Nirjala Ekadashi 2025: निर्जला एकादशी व्रत में इन बातों की अनदेखी की तो बिगड़ सकती है सेहत, नहीं मिलेगा पुण्य
निर्जला एकादशी 2025 का व्रत हिंदू धर्म में सबसे कठिन और पुण्यदायी व्रत माना जाता है। यह व्रत बिना जल के रखा जाता है, इसलिए इसे “निर्जला” कहा गया है। इस बार निर्जला एकादशी 2025 में 10 जून (मंगलवार) को पड़ रही है।
इस व्रत का पालन करते समय कुछ खास बातों का ध्यान न रखा जाए तो इससे न केवल स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ सकता है, बल्कि व्रत का पुण्य भी अधूरा रह सकता है। नीचे कुछ ज़रूरी सावधानियां दी गई हैं:
🔴 निर्जला एकादशी में इन बातों की अनदेखी न करें:
- शरीर की क्षमता को नजरअंदाज न करें:
निर्जला व्रत बिना जल के होता है, जो गर्मियों में स्वास्थ्य के लिए जोखिमभरा हो सकता है। यदि आप बीमार हैं, बुज़ुर्ग हैं या गर्भवती हैं तो केवल फलाहार या जल के साथ व्रत रखें। - पूरे दिन धूप में न रहें:
व्रत के दिन अधिक समय तक धूप में रहना डिहाइड्रेशन और चक्कर आने का कारण बन सकता है। घर के अंदर ठंडी जगह पर रहें। - रात्रि में भारी भोजन न करें:
व्रत के बाद रात को भारी या तैलीय भोजन करने से पेट खराब हो सकता है। फल, खिचड़ी या हल्का भोजन लेना बेहतर होता है। - क्रोध और विवाद से बचें:
एकादशी के दिन संयम और शांति का पालन करना चाहिए। वाणी और व्यवहार में मधुरता बनाए रखें। - नींद पूरी न लेना:
व्रत के दौरान पूरी नींद लेना भी जरूरी है, ताकि शरीर को आराम मिल सके। - जल से पूरी तरह परहेज़ सभी के लिए नहीं:
अगर किसी को निर्जला व्रत रखना संभव नहीं है, तो जल का सेवन करके फलाहार व्रत भी किया जा सकता है। भगवान भाव देखते हैं, केवल कठोरता नहीं।
🟢 क्या करें ताकि व्रत सफल हो और पुण्य प्राप्त हो:
- व्रत की पूर्व रात्रि हल्का भोजन करें।
- प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु का पूजन करें।
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जप करें।
- जरूरतमंदों को जल, फल और वस्त्र दान करें।
निर्जला एकादशी व्रत कथा बहुत ही प्रेरणादायक है और इसका संबंध महाभारत काल के महान दानवीर भीमसेन से जुड़ा है। यह कथा बताती है कि कैसे भीम ने कठिन तप और श्रद्धा से यह व्रत किया और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग चुना।
📖 निर्जला एकादशी व्रत कथा:
महाभारत काल में पांडवों की माता कुंती और सभी भाई नियमित रूप से एकादशी का व्रत रखते थे, लेकिन भीमसेन को भूख अधिक लगती थी और वह भोजन के बिना रह नहीं पाते थे। उन्होंने महर्षि व्यास से पूछा कि क्या ऐसा कोई उपाय है जिससे उन्हें सभी एकादशियों का फल मिल जाए, लेकिन बार-बार उपवास न करना पड़े।
व्यास मुनि ने उन्हें बताया कि यदि वे वर्ष में केवल एक बार निर्जला एकादशी का कठोर व्रत कर लें, जिसमें जल की एक बूंद तक ग्रहण नहीं की जाती, तो उन्हें साल की सभी 24 एकादशियों का फल प्राप्त हो जाएगा।
भीमसेन ने इस कठिन व्रत को पूरी निष्ठा और संयम से किया। व्रत के दिन उन्हें अत्यधिक प्यास और कमजोरी का अनुभव हुआ, लेकिन उन्होंने धैर्य रखा। अंत में उन्होंने पूजा की, भगवान विष्णु को जल अर्पित किया और रात्रि में व्रत का पारण किया।
भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और वरदान दिया कि जो श्रद्धा से यह व्रत करेगा, उसे समस्त पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होगी।
🌟 व्रत का महत्व:
- यह व्रत सभी एकादशियों का फल देने वाला है।
- इससे मन, शरीर और आत्मा की शुद्धि होती है।
- भगवान विष्णु की कृपा सहज प्राप्त होती है।
- मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
निर्जला एकादशी 2025 की पूजा विधि बहुत विशेष होती है, क्योंकि यह व्रत बिना जल के रखा जाता है और इसमें भक्त की आस्था व संयम की सबसे बड़ी परीक्षा होती है। यहां इसकी व्रत पूजन विधि चरणबद्ध तरीके से दी गई है:
🪔 निर्जला एकादशी पूजा विधि (10 जून 2025 के लिए):
🕖 1. प्रातः काल की तैयारी:
- ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करें।
- शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- घर या मंदिर के पूजन स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
🪔 2. भगवान विष्णु की स्थापना और पूजा:
- भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को पीले वस्त्र पर रखें।
- दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती अर्पित करें।
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) से स्नान कराएं (यदि संभव हो)।
- तुलसी के पत्ते, पीले फूल, चंदन, अक्षत (चावल) और फल अर्पित करें।
📿 3. मंत्र जप और भजन:
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें या भजन-कीर्तन करें।
🙏 4. व्रत संकल्प:
- हाथ में जल लेकर संकल्प लें कि आप निर्जला एकादशी का व्रत विधिपूर्वक रखेंगे।
- “मैं आज निर्जला एकादशी व्रत करता/करती हूँ, भगवान विष्णु की कृपा हेतु, सभी पापों के नाश और मोक्ष की प्राप्ति के लिए।”
🕯 5. कथा श्रवण:
- निर्जला एकादशी व्रत कथा सुनें या पढ़ें (जैसे भीमसेन की कथा)।
🤲 6. दान-पुण्य:
- जल पात्र, छाता, वस्त्र, पंखा, फल, शर्बत आदि गरीबों को दान करें।
यह दान “जल दान” के रूप में पुण्यकारी होता है।
🌙 7. रात्रि जागरण (यदि संभव हो):
- रात को भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें।
🍚 8. पारण (अगले दिन, 11 जून 2025):
- द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।
- सबसे पहले भगवान को नैवेद्य अर्पित करें फिर जल एवं अन्न ग्रहण करें।
यह व्रत शरीर से कठिन ज़रूर है, लेकिन इसका आध्यात्मिक फल बेहद शुभ और कल्याणकारी होता है।
निर्जला एकादशी उपवास न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि स्वास्थ्य और मानसिक शांति के लिए भी अत्यंत लाभकारी माना गया है। यह उपवास शरीर, मन और आत्मा – तीनों को शुद्ध करने में मदद करता है।
🌿 निर्जला एकादशी उपवास के प्रमुख लाभ:
🧘♂️ 1. मानसिक शुद्धि और आत्मसंयम:
- जल और अन्न का त्याग करने से मन स्थिर होता है।
- क्रोध, लोभ, मोह आदि पर नियंत्रण बढ़ता है।
- एकाग्रता और आत्मचिंतन की क्षमता में वृद्धि होती है।
🩺 2. शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार:
- डिटॉक्स का कार्य करता है – पाचन तंत्र को विश्राम मिलता है।
- शरीर के विषैले तत्व (toxins) बाहर निकलते हैं।
- निर्जला व्रत से intermittent fasting जैसा लाभ भी मिलता है (वैज्ञानिक दृष्टि से)।
🔥 3. आध्यात्मिक लाभ:
- सभी एकादशियों का फल केवल इस एक व्रत से प्राप्त होता है।
- भगवान विष्णु की कृपा और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
💧 4. संयम और आत्मनियंत्रण की परीक्षा:
- गर्मियों में जल का त्याग करना साहस और श्रद्धा का प्रतीक है।
- इससे आत्मबल और मानसिक शक्ति बढ़ती है।
🙌 5. पुण्य और कर्मशुद्धि:
- व्रत और दान के माध्यम से पापों का क्षय होता है।
- जल दान, छाता दान, फल दान आदि से सामाजिक सेवा का भी लाभ मिलता है।
❗ ध्यान रखें:
- निर्जला व्रत सभी के लिए नहीं होता। कमजोर, बीमार, वृद्ध या गर्भवती स्त्रियों को विकल्प स्वरूप फलाहार व्रत करना चाहिए।