Ahmedabad Plane Crash: कहीं ये पटना की मनीषा थापा तो नहीं, प्लेन के पिछले हिस्से में चिपकी मिली एक एयर होस्टेस की बॉडी
अहमदाबाद विमान हादसे के मलबे से निकल रही कहानियाँ दिल दहला देने वाली हैं। हादसे के बाद जब बचाव दल ने विमान के पिछले हिस्से की जांच की, तो वहां एक एयर होस्टेस की जली हुई बॉडी पूरी तरह सीट से चिपकी हुई हालत में मिली। अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि यह शव पटना की मनीषा थापा का हो सकता है, जो एयर इंडिया की फ्लाइट में बतौर क्रू मेंबर ड्यूटी पर थीं।
कौन हैं मनीषा थापा?
- निवास: पटना, बिहार
- उम्र: लगभग 26 साल
- पोस्टिंग: एयर इंडिया के अहमदाबाद-बेंगलुरु रूट पर
- अंतिम कॉल: हादसे से कुछ घंटे पहले उन्होंने अपनी मां से वीडियो कॉल की थी
शव की पहचान क्यों मुश्किल है?
- शव बुरी तरह झुलस चुका है
- क्रू यूनिफॉर्म का हिस्सा और ID बैज का जला हुआ हिस्सा पास मिला
बचाव टीम की रिपोर्ट:
“ऐसा लग रहा था कि एयर होस्टेस ने आख़िरी वक्त तक यात्रियों को बचाने की कोशिश की थी। वह सीट बेल्ट से बंधी थी।”
DNA पहचान प्रक्रिया (DNA Identification Process) किसी अज्ञात शव या जले हुए अवशेषों की शिनाख्त करने का सबसे विश्वसनीय और वैज्ञानिक तरीका है। विमान हादसों जैसे मामलों में, जब शरीर पहचानने योग्य नहीं रहता, तब यही प्रक्रिया अंतिम सत्यापन के रूप में इस्तेमाल की जाती है।
🔬 DNA पहचान प्रक्रिया के मुख्य चरण:
1. सैंपल कलेक्शन (Sample Collection)
- शव से हड्डी, दांत, त्वचा, बाल या खून का नमूना लिया जाता है।
- मृतक के परिवार से भी सैलिवा या ब्लड सैंपल लिया जाता है (माता-पिता, भाई-बहन, बच्चे आदि से)।
2. DNA Extraction (डीएनए निकालना)
- सैंपल से विशेष लैब में DNA को अलग किया जाता है।
3. DNA प्रोफाइलिंग (Profiling)
- DNA के खास मार्कर की मदद से एक यूनिक ‘जैविक पहचान’ तैयार की जाती है।
- इसे DNA फिंगरप्रिंट भी कहा जाता है।
4. मैचिंग (Matching Process)
- शव से निकाले गए DNA की तुलना परिवार के सदस्यों या मेडिकल रिकॉर्ड से की जाती है।
- अगर 16 में से 13 या उससे ज्यादा मार्कर मैच करते हैं, तो शिनाख्त की पुष्टि मानी जाती है।
5. रिपोर्ट और प्रमाणन
- मैच होने पर फॉरेंसिक टीम पुष्टि करती है कि शव किसका है।
- रिपोर्ट कोर्ट या प्रशासन को सौंप दी जाती है, ताकि अंतिम संस्कार या कानूनी प्रक्रिया पूरी की जा सके।
⏳ कितना समय लगता है?
- अगर सैंपल जला हुआ या डैमेज हो, तो और अधिक समय भी लग सकता है।
कहां होती है प्रक्रिया?
भारत में प्रमुख फॉरेंसिक लैब (FSL) जैसे:
- CFSL (Central Forensic Science Laboratory)
- AIIMS Forensic Department
- राज्य स्तरीय FSL लैब्स
एयरक्राफ्ट क्रू मेंबर्स (Air Hostess / Flight Attendant) का ट्रेनिंग प्रोटोकॉल बेहद सख्त और मानकीकृत होता है, ताकि वे किसी भी आपात स्थिति — जैसे प्लेन क्रैश, आग लगना, टेक्निकल फेलियर या पैसेंजर इमरजेंसी — को प्रोफेशनल ढंग से संभाल सकें।
✈️ क्रू मेंबर ट्रेनिंग प्रोटोकॉल के मुख्य चरण:
1. प्राथमिक प्रशिक्षण (Initial Training)
- 4 से 8 हफ्तों का गहन प्रशिक्षण
- DGCA (भारत में) और ICAO (अंतरराष्ट्रीय स्तर) द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार
2. सुरक्षा प्रशिक्षण (Safety Training)
- इमरजेंसी डोर खोलना, स्लाइड्स इस्तेमाल करना
- इंजन फेलियर, क्रैश लैंडिंग, और फायर से बचाव के उपाय
- ऑक्सीजन मास्क, लाइफ जैकेट, फ्लोटेशन डिवाइसेस का उपयोग
3. मेडिकल इमरजेंसी हैंडलिंग
- CPR (Cardiopulmonary Resuscitation)
- प्राथमिक उपचार (First Aid)
- शारीरिक या मानसिक रूप से अस्वस्थ यात्री की देखभाल
4. फायर फाइटिंग ट्रेनिंग
- स्मोक हूड पहनना
- फायर एक्सटिंगुइशर का प्रयोग
- केबिन में आग लगने की स्थिति में पैसेंजर को गाइड करना
5. हाइजैक या थ्रेट रिस्पॉन्स
- मानसिक तैयारी और मनोवैज्ञानिक ट्रेनिंग
- यात्री नियंत्रण तकनीक (De-escalation Techniques)
6. एविएशन रूल्स और SOPs
- DGCA, FAA (US), या EASA (EU) के स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOPs)
- केबिन लॉग्स, सुरक्षा चेकलिस्ट, रेडियो कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल
7. सर्विस और बिहेवियर ट्रेनिंग
- पेशेवर शिष्टाचार, मल्टी-लैंग्वेज स्किल्स
- यात्रियों से सही संवाद और तनावपूर्ण हालात में शांत रहना
📅 रीकरिंग ट्रेनिंग (Refresher Courses)
- हर 12–18 महीने में पुनः प्रशिक्षण अनिवार्य होता है
- नए उपकरण, बदलते सुरक्षा मानकों और केस स्टडी पर आधारित
🚨 प्लेन क्रैश जैसे हालात में:
- क्रू मेंबर सबसे पहले पैसेंजर को निकासी (evacuation) के लिए निर्देशित करते हैं
- अक्सर क्रू लास्ट तक अंदर रुकते हैं ताकि कोई यात्री न छूटे
- कई केस में क्रू की बहादुरी से कई जिंदगियाँ बचती हैं