Thursday, November 14, 2024
Amit Shah Birthday
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Amit Shah Birthday : अमित शाह को इलेक्शन के अलावा कुछ नज़र नहीं आता, जानिए किसने कही थी ‘चाणक्य’ के लिए यह बात?

अमित शाह भारतीय जनता पार्टी (BJP) के एक प्रमुख नेता और भारत के गृह मंत्री हैं। वह अपने रणनीतिक कौशल और संगठनात्मक क्षमताओं के कारण भारतीय राजनीति में “चाणक्य” के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। उनका राजनीतिक सफर बहुत ही प्रभावशाली रहा है, खासकर बीजेपी को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करने में उनकी भूमिका अहम रही है।

राजनीतिक यात्रा की शुरुआत:

अमित शाह का राजनीतिक करियर 1980 के दशक में शुरू हुआ, जब उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़कर राजनीति में कदम रखा। वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP), जो RSS की छात्र शाखा है, में सक्रिय हुए। इसके बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा से जुड़कर अपने राजनीतिक करियर की दिशा तय की।

नरेंद्र मोदी के साथ जुड़ाव:

अमित शाह की राजनीतिक सफलता का एक बड़ा कारण उनका नरेंद्र मोदी के साथ मजबूत जुड़ाव है। गुजरात में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने के बाद अमित शाह को कई महत्वपूर्ण विभाग सौंपे गए, जिनमें गृह मंत्रालय भी शामिल था। शाह और मोदी की जोड़ी ने गुजरात में बीजेपी की जड़ों को मजबूत किया, जिससे उनका राष्ट्रीय राजनीति में भी उदय हुआ।

प्रमुख भूमिकाएँ और उपलब्धियाँ:

  1. उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक जीत (2014):
  • अमित शाह को 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई थी। उनकी रणनीति के कारण बीजेपी ने राज्य में 80 में से 71 सीटें जीतीं, जो एक बड़ी सफलता थी और इसके बाद बीजेपी की राष्ट्रीय राजनीति में प्रभावी भूमिका बनी।
  1. बीजेपी के अध्यक्ष (2014–2020):
  • अमित शाह ने 2014 से 2020 तक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उनके नेतृत्व में पार्टी ने कई राज्यों में चुनावी जीत हासिल की और बीजेपी को देश की सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत बना दिया।
  1. गृह मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा:
  • 2019 में गृह मंत्री बनने के बाद, अमित शाह ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। इनमें सबसे प्रमुख था अनुच्छेद 370 को समाप्त कर जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करना। यह एक ऐतिहासिक फैसला था, जिसे लेकर देशभर में बहस छिड़ी।
  • नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को भी अमित शाह ने आगे बढ़ाया, जो कुछ पड़ोसी देशों के शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करता है।

अमित शाह का परिवार

अमित शाह के परिवार में उनकी पत्नी सोनल शाह और उनके बेटे जय शाह शामिल हैं। जय शाह वर्तमान में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के सचिव हैं और भारतीय खेल प्रशासन में एक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। परिवार ने हमेशा मीडिया से दूरी बनाए रखी है और वे सार्वजनिक जीवन में कम ही दिखते हैं।

अमित शाह का राजनैतिक और संगठनात्मक कौशल, चुनावी रणनीतियाँ और नीतिगत निर्णय उन्हें भारतीय राजनीति का एक प्रभावी और शक्तिशाली चेहरा बनाते हैं।

कैसे शुरू हुआ राजनीतिक सफर

अमित शाह का राजनीतिक सफर 1980 के दशक में शुरू हुआ, जब वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत निम्नलिखित चरणों में हुई:

1. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP)

  • अमित शाह का शुरुआती जुड़ाव RSS से हुआ, जो भारतीय जनता पार्टी (BJP) की वैचारिक रीढ़ मानी जाती है। RSS के स्वयंसेवक के रूप में काम करते हुए, शाह ने संगठनात्मक और वैचारिक कौशल सीखे, जो बाद में उनके राजनीतिक करियर में काम आए।
  • इसके बाद उन्होंने RSS की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) में सक्रिय भूमिका निभाई। ABVP में काम करते हुए उन्होंने छात्र राजनीति में अनुभव प्राप्त किया और संगठन की मजबूत नींव बनाई।

2. भाजपा से जुड़ाव

  • 1980 के दशक के अंत में, शाह भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हुए। उन्होंने पार्टी के युवा मोर्चा, भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के साथ काम करना शुरू किया। अपने संगठनात्मक कौशल और मेहनत की वजह से, वह जल्दी ही पार्टी के भीतर महत्वपूर्ण स्थान हासिल करने लगे।
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3. नरेंद्र मोदी से जुड़ाव

  • 1980 और 1990 के दशक में शाह का संबंध नरेंद्र मोदी से मजबूत हुआ, जब मोदी RSS के प्रचारक के रूप में गुजरात में काम कर रहे थे। यह रिश्ता तब और गहरा हुआ, जब नरेंद्र मोदी 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने। मोदी के मुख्यमंत्री बनने के बाद, अमित शाह उनके सबसे विश्वसनीय सहयोगियों में से एक बन गए।
  • इस समय के दौरान, शाह को गुजरात सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपी गई, जिनमें गृह मंत्रालय, कानून, और परिवहन जैसे विभाग शामिल थे। शाह ने गुजरात में प्रशासनिक और राजनीतिक अनुभव प्राप्त किया, जो उनके भविष्य के राष्ट्रीय राजनीति में उदय का आधार बना।

4. पहला चुनाव (1997)

  • अमित शाह ने 1997 में पहली बार चुनाव लड़ा। वह गुजरात के सरखेज विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़े और जीत हासिल की। इसके बाद, उन्होंने इस क्षेत्र से चार बार लगातार चुनाव जीते, जिससे उनकी लोकप्रियता और राजनीतिक ताकत मजबूत हुई।

5. 2002 गुजरात दंगे और गृह मंत्री की भूमिका

  • 2002 में गुजरात दंगों के दौरान, अमित शाह राज्य के गृह मंत्री थे। इस समय उन्होंने कानून-व्यवस्था को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यद्यपि इस अवधि में उनकी भूमिका को लेकर विवाद भी उठे, लेकिन उन्होंने इस कठिन समय में भी राज्य प्रशासन को मजबूती से चलाया।

6. राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश (2010 के बाद)

  • 2010 के बाद अमित शाह की राष्ट्रीय राजनीति में सक्रियता बढ़ी। 2014 के लोकसभा चुनावों में, जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया, तो शाह को उत्तर प्रदेश में चुनावी अभियान की जिम्मेदारी सौंपी गई। उनकी रणनीति और प्रबंधन के कारण, बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में 80 में से 71 सीटें जीत लीं, जो पार्टी की राष्ट्रीय जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

7. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष (2014)

  • 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, अमित शाह को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। उनके नेतृत्व में बीजेपी ने कई राज्यों में चुनाव जीतकर अपनी स्थिति मजबूत की और शाह ने पार्टी को भारत के हर कोने में विस्तार देने का काम किया।

8. गृह मंत्री और प्रमुख निर्णय (2019)

  • 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी की दूसरी बार जीत के बाद, अमित शाह को केंद्रीय गृह मंत्री नियुक्त किया गया। गृह मंत्री के रूप में, उन्होंने अनुच्छेद 370 को हटाने और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) जैसे महत्वपूर्ण फैसले लिए, जिससे उनकी राजनीतिक समझ और प्रशासनिक क्षमता और भी स्पष्ट हो गई।

निष्कर्ष:

अमित शाह का राजनीतिक सफर स्थानीय स्तर से शुरू होकर राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण स्थान तक पहुंचा है। उनकी संगठनात्मक क्षमताएं, चुनावी रणनीतियाँ और नरेंद्र मोदी के साथ उनके सहयोग ने उन्हें भारतीय राजनीति का एक मजबूत स्तंभ बना दिया है।

क्यों कहा जाता है चाणक्य?

अमित शाह को “चाणक्य” कहे जाने का कारण उनकी असाधारण राजनीतिक रणनीतियों, संगठनात्मक कौशल, और भारतीय जनता पार्टी (BJP) को राष्ट्रीय स्तर पर सफल बनाने में उनकी अहम भूमिका है। चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन भारत के एक महान राजनैतिक विचारक, कूटनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे, जिन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अमित शाह की तुलना चाणक्य से कई कारणों से की जाती है:

1. राजनीतिक रणनीति और चालाकी

  • अमित शाह को भारतीय राजनीति में एक कुशल रणनीतिकार माना जाता है। जिस तरह चाणक्य ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना के लिए गहरी और दूरगामी योजनाएं बनाईं, वैसे ही अमित शाह ने बीजेपी को कई चुनावों में जीत दिलाने के लिए गहरी रणनीतियों का उपयोग किया।
  • 2014 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी की जबरदस्त जीत और 2019 में बीजेपी की दोबारा बड़ी जीत उनके चुनावी रणनीतिक कौशल को दर्शाती है।
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2. असाधारण संगठनात्मक क्षमता

  • अमित शाह ने भारतीय जनता पार्टी की संगठनात्मक ताकत को बहुत मजबूती से बढ़ाया। उन्होंने पार्टी के ढांचे को जमीनी स्तर पर मजबूत किया, बूथ स्तर की रणनीतियों से लेकर डिजिटल अभियानों तक हर पहलू पर काम किया। चाणक्य भी एक मजबूत संगठन बनाने में माहिर थे, और उन्होंने मौर्य साम्राज्य की राजनीतिक और प्रशासनिक संरचना तैयार की थी।

3. दीर्घकालिक दृष्टिकोण

  • चाणक्य की तरह, अमित शाह भी दीर्घकालिक योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं। वे सिर्फ एक चुनाव की जीत पर नहीं, बल्कि भविष्य की राजनीति और संगठन के निर्माण पर भी काम करते हैं। उदाहरण के तौर पर, अमित शाह ने बीजेपी को केवल उत्तर भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में विस्तार देने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया है।

4. कूटनीति और राजनीतिक गठबंधन

  • अमित शाह की राजनीति में कूटनीति की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। जैसे चाणक्य ने चतुराई से राजनीतिक गठबंधन बनाए और टूटे, अमित शाह भी राजनीतिक गठबंधनों को सफलतापूर्वक संभालने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने महाराष्ट्र, बिहार, और उत्तर पूर्वी राज्यों में बीजेपी की स्थिति को मजबूत करने के लिए कई गठबंधन बनाए और तोड़े।

5. राजनीतिक विरोधियों को मात देना

  • जिस तरह चाणक्य ने अपने समय के राजनैतिक विरोधियों को हराया और मौर्य साम्राज्य को स्थापित किया, उसी तरह अमित शाह ने भी बीजेपी के विरोधियों के खिलाफ लगातार जीत दर्ज की। उन्होंने विपक्षी दलों की कमजोरियों का उपयोग करते हुए बीजेपी को एक मजबूत स्थिति में रखा।

6. कठिन और निर्णायक फैसले

  • अमित शाह ने गृह मंत्री बनने के बाद कई कठिन और ऐतिहासिक फैसले लिए, जिनमें सबसे प्रमुख था अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण और जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन। इसके अलावा, नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लागू करने में भी उनकी अहम भूमिका रही। ये निर्णय साहसिक थे और चाणक्य की तरह दूरगामी परिणामों को ध्यान में रखते हुए लिए गए।

7. गुप्त और अदृश्य प्रभाव

  • जिस तरह चाणक्य ने मौर्य साम्राज्य के पीछे एक शक्तिशाली विचारक और रणनीतिकार के रूप में काम किया, अमित शाह भी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पर्दे के पीछे रहकर राजनीतिक दिशा तय करते हैं। भले ही नरेंद्र मोदी बीजेपी का प्रमुख चेहरा हों, लेकिन शाह को पार्टी की कई नीतियों और रणनीतियों का मास्टरमाइंड माना जाता है।

8. राजनीतिक स्थिति को बदलने की क्षमता

  • अमित शाह ने कई राज्यों में बीजेपी के लिए राजनीतिक स्थिति को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जैसे चाणक्य ने परिस्थितियों का सही विश्लेषण करके राजनीतिक हल निकाले, वैसे ही शाह ने राज्यों की चुनावी राजनीति को समझकर सही समय पर सही निर्णय लिए।

निष्कर्ष:

अमित शाह को “चाणक्य” कहा जाना उनके रणनीतिक कौशल, दूरदर्शिता, संगठनात्मक क्षमता और राजनीतिक विरोधियों को मात देने की क्षमता के कारण है। वह भारतीय राजनीति में चतुराई, धैर्य, और निपुणता के प्रतीक बन चुके हैं, जिससे उनकी तुलना प्राचीन भारत के महान कूटनीतिज्ञ चाणक्य से की जाती है।

चुनाव के अलावा कुछ नजर नहीं आता

अमित शाह को अक्सर चुनावों में सफलता के कारण सुर्खियों में देखा जाता है, लेकिन उनका योगदान केवल चुनावी रणनीतियों तक सीमित नहीं है। चुनावों के अलावा भी उनकी भूमिका भारतीय राजनीति, नीतिगत निर्णयों, और संगठनात्मक सुधारों में अत्यधिक महत्वपूर्ण रही है। यहां कुछ प्रमुख कारण दिए गए हैं जिनसे स्पष्ट होता है कि उनकी भूमिका चुनावों से कहीं अधिक व्यापक है:

1. राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक नीति निर्माण

  • गृह मंत्री के रूप में: 2019 में गृह मंत्री बनने के बाद, अमित शाह ने भारत की आंतरिक सुरक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनके कार्यकाल में कई संवेदनशील और ऐतिहासिक निर्णय लिए गए, जिनका सीधा संबंध देश की सुरक्षा और संप्रभुता से था।
  • अनुच्छेद 370 का हटाना: जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने का निर्णय अमित शाह की दूरदर्शिता का परिणाम था। यह निर्णय संवैधानिक और राजनीतिक रूप से एक बड़ा बदलाव था, जो जम्मू और कश्मीर की स्थिति को बदलने के लिए महत्वपूर्ण था।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर ध्यान: आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई, सीमा सुरक्षा को मजबूत करना, और माओवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाना शाह की प्राथमिकताओं में रहा है। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर सख्त नीतियों को अपनाया है।
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2. विधायी और सामाजिक सुधार

  • नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA): अमित शाह ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को पारित कराने में अहम भूमिका निभाई। यह कानून पाकिस्तान, अफगानिस्तान, और बांग्लादेश से आए धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करता है। इस फैसले को लेकर देशभर में विवाद हुआ, लेकिन शाह ने इसे मजबूती से आगे बढ़ाया।
  • राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC): शाह ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के जरिए अवैध आप्रवासियों की पहचान करने की योजना को आगे बढ़ाया, जिसका उद्देश्य देश की जनसांख्यिकी को संरक्षित करना था।

3. संगठनात्मक सुधार और पार्टी को मजबूत बनाना

  • बीजेपी का राष्ट्रीय विस्तार: अमित शाह ने भारतीय जनता पार्टी को केवल एक उत्तर भारतीय पार्टी से राष्ट्रीय पार्टी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने संगठनात्मक रूप से पार्टी को मजबूत किया, जिससे बीजेपी पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, और पूर्वोत्तर जैसे राज्यों में भी अपनी पैठ बना पाई।
  • बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करना: अमित शाह ने पार्टी की जमीनी ताकत को बढ़ाने के लिए बूथ स्तर पर संगठनात्मक संरचना को मजबूत किया। उन्होंने “हर बूथ, मजबूत बूथ” का नारा देकर चुनावी अभियानों से परे पार्टी संगठन को मजबूत किया, जिससे पार्टी के पास हर इलाके में समर्थन आधार बना।

4. लंबी अवधि की योजना और राजनीतिक दृष्टिकोण

  • राजनीतिक गठबंधन और कूटनीति: अमित शाह ने बीजेपी के लिए विभिन्न राज्यों में गठबंधन की राजनीति को सफलतापूर्वक प्रबंधित किया। महाराष्ट्र, बिहार, और उत्तर पूर्वी राज्यों में गठबंधन को बनाए रखना और समय आने पर नए गठबंधन करना उनके कूटनीतिक कौशल को दर्शाता है। यह उनकी दीर्घकालिक राजनीतिक दृष्टि को दर्शाता है।
  • विरोधियों को मात देना: अमित शाह ने न केवल चुनाव जीतने के लिए रणनीति बनाई बल्कि वह विपक्षी पार्टियों की राजनीति को कमजोर करने और उन्हें प्रभावी तरीके से जवाब देने के लिए भी जाने जाते हैं।

5. आर्थिक और प्रशासनिक सुधार

  • गुजरात में मंत्री के रूप में भूमिका: जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब अमित शाह राज्य में गृह, कानून, और परिवहन मंत्री थे। उन्होंने गुजरात में प्रशासनिक सुधारों और कानून-व्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके अनुभव का लाभ बाद में उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में मिला।
  • राज्यों के विकास पर ध्यान: गृह मंत्री के रूप में उन्होंने राज्यों के विकास के लिए केंद्र-राज्य संबंधों को भी मजबूत किया और कानून व्यवस्था से जुड़े मामलों पर राज्यों के साथ बेहतर समन्वय स्थापित किया।

6. संस्कृति और विचारधारा का प्रसार

  • हिंदुत्व और राष्ट्रवाद: अमित शाह ने बीजेपी की विचारधारा, विशेष रूप से हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने पार्टी की विचारधारा को व्यापक समाज तक पहुंचाने के लिए काम किया, जिससे पार्टी की वैचारिक नींव मजबूत हुई।
  • संस्कृतिकरण की पहल: शाह ने भारतीय संस्कृति और सभ्यता को उभारने के लिए कई पहल की हैं। उन्होंने राष्ट्रवाद, भारतीयता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण को अपने राजनीतिक और सामाजिक संदेश का प्रमुख हिस्सा बनाया है।

निष्कर्ष:

अमित शाह की भूमिका चुनावों से कहीं अधिक विस्तृत और गहरी है। उनकी रणनीतिक कुशलता केवल चुनावी सफलता तक सीमित नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, सामाजिक सुधार, संगठनात्मक ढांचे को मजबूत बनाने, और भारतीय राजनीति में दीर्घकालिक प्रभाव स्थापित करने तक फैली हुई है। यही कारण है कि उन्हें भारतीय राजनीति का “चाणक्य” कहा जाता है, जो अपने कौशल से राजनीति और नीति निर्माण के हर पहलू को प्रभावित करते हैं।