Friday, October 18, 2024
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नेगेटिव रोल निभाकर मिली पहचान, 1989 में ऋषि कपूर को दी कड़ी टक्कर, 1 फिल्म में छीन लिया था राजेश खन्ना का किरदार

विनोद खन्ना बॉलीवुड के एक दिग्गज अभिनेता और राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने 1970 और 1980 के दशक में हिंदी सिनेमा पर अपनी दमदार एक्टिंग और स्क्रीन प्रजेंस से दर्शकों का दिल जीता। उनकी प्रमुख फिल्मों में “मेरा गाँव मेरा देश,” “अमर अकबर एंथनी,” “कुर्बानी,” और “दयावान” शामिल हैं। विनोद खन्ना ने अपने करियर की शुरुआत 1968 में फिल्म “मन का मीत” से की थी, और जल्द ही वह सबसे प्रसिद्ध अभिनेताओं में से एक बन गए।

उन्होंने एक समय पर अध्यात्म की ओर झुकाव रखते हुए ओशो के अनुयायी बनकर फिल्म इंडस्ट्री से दूर चले गए थे। हालांकि, कुछ समय बाद उन्होंने फिल्मों में वापसी की और सफलतापूर्वक फिर से अपना करियर स्थापित किया। उनके करियर का एक और महत्वपूर्ण पहलू उनकी राजनीतिक यात्रा थी। उन्होंने 1997 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ राजनीति में कदम रखा और पंजाब के गुरदासपुर से सांसद भी रहे।

विनोद खन्ना का 2017 में निधन हुआ, लेकिन उनके योगदान और प्रभाव आज भी भारतीय सिनेमा में जीवित हैं।

विनोद खन्ना का बचपन

विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर 1946 को पंजाब के गुरदासपुर में हुआ था। उनका बचपन एक साधारण परिवार में गुजरा। उनके पिता, अमरनाथ खन्ना, एक उद्योगपति थे और परिवार का जीवन अपेक्षाकृत स्थिर था।

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विनोद खन्ना ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंजाब के एक स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने 1964 में मुंबई का रुख किया, जहाँ उन्होंने सिडेनहम कॉलेज से अपनी उच्च शिक्षा पूरी की।

बचपन से ही विनोद को अभिनय में रुचि थी। कॉलेज के दिनों में, उन्होंने कई नाटकों में भाग लिया और धीरे-धीरे उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश करने का निर्णय लिया। विनोद खन्ना का करियर तब शुरू हुआ जब उन्होंने 1968 में “मन का मीत” फिल्म में एक सहायक भूमिका निभाई।

उनकी मेहनत और प्रतिभा ने उन्हें जल्द ही सिनेमा की दुनिया में एक पहचान दिलाई। उनका व्यक्तित्व और शैली ने उन्हें दर्शकों का प्रिय बना दिया।

विनोद खन्ना का कैरियर

विनोद खन्ना का करियर भारतीय सिनेमा में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली यात्रा रहा है। उनका फिल्मी करियर 1968 में शुरू हुआ जब उन्होंने फिल्म “मन का मीत” में एक सहायक भूमिका निभाई। इसके बाद उन्होंने कई प्रमुख फिल्मों में काम किया, जिसमें “खुदा गवाह,” “कुली,” “महाकाल,” और “जमाई राजा” शामिल हैं।

करियर की प्रमुख बातें

  1. प्रमुख भूमिकाएं: विनोद खन्ना ने 1970 और 1980 के दशक में कई सफल फिल्में कीं। उनकी शैली और करिश्मा ने उन्हें बड़े पर्दे पर एक पहचान दिलाई। उन्होंने न केवल रोमांस बल्कि एक्शन और ड्रामा जैसी विभिन्न शैलियों में काम किया।
  2. राजनीतिक करियर: 1997 में, विनोद खन्ना ने भारतीय राजनीति में कदम रखा और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य बने। वे पंजाब के गुरदासपुर से सांसद चुने गए। उन्होंने राजनीति में भी सफलता हासिल की, जिससे उनकी पहचान और बढ़ी।
  3. लौटने का समय: राजनीति में सक्रिय रहने के बाद, विनोद खन्ना ने 2000 के दशक में फिल्म उद्योग में वापसी की। उन्होंने फिल्म “बागबान” में अमिताभ बच्चन के साथ काम किया, जिसने उन्हें फिर से युवा दर्शकों के बीच लोकप्रियता दिलाई।
  4. अंतिम फिल्में: उनकी अंतिम फिल्म “द जर्नी ऑफ इंडिया” थी, जो 2017 में रिलीज हुई। विनोद खन्ना ने अपने करियर के दौरान 146 से अधिक फिल्मों में काम किया और उन्हें कई पुरस्कार भी मिले।
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विनोद खन्ना का फिल्मी करियर न केवल उनके अभिनय कौशल के लिए बल्कि उनके व्यक्तित्व और शैली के लिए भी याद किया जाएगा। उनके योगदान ने भारतीय सिनेमा को समृद्ध किया है।

विनोद खन्ना का परिवार

विनोद खन्ना का परिवार भारतीय फिल्म उद्योग में काफी जाना-पहचाना है। उनकी पत्नी का नाम गौरी खन्ना है, और उनके दो बेटे और एक बेटी हैं।

परिवार के सदस्य:

  • गौरी खन्ना: विनोद खन्ना की पत्नी, जो उनके साथ कई वर्षों से हैं। उन्होंने 1971 में शादी की थी।
  • बेटे:
  • अक्षय खन्ना: वह भी एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं और उन्होंने कई सफल फिल्मों में काम किया है।
  • साक्षी खन्ना: विनोद खन्ना के छोटे बेटे, जिन्होंने अभिनय में अपने करियर की शुरुआत की है।
  • बेटी:
  • श्रद्धा खन्ना: विनोद खन्ना की बेटी, जो एक प्रोडक्शन हाउस में काम करती हैं।
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विनोद खन्ना के परिवार में अन्य रिश्तेदार भी हैं जो फिल्म उद्योग में सक्रिय हैं, जिससे उनका परिवार इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नाम बन गया है।