क्यों सबसे पहले गणेश भगवान की होती है पूजा ? क्या है पूजा का विधि ?
भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले क्यों की जाती है?
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और बुद्धि, ज्ञान, व सौभाग्य के देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य या पूजा-पाठ से पहले उनकी आराधना करने की परंपरा है। इसके पीछे कई कारण और धार्मिक मान्यताएँ हैं—
- प्रथम पूज्य देवता – पुराणों के अनुसार, जब देवताओं ने यह तय किया कि सबसे पहले किसकी पूजा होनी चाहिए, तब भगवान शिव ने एक प्रतियोगिता रखी। गणेश जी ने अपनी बुद्धिमत्ता से पूरी सृष्टि के तीन चक्कर लगाने के बजाय अपने माता-पिता (शिव और पार्वती) के ही तीन चक्कर लगाए और उन्हें ही पूरी सृष्टि मान लिया। उनकी इस बुद्धिमत्ता से प्रसन्न होकर देवताओं ने उन्हें \”प्रथम पूज्य\” का दर्जा दिया।
- विघ्नहर्ता (विघ्नों को दूर करने वाले) – गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है, यानी वे किसी भी कार्य में आने वाले विघ्न (अड़चनों) को दूर करते हैं। इसलिए किसी भी शुभ कार्य को बिना बाधा के पूरा करने के लिए पहले उनकी पूजा की जाती है।
- शुभता और मंगल का प्रतीक – भगवान गणेश का स्वरूप शुभता, समृद्धि और मंगलकारी ऊर्जा का प्रतीक है। उनकी पूजा से कार्यों में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।
भगवान गणेश की पूजा विधि
गणेश जी की पूजा विशेष रूप से बुधवार को की जाती है, लेकिन किसी भी शुभ कार्य से पहले उनकी आराधना आवश्यक मानी जाती है। यहाँ एक सरल पूजा विधि दी गई है—
1. पूजन सामग्री:
- गणेश प्रतिमा या चित्र
- दीपक और धूप
- मोदक या लड्डू (गणेश जी का प्रिय भोग)
- लाल फूल (विशेष रूप से दूर्वा घास)
- पान, सुपारी और नारियल
- कुमकुम, हल्दी, चंदन और अक्षत (चावल)
- पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, और गंगाजल)
- फल एवं मिठाई

2. पूजा विधि:
- स्नान और शुद्धि – स्वयं स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थान को शुद्ध करें।
- गणेश जी को आसन दें – गणेश जी की मूर्ति या चित्र को एक स्वच्छ स्थान पर रखें।
- दीप प्रज्वलित करें – घी या तेल का दीपक जलाएँ और धूप-अगरबत्ती दिखाएँ।
- आवाहन (आमंत्रण) – हाथ में अक्षत (चावल) लेकर भगवान गणेश का ध्यान करें और प्रार्थना करें कि वे पूजा स्वीकार करें।
- स्नान कराएँ – मूर्ति पर गंगाजल या पंचामृत से स्नान कराएँ, फिर स्वच्छ जल से धोकर वस्त्र अर्पित करें।
- तिलक और पुष्प अर्पण करें – गणेश जी को कुमकुम, चंदन और अक्षत लगाएँ और लाल फूल अर्पित करें।
- मंत्र जाप – गणेश जी के मंत्रों का जाप करें, जैसे—
- \”ॐ गं गणपतये नमः\” (कम से कम 108 बार)
- \”वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥\”
- भोग अर्पण करें – गणेश जी को मोदक, लड्डू या कोई अन्य मिठाई अर्पित करें।
- आरती करें – गणेश जी की आरती गाएँ और परिवार सहित भक्ति भाव से पूजा करें।
- प्रसाद वितरण – पूजा के बाद प्रसाद को सभी भक्तों में बाँटें और गणेश जी से आशीर्वाद प्राप्त करें।
विशेष बातें:
गणेश जी को दूर्वा घास अर्पित करना शुभ माना जाता है।
पूजा में तुलसी पत्ता नहीं चढ़ाया जाता, क्योंकि गणेश जी ने तुलसी को श्राप दिया था।
गणेश जी की मूर्ति को बाईं ओर सूंड वाली रखना शुभ होता है।
गणेश जी की पूजा से पहले गणपति ध्यान और गणपति स्तोत्र पढ़ना उत्तम होता है।
इस प्रकार, भगवान गणेश की पूजा श्रद्धा और नियम से करने पर कार्यों में सफलता, समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है।
भगवान गणेश की पूजा से जुड़े विशेष नियम और महत्व
भगवान गणेश की पूजा सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। उनकी पूजा से नकारात्मकता दूर होती है, आत्मबल बढ़ता है और कार्यों में सफलता मिलती है।
भगवान गणेश की पूजा के 16 संस्कार (षोडशोपचार पूजा)
गणपति पूजन में सामान्यतः षोडशोपचार (16 प्रकार के उपचार) किए जाते हैं, जो निम्नलिखित हैं—
- आवाहन – भगवान गणेश का ध्यान कर उन्हें आमंत्रित करना।
- आसन – गणेश जी को आसन देना।
- पाद्य – उनके चरणों को गंगाजल या स्वच्छ जल से धोना।
- अर्घ्य – उन्हें अर्घ्य अर्पित करना।
- आचमन – शुद्ध जल से स्नान कराना।
- स्नान – पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल) से स्नान कराना।
- वस्त्र – स्वच्छ वस्त्र अर्पित करना।
- गंध – चंदन, कुमकुम आदि लगाना।
- पुष्प – लाल फूल अर्पित करना।
- धूप – धूप एवं अगरबत्ती दिखाना।
- दीप – दीपक जलाना।
- नैवेद्य – मोदक, लड्डू या कोई भी मिठाई अर्पित करना।
- ताम्बूल – पान, सुपारी और इलायची अर्पित करना।
- आरती – घी का दीप जलाकर आरती करना।
- प्रदक्षिणा – गणेश जी की तीन बार परिक्रमा करना।
- प्रार्थना और विसर्जन – अंत में प्रार्थना कर उनसे कृपा बनाए रखने की प्रार्थना करना और पूजा समाप्त करना।
गणेश पूजा में खास ध्यान देने योग्य बातें
- गणेश जी की मूर्ति का मुख पूर्व या उत्तर दिशा में रखना शुभ माना जाता है।
- पूजा में दूर्वा (21 टुकड़े) चढ़ाने का विशेष महत्व है।
- गणेश जी को सफेद या लाल वस्त्र अधिक प्रिय हैं।
- तुलसी पत्ता चढ़ाना निषेध है, क्योंकि तुलसी जी ने गणेश जी को विवाह का प्रस्ताव दिया था, जिसे गणेश जी ने अस्वीकार कर दिया था। इससे नाराज होकर तुलसी जी ने उन्हें श्राप दिया और गणेश जी ने भी उन्हें श्राप दिया कि उनकी पत्तियाँ उनके पूजन में नहीं चढ़ेंगी।
- बुधवार को गणेश पूजा करना विशेष रूप से लाभकारी होता है।
- गणेश जी को गुड़ और चने का भोग भी प्रिय है।
गणेश जी के प्रमुख मंत्र
भगवान गणेश की पूजा में निम्नलिखित मंत्रों का उच्चारण किया जाता है—
1. गणेश बीज मंत्र
\”ॐ गं गणपतये नमः\”
इस मंत्र का 108 बार जाप करने से सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
2. गणेश गायत्री मंत्र
\”ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दंती प्रचोदयात्॥\”
यह मंत्र बुद्धि और सफलता के लिए अत्यंत शुभ है।
3. गणेश स्तुति मंत्र
\”वक्रतुण्ड महाकाय, सूर्यकोटि समप्रभः। निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा॥\”
यह मंत्र किसी भी कार्य को निर्विघ्न रूप से पूर्ण करने के लिए अत्यधिक लाभकारी है।
4. गणेश अथर्वशीर्ष
\”नमो व्रातपतये नमो गणपतये नमः प्रभामतये नमः स्थूलतुण्डाय नमो दीर्घाय नमः कृष्णपिंगाक्षाय नमो ब्रह्मऋषये नमो ब्रह्मणस्पतये नमस्ते अस्तु लम्बोदरायैकदंताय विघ्ननाशिने शिवसुताय श्री वरदमूर्तये नमः॥\”
यह संपूर्ण गणेश स्तोत्र अत्यंत शक्तिशाली और लाभकारी माना जाता है।
गणेश चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी का महत्व
- गणेश चतुर्थी – गणेश जी का जन्मोत्सव भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह दिन गणपति पूजन के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर 10 दिनों तक पूजा की जाती है।
- संकष्टी चतुर्थी – हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन गणेश जी का व्रत रखने और पूजा करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है।
गणेश पूजन से मिलने वाले लाभ
- बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि – गणेश जी को विद्या और बुद्धि का देवता माना जाता है। उनकी कृपा से स्मरण शक्ति और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
- संकट और बाधाओं से मुक्ति – गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है, इसलिए उनकी पूजा से जीवन की परेशानियाँ दूर होती हैं।
- सुख-समृद्धि में वृद्धि – उनकी कृपा से व्यापार, करियर और जीवन में सफलता मिलती है।
- परिवार में सुख-शांति – गणेश जी के पूजन से घर-परिवार में शांति और खुशहाली बनी रहती है।
- शुभ कार्यों में सफलता – किसी भी नए कार्य, व्यापार, विवाह या गृह प्रवेश से पहले गणेश पूजन करने से सफलता मिलती है।
निष्कर्ष
भगवान गणेश की पूजा न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह सकारात्मक ऊर्जा, आत्मविश्वास और सफलता को आमंत्रित करने का एक माध्यम भी है। उनकी कृपा से जीवन में आने वाली सभी बाधाएँ दूर होती हैं और सुख-समृद्धि का संचार होता है। गणेश जी की पूजा यदि विधिपूर्वक की जाए, तो उनके आशीर्वाद से जीवन में हर कार्य में सफलता मिलती है।
गणपति बप्पा मोरया!