की पहचान और स्वाभिमान बनकर आए हैं। उन्होंने 37 साल पहले निभाई अपने इस किरदार से हुए नुकसान के बारे में भी बताया।

See also  Badki Bahu Chutki Bahu OTT Released : काजल राघवानी और रानी चटर्जी की फिल्म बड़की बहू छोटकी बहू OTT पर हो गई है रिलीज... 

लोग अरुण गोविल को भगवान राम के बराबर सम्मान देते हैं। रामानंद सागर की रामायण के बाद उनके प्रोफेशनल लाइफ में कई ज्यादा बदलाव हुए। उन्होंने क्या कहा चलिए आपको बताते हैं..
अपने एक इंटरव्यू में अरुण गोविल ने कहा कि भगवान राम हमारे देश के गौरव संस्कृति और स्वाभिमान की पहचान है।

भगवान राम के चरित्र में साहस, गंभीरता, विचारशीलता बड़ों को दिया जाने वाला सम्मान सब कुछ है। उन्होंने यह भी बताया कि भगवान राम के किरदार के लिए रामानंद सागर की वह पहली पसंद नहीं थे। पहले उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था। उन्होंने रामानंद सागर से कहा कि मैं यह भगवान राम का किरदार निभाना चाहता हूं लेकिन मुझे रिजेक्ट कर दिया गया और यह भूमिका किसी और को ऑफर की गई लेकिन बाद में मुझे इस भूमिका के लिए वापस बुला लिया गया।

See also  अगर आप भी देखना चाहते हैं आर्टिकल 370 तो मिल रहा है स्पेशल ऑफर, जाने कब और कैसे बुक कर पाएंगे अपनी सीट

उन्होंने बताया कि रामायण अरुण गोविल को प्यार और पहचान मिली लेकिन इसके बाद उन्हें और किरदार मिलने कम होंगे क्योंकि फिल्म मेकर्स नहीं चाहते थे कि वह किसी और तरह की भूमिका में नजर आए अरुण गोविल ने कहा कि किसी अन्य किरदार ने उन्हें इस स्तर का सम्मान नहीं दिलाया था।

भगवान ‘राम’ के रोल पर बात करते हुए अरुण गोविल ने कहा, ‘प्रोफेशनल लाइफ में इसके (रामायण) कई फायदे और नुकसान थे. उस वक्त मैं फिल्मों में अच्छा काम कर रहा था, लेकिन इसके बाद मैं फिल्मों में काम नहीं कर पाया. उस वक्त मुझे लगा कि यह मेरे लिए घाटा हो गया है, लेकिन अब अहसास होता है कि अगर मैंने 500 फिल्में भी की होतीं, तब भी मुझे जो प्यार और सम्मान मिलता है वह नहीं मिल पाता.’ उन्होंने कह कि लोग मुझे आज कहीं भी देखते हैं तो कहते हैं. ‘हमारे राम तो आप ही हैं.’

See also  तृषाकर मधु के mms का वीडियो वायरल होने से पहले ही, उसका वीडियो 180 मिलियन से भी ज्यादा व्यू था
Ramayan Released in 1987
क्या आपको पता है कि 1987 में आई रामायण के कलाकारों में किसको हुआ था नफा और किसको हुआ था नुकसान

वही रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर ने राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर यह एक ऐतिहासिक दिन बताया। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया। प्रेम सागर ने कहा कि वह बाद में मंदिर जाएंगे उन्होंने यह भी बताया कि रामायण का निर्माण ‘ईश्वरीय हस्तक्षेप’ से पूरा हुआ.

उन्होंने कहा कि अगर कोई दैवीय हस्तक्षेप नहीं होता, तो ‘रामायण’ नहीं बन पाती. 16 जनवरी, 1987 को ‘रामायण’ को हरी झंडी दी गई और 25 जनवरी, 1987 को इसे प्रसारित किया जाना था. स्टूडियो की व्यवस्था करनी पड़ी, अभिनेताओं का चयन किया गया, लेकिन कुछ भी तैयार नहीं था. हालांकि, ‘रामायण’ हर हफ्ते बिना किसी समस्या के प्रसारित हुई. आपको बता दें कि रामानंद सागर एक फिल्म निर्देशक थे, जिनको ‘आंखें’, ‘बगावत’ और ‘प्रेम बंधन’ जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है.