Kab Tak Pahnein Kalawa: हाथ में कब तक बांधे रखना चाहिए कलावा? क्या उसके धारण करने की कोई समय सीमा होती है
कलावा (या मौली) हिन्दू परंपरा में एक पवित्र रक्षासूत्र होता है, जिसे आमतौर पर पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठान या मंदिर दर्शन के समय पंडित द्वारा दाहिने (पुरुष) या बाएं (महिलाएं) हाथ में बांधा जाता है। इसे बंधवाने के पीछे धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है।
अब सवाल ये उठता है: “कलावा को कब तक पहने रखना चाहिए?”
धारण की अवधि (समय सीमा):
- कोई कठोर नियम नहीं है कि इसे कितने दिन तक पहनना चाहिए, लेकिन परंपराओं और शास्त्रों में इसके कुछ सामान्य संकेत मिलते हैं:

- जब तक वह स्वतः टूट न जाए, तब तक आप उसे पहन सकते हैं।
- यदि वह खराब, गंदा या पुराना हो जाए तो स्नान के बाद विधिपूर्वक उसे किसी पीपल के पेड़, बहते जल (जैसे नदी), या धूपबत्ती जलाकर अग्नि में समर्पित कर देना चाहिए।
धार्मिक दृष्टिकोण से:
- जब तक वह आपकी आस्था का प्रतीक बना रहे और आप उसका सम्मान करें, तब तक पहन सकते हैं।
- विशेष पूजा या व्रत के समय नया कलावा बंधवाना भी शुभ माना जाता है।
किन परिस्थितियों में हटा देना चाहिए?
- यदि वह कट गया हो या फट गया हो।
- अशुद्धता या अनुचित स्थिति (जैसे शोककाल आदि) में।
- अगर शरीर पर किसी वजह से चुभन या एलर्जी हो रही हो।