‘जिप्सी में बैठे पुलिसकर्मी ने की थी दगाबाजी…’, Manipur में महिलाओं से दरिंदगी मामले में CBI ने खोला कच्चा चिट्ठा

cbi in manipur case

Manipur : मणिपुर में कूकी-जोमी समुदाय की दो महिलाओं को पुलिसकर्मियों ने ही कथित तौर पर उस भीड़ के हवाले कर दिया था जिसने उन्हें बिना कपड़ों के घुमाया था. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) के आरोपपत्र में यह जानकारी दी गई है. बता दें, कि CBI के आरोपपत्र में कहा गया है, कि कांगपोकपी जिले में इन महिलाओं ने पुलिसकर्मियों के सरकारी वाहन (जिप्सी) में जगह मांगी थी, लेकिन उन्होंने दोनों महिलाओं को करीब 1000 मेइती दंगाइयों की भीड़ को सौंप दिया. इसमें कहा गया है, कि इसके बाद दोनों महिलाओं को बिना कपड़ों के घुमाया गया था. यह घटना राज्य में जातीय हिंसा के दौरान की है. 

पुलिसकर्मियों ने नहीं की कोई मदद 

आरोपपत्र का डिटेल ब्यौरा देते हुए अधिकारियों ने कहा कि पीड़ित महिलाओं में से एक करगिल युद्ध में शामिल सैनिक की पत्नी थी. अधिकारियों ने बताया कि महिलाओं ने पुलिसकर्मियों से उन्हें वाहन से सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए कहा था, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उनसे कहा कि उनके पास वाहन की चाबी नहीं है और उन्होंने कोई मदद नहीं की. 

See also  B Chandrakala : यूपी की इस लेडी सिंघम आईएएस अधिकारी का हुआ तबादला, योगी सरकार ने दिया आदेश

मणिपुर में पिछले साल चार मई की घटना के लगभग दो महीने बाद जुलाई में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें देखा जा सकता था कि दो महिलाएं पुरुषों की भीड़ से घिरी हैं और उन्हें बिना कपड़ों के घुमाया जा रहा है.

CBI ने पिछले साल 16 अक्टूबर को गुवाहाटी में विशेष न्यायाधीश, CBI अदालत के समक्ष छह आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया, इसमें कहा गया है, कि एके राइफल, एसएलआर, इंसास और 303 राइफल जैसे हथियार से लैस लगभग 900-1,000 लोगों की भीड़ से बचने के लिए दोनों महिलाएं भाग रही थीं. बताया गया कि एक भीड़ सैकुल थाने से लगभग 68 किमी दक्षिण में कांगपोकपी जिले में उनके गांव में जबरदस्ती घुस गई थी.

भीड़ से बचने के लिए महिलाएं अन्य पीड़ितों के साथ जंगल में भाग गईं, लेकिन दंगाइयों ने उन्हें देख लिया. अधिकारियों ने बताया कि भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने महिलाओं को मदद मांगने के लिए सड़क किनारे खड़े पुलिस वाहन के पास जाने के लिए कहा, दोनों महिलाएं पुलिस वाहन में घुसने में कामयाब हो गईं जिसमें दो पुलिसकर्मी और चालक पहले से बैठे थे, जबकि तीन-चार पुलिसकर्मी वाहन के बाहर थे.

See also  Loksabha Result 2024 : NDA की जीत पर Nitish Kumar का बड़ा बयान, मैसेज पहुंचा दिल्ली... 

पीड़ितों में शामिल एक पुरुष भी वाहन के अंदर जाने में कामयाब रहा और वह चालक से उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए विनती करता रहा लेकिन उसे भी बताया गया कि ‘चाबी’ नहीं है. पीड़ितों में से एक के पति ने असम रेजिमेंट के सूबेदार के रूप में भारतीय सेना में काम किया था. CBI  का आरोप है, कि पुलिस ने वाहन में बैठे व्यक्ति के पिता को भी भीड़ के हमले से बचाने में मदद नहीं की. बाद में, चालक ने वाहन को ले जाकर करीब 1,000 लोगों की भीड़ के सामने रोक दिया.

पीड़ितों ने पुलिसकर्मियों से उन्हें सुरक्षित निकालने की गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने कोई मदद नहीं की. जांच एजेंसी ने कहा कि भीड़ ने उस व्यक्ति के पिता की पहले ही हत्या कर दी थी जो दो महिलाओं के साथ गाड़ी में बैठा था. पुलिसकर्मी पीड़ितों को हिंसक भीड़ के हवाले कर वहां से चले गए. आरोप पत्र में कहा गया है, कि दंगाइयों ने महिलाओं को बाहर खींच लिया और उनका यौन उत्पीड़न करने से पहले उन्हें बीना कपड़ कर घुमाया.

See also  बॉलीवुड सिंगर अनुराधा पौडवाल चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुईं

CBI ने हुइरेम हेरोदास मेइती और पांच अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है और एक किशोर के खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज की है. मणिपुर पुलिस ने हेरोदास को जुलाई में गिरफ्तार किया था. CBI  ने कहा है, कि आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें सामूहिक बलात्कार, हत्या, एक महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना और आपराधिक साजिश से संबंधित धाराएं शामिल हैं. 

Source