इस दिन से 4 महीने के लिए पाताल लोक चले जाएंगे भगवान विष्णु, नोट कर लें देवशयनी एकादशी का मुहूर्त
इस दिन से 4 महीने के लिए पाताल लोक चले जाएंगे भगवान विष्णु, नोट कर लें देवशयनी एकादशी का मुहूर्त
हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व है। यह दिन वह होता है जब भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं और अगले चार महीनों तक शयन करते हैं। इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है, जो आध्यात्मिक साधना, व्रत और संयम का समय माना जाता है।
🌙 देवशयनी एकादशी 2025 की तिथि और मुहूर्त
- तिथि: सोमवार, 7 जुलाई 2025
- एकादशी प्रारंभ: 6 जुलाई 2025 को रात 11:55 बजे
- एकादशी समाप्त: 7 जुलाई 2025 को रात 9:30 बजे
- पारण का समय (व्रत खोलने का शुभ मुहूर्त):
8 जुलाई 2025 को प्रातः 5:35 बजे से 8:00 बजे के बीच
🌿 चातुर्मास अवधि
- आरंभ: देवशयनी एकादशी (7 जुलाई 2025)
- समापन: देवउठनी एकादशी (3 नवंबर 2025)

इस अवधि में शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि वर्जित माने जाते हैं, क्योंकि भगवान विष्णु इस समय निद्रा में रहते हैं।
🙏 महत्व और मान्यता
मान्यता है कि इस दिन से भगवान विष्णु पाताल लोक (या क्षीर सागर) में विश्राम करने चले जाते हैं और ब्रह्मा, विष्णु, शिव समेत देवताओं की शक्ति सुप्त हो जाती है। इसीलिए इसे हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है।
📿 क्या करें इस दिन?
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें
- तुलसी को जल अर्पित करें
- व्रत रखें और सात्विक भोजन करें
- विष्णु मंदिर में दीपक जलाएं
यहाँ देवशयनी एकादशी के बारे में विस्तार से जानकारी दी जा रही है, जो भगवान विष्णु की योगनिद्रा की शुरुआत का पावन दिन होता है:
🛏️ देवशयनी एकादशी का महत्व (Importance)
देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीर सागर में शयन करते हैं। इस दौरान सृष्टि संचालन का भार भगवान शिव और ब्रह्मा जी संभालते हैं। यह चार महीनों की अवधि आध्यात्मिक उन्नति और साधना के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है।
🌼 मान्यताएं:
- इस दिन व्रत रखने से वर्ष भर की एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है।
- यह व्रत मोक्षदायिनी एकादशियों में से एक है।
- तुलसी विवाह और अन्य धार्मिक कार्यों की तैयारी चातुर्मास के अंत (देवउठनी एकादशी) के बाद ही होती है।
🪔 पूजा विधि (Puja Vidhi)
- स्नान व संकल्प: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर व्रत और पूजा का संकल्प लें।
- विष्णु पूजा:
- भगवान विष्णु की मूर्ति/चित्र को गंगाजल से स्नान कराएं।
- पीले वस्त्र पहनाएं।
- चंदन, फूल, तुलसी दल, धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
- रात्रि जागरण करें – भजन, कीर्तन और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- अगले दिन पारण (व्रत का समापन) करें।
🍽️ व्रत में क्या खाएं?
- फल, सूखे मेवे, साबूदाना, सामा चावल, आलू, सेंधा नमक आदि का सेवन करें।
- प्याज, लहसुन, अनाज और तामसिक भोजन वर्जित है।
❌ चातुर्मास में वर्जित कार्य:
- विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते।
- नए वस्त्र और श्रृंगार सामग्री का अत्यधिक प्रयोग वर्जित है।
- तामसिक भोजन, शराब, मांस, अंडा आदि से पूर्ण परहेज करना चाहिए।
- अधिक नींद और आलस्य से बचना चाहिए।
🪔 देवशयनी एकादशी का फल (Benefits)
- पूर्व जन्म के पापों का नाश होता है।
- विष्णु कृपा से सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- जो भक्त इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखते हैं, उन्हें वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।