Friday, October 18, 2024
Ashok Kumar birth anniversary
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अशोक कुमार (असली नाम: कुमुदलाल गांगुली) भारतीय सिनेमा के प्रारंभिक दौर के एक प्रमुख अभिनेता, निर्माता और निर्देशक थे। उनका जन्म 13 अक्टूबर 1911 को हुआ था और वे भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टारों में से एक माने जाते हैं। उन्हें भारतीय सिनेमा में उनके बहुमूल्य योगदान के लिए व्यापक रूप से सराहा गया है।

करियर

अशोक कुमार ने अपने करियर की शुरुआत 1936 में फिल्म “जीवन नैया” से की। वे 1940 और 1950 के दशक के दौरान बेहद लोकप्रिय हुए और उन्होंने कई यादगार भूमिकाएँ निभाईं। उनकी प्रसिद्ध फिल्मों में “किस्मत” (1943), जो उस समय की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक थी, के अलावा “चलती का नाम गाड़ी”, “आशिर्वाद”, और “बांदिनी” जैसी क्लासिक फिल्में शामिल हैं।

अशोक कुमार न केवल अपने समय के मशहूर अभिनेता थे, बल्कि एक कुशल गायक और फिल्म निर्माता भी थे। 1968 में, उन्हें फिल्म “आशीर्वाद” के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त हुआ, जिसमें उनके अभिनय को काफी सराहा गया।

परिवार

अशोक कुमार का जन्म एक बंगाली परिवार में हुआ था। उनके दो छोटे भाई भी प्रसिद्ध अभिनेता बने:

  • किशोर कुमार: महान गायक, अभिनेता और संगीतकार
  • अनूप कुमार: एक्टर

उनके परिवार का भारतीय फिल्म उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। किशोर कुमार भारतीय सिनेमा के सबसे मशहूर गायकों में से एक रहे हैं, और अनूप कुमार ने भी फिल्मों में अच्छा काम किया।

सम्मान

अशोक कुमार को उनके उत्कृष्ट करियर के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले, जिनमें 1988 में मिला दादा साहेब फाल्के पुरस्कार भी शामिल है, जो भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान है। इसके अलावा, उन्हें 1999 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया।

उनकी फिल्में और योगदान भारतीय सिनेमा के स्वर्ण युग का हिस्सा मानी जाती हैं, और वे आज भी भारतीय फिल्म उद्योग के महानतम कलाकारों में से एक के रूप में याद किए जाते हैं।

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Ashok Kumar birth anniversary

1936 में अशोक कुमार ने की थी शुरुआत

हाँ, अशोक कुमार ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत 1936 में की थी। उनकी पहली फिल्म “जीवन नैया” थी, जो बॉम्बे टॉकीज द्वारा निर्मित की गई थी। इस फिल्म में अशोक कुमार की भूमिका एक संयोग के तहत मिली थी, क्योंकि इस फिल्म के मूल अभिनेता नजमुल हसन के साथ कुछ विवाद हो गया था, और इसके बाद अशोक कुमार को मौका मिला।

हालांकि अशोक कुमार फिल्म इंडस्ट्री में पहले से तकनीकी रूप से जुड़े थे और बॉम्बे टॉकीज में लैब असिस्टेंट के रूप में काम करते थे, लेकिन किस्मत ने उन्हें अभिनेता बना दिया। उनकी यह पहली फिल्म एक अच्छी शुरुआत साबित हुई और इसके बाद उन्होंने कई सफल फिल्में कीं, जिससे वे भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टारों में से एक बन गए।

“जीवन नैया” के बाद 1937 में आई फिल्म “अछूत कन्या” ने अशोक कुमार को एक बड़ी पहचान दिलाई, जिसमें उनकी जोड़ी अभिनेत्री देविका रानी के साथ खूब सराही गई।

हार पहनाते हुए अशोक कुमार के कांपने लगे थे हाथ

अशोक कुमार के जीवन का यह एक दिलचस्प और भावनात्मक किस्सा है। यह घटना तब हुई थी जब उन्हें फिल्म “अछूत कन्या” में अपनी सह-कलाकार देविका रानी के साथ एक महत्वपूर्ण दृश्य में हार पहनाने का मौका मिला।

जब उन्होंने देविका रानी को हार पहनाने के लिए अपने हाथ बढ़ाए, तो वह इतने भावुक हो गए कि उनके हाथ कांपने लगे। यह स्थिति उनके लिए बेहद खास और रोमांटिक थी, और इससे यह स्पष्ट होता है कि वे अपने अभिनय में कितनी गहराई और सच्चाई लाने की कोशिश कर रहे थे।

यह घटना न केवल उनकी संवेदनशीलता को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि कैसे एक अभिनेता अपनी भूमिका में पूरी तरह से डूब जाता है और दर्शकों के दिलों को छूने में सफल होता है। अशोक कुमार की यह विशेषता उन्हें एक महान अभिनेता के रूप में स्थापित करती है।

मां ने फिल्मों में कदम रखने से पहले दी थी अशोक कुमार को सख्त हिदायत

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अशोक कुमार की मां, जिन्होंने उनके करियर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, ने उन्हें फिल्मों में कदम रखने से पहले कुछ सख्त हिदायतें दी थीं।

सख्त हिदायतें:

  1. संजीदगी: उनकी मां चाहती थीं कि वे अपने करियर को गंभीरता से लें और इसे एक पेशेवर तरीके से आगे बढ़ाएं। उन्हें सलाह दी गई थी कि फिल्म उद्योग में आने से पहले अपने लक्ष्यों को स्पष्ट करना चाहिए।
  2. आदर्शों का पालन: उन्होंने अपने बेटे को सलाह दी कि वह अपने परिवार और समाज के प्रति ईमानदार रहें। उन्हें यह याद दिलाया गया कि एक अभिनेता के रूप में, उनकी छवि और व्यवहार का समाज पर असर पड़ता है।
  3. धैर्य और समर्पण: उनकी मां ने उन्हें सिखाया कि इस उद्योग में सफलता के लिए धैर्य और समर्पण आवश्यक हैं। यह न केवल उन्हें प्रेरित करने के लिए था, बल्कि फिल्म उद्योग की कठिनाइयों को समझने के लिए भी।

इन हिदायतों ने अशोक कुमार को अपने करियर में सच्चाई और ईमानदारी के साथ आगे बढ़ने में मदद की। उनकी मां के द्वारा दिए गए ये मूल्य उनके जीवन और करियर में बहुत महत्वपूर्ण रहे, और यही कारण था कि उन्होंने अपने करियर में सफलता प्राप्त की।

अशोक कुमार ने अपने परिवार के मूल्यों को अपने करियर में हमेशा बनाए रखा, और वे हमेशा अपने दर्शकों के लिए एक सकारात्मक उदाहरण बने रहे।

इस फिल्म से मिली अशोक कुमार को लोकप्रियता

अशोक कुमार को वास्तव में लोकप्रियता “अछूत कन्या” (1936) फिल्म से मिली। इस फिल्म में उन्होंने अपनी सह-कलाकार देविका रानी के साथ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

“अछूत कन्या” के बारे में:

  • कथानक: फिल्म का कथानक जातिगत भेदभाव और प्रेम के मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमता है। अशोक कुमार ने एक अछूत लड़के का किरदार निभाया था, जबकि देविका रानी ने एक उच्च जाति की लड़की की भूमिका निभाई थी।
  • प्रस्तुति: यह फिल्म उस समय के लिए एक महत्वपूर्ण विषय पर आधारित थी और इसे दर्शकों ने बहुत पसंद किया।
  • सफलता: “अछूत कन्या” ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफलता प्राप्त की, बल्कि यह एक सामाजिक मुद्दे पर आधारित होने के कारण भी चर्चा का विषय बनी।
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इस फिल्म के माध्यम से अशोक कुमार ने अपनी अभिनय क्षमताओं को साबित किया और वे भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टारों में से एक बन गए। इसके बाद उन्होंने कई सफल फिल्मों में काम किया, जिसने उन्हें और भी अधिक प्रसिद्धि दिलाई।

शादी के लिए बिन बताए ले गए थे कलकत्ता

अशोक कुमार की शादी को लेकर एक दिलचस्प कहानी है। उनकी शादी श्रीमती रुमा गांगुली से हुई, जो उनकी पहली प्रेमिका थीं। कहा जाता है कि अशोक कुमार ने शादी के लिए बिना बताएं उन्हें कलकत्ता ले जाने का फैसला किया था।

घटना का विवरण:

  • शादी की योजना: अशोक कुमार ने अपनी मां के कहने पर शादी करने का निर्णय लिया। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि वह अपनी प्रेमिका को कलकत्ता ले जा रहे हैं।
  • पारिवारिक समर्थन: इस योजना में उनकी मां ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपने बेटे को यह सलाह दी कि अगर वह रुमा के साथ अपने रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहता है, तो उसे शादी करनी चाहिए।
  • शादी का समारोह: अशोक कुमार और रुमा की शादी एक साधारण समारोह में हुई, जिसमें परिवार के करीबी सदस्य शामिल हुए।

यह शादी उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ थी, और उन्होंने अपने परिवार के साथ अपने जीवन के इस नए अध्याय को शुरू किया। अशोक कुमार ने अपने परिवार को हमेशा प्राथमिकता दी और शादी के बाद भी अपने परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाते रहे।