निर्जला एकादशी पर बुध गोचर से खुलेगा 3 राशि वालों का भाग्य, मां लक्ष्मी देंगी बेशुमार धन-वैभव
निर्जला एकादशी 2025 का दिन बहुत खास है, और इस बार यह और भी शुभ बन गया है क्योंकि इसी दिन बुध ग्रह का गोचर (Transit of Mercury) हो रहा है। ज्योतिष के अनुसार, बुध का यह गोचर 3 राशियों के लिए विशेष फलदायी रहेगा। इन राशियों पर मां लक्ष्मी की कृपा बरसेगी और उन्हें धन, वैभव और मान-सम्मान की प्राप्ति हो सकती है।
🌟 किन 3 राशियों का भाग्य खुलेगा?
1. वृषभ (Taurus)
बुध का गोचर वृषभ राशि वालों के लिए वित्तीय लाभ और व्यावसायिक सफलता लेकर आ रहा है। पुराने रुके हुए पैसे मिलने के संकेत हैं। नौकरीपेशा लोगों को प्रमोशन या नई जिम्मेदारी मिल सकती है।
2. कन्या (Virgo)
कन्या राशि पर बुध की विशेष दृष्टि है क्योंकि यह उनकी स्व-राशि है। इस गोचर से मानसिक स्पष्टता, बुद्धिमत्ता और व्यापार में उन्नति के योग बनेंगे। निवेश से बड़ा लाभ हो सकता है।
3. मकर (Capricorn)
मकर राशि के जातकों को अचानक धन लाभ और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिल सकता है। संपत्ति संबंधी मामलों में सफलता मिलने के संकेत हैं। पारिवारिक जीवन में भी खुशहाली आएगी।
🪔 क्या करें इस दिन?
- मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें।
- तुलसी के पौधे में जल अर्पित करें।
- गरीबों को भोजन या जलदान करें।
- हरे रंग के वस्त्र पहनना और हरे फल दान करना लाभकारी रहेगा।
📿 मंत्र:
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का 108 बार जप अवश्य करें।
निर्जला एकादशी हिंदू धर्म की सबसे पवित्र और कठिन एकादशी मानी जाती है। यह ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है, और इसका विशेष महत्व है क्योंकि इसमें जल तक ग्रहण नहीं किया जाता, इसलिए इसे “निर्जला” (बिना जल के) एकादशी कहते हैं।
🕉️ निर्जला एकादशी क्या है?
निर्जला एकादशी वह व्रत है जिसमें सिर्फ अन्न ही नहीं बल्कि जल का भी त्याग किया जाता है। इसका पालन करने से साल भर की सभी 24 एकादशियों का फल मिल जाता है, ऐसा शास्त्रों में कहा गया है।
📜 पौराणिक मान्यता
पौराणिक कथा के अनुसार, भीमसेन (महाभारत के पात्र) को अन्न का त्याग करना कठिन लगता था, इसलिए उन्होंने सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत रखने का संकल्प लिया। भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद दिया कि इस एक व्रत से सभी एकादशियों का फल मिल जाएगा।
📅 कब मनाई जाती है?
निर्जला एकादशी हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। 2025 में यह 10 जून को मनाई जाएगी।
🧘 व्रत विधि
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की पीले पुष्प, तुलसी और पीली मिठाई से पूजा करें।
- दिन भर बिना जल और अन्न के रहें।
- रात्रि में जागरण करें और अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण करें।
🙏 व्रत का लाभ
- पापों का नाश होता है
- मनोकामना पूर्ण होती है
- स्वास्थ्य और समृद्धि मिलती है
- मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है
एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में आने वाली ग्यारहवीं तिथि (तिथि = दिन) को कहते हैं। यह तिथि हर पक्ष में एक बार आती है—एक बार शुक्ल पक्ष (पूर्णिमा की ओर बढ़ता चंद्र) में और एक बार कृष्ण पक्ष (अमावस्या की ओर घटता चंद्र) में। यानी हर महीने दो एकादशी होती हैं।
🌼 एकादशी का आध्यात्मिक महत्व
- यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है।
- उपवास (व्रत) और भक्ति के लिए सबसे उत्तम दिन माना जाता है।
- शरीर और मन की शुद्धि हेतु श्रेष्ठ समय है।
🧘♀️ एकादशी का वैज्ञानिक पक्ष
- उपवास से शरीर को आराम मिलता है और पाचन तंत्र को पुनः सक्रिय करने का मौका मिलता है।
- चंद्रमा की स्थिति का प्रभाव मानसिक शांति पर पड़ता है, इसलिए ध्यान, जप, और संयम इस दिन विशेष लाभदायक होते हैं।
🙏 एकादशी व्रत क्यों करें?
- पापों का क्षय और पुण्य की प्राप्ति
- मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति
- मोक्ष की प्राप्ति (धार्मिक मान्यता)