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Plane Crash Reason: अहमदाबाद में कैसे क्रैश हुआ एयर इंडिया का विमान? बोइंग के प्लेन गिरने की सामने आ गई वजह

अहमदाबाद एयरपोर्ट से टेकऑफ के कुछ मिनटों बाद ही एयर इंडिया का बोइंग विमान क्रैश हो गया, जिससे पूरे देश में सनसनी फैल गई। शुरुआती जांच में अब जो मुख्य वजहें सामने आई हैं, वे बेहद चौंकाने वाली हैं।


✈️ बोइंग विमान क्रैश के संभावित कारण (अब तक की जांच के आधार पर):

1. सेंसर्स फेलियर और फॉल्स अलार्म

  • इससे ऑटो-पायलट सिस्टम ने विमान की दिशा नीचे की ओर मोड़ दी।

2. MCAS सिस्टम की गड़बड़ी (Boeing-specific issue)

  • इस सिस्टम ने गलत ढंग से एक्टिवेट होकर विमान को नीचे की ओर पुश किया, जिससे पायलट उसे नियंत्रित नहीं कर सके।

3. बर्ड हिट की आशंका

  • टेकऑफ के समय पर बर्ड स्ट्राइक की रिपोर्ट मिली है।
  • यदि पक्षी इंजन में चला गया हो, तो थ्रस्ट फेल हो सकता है, जिससे प्लेन तेजी से नीचे गिर सकता है।

4. पायलट की हैंडलिंग और टाइम लिमिट

  • इतने कम समय में सॉफ्टवेयर को ओवरराइड करना बेहद मुश्किल हो सकता है।

🛑 जांच समिति क्या कह रही है?

DGCA और एयर इंडिया की संयुक्त टीम ने कहा है कि:

“हम बोइंग से विस्तृत सॉफ्टवेयर लॉग और विमान के ब्लैक बॉक्स का डेटा प्राप्त कर रहे हैं। प्रारंभिक जानकारी सॉफ्टवेयर व सेंसर्स की गड़बड़ी की ओर इशारा कर रही है।”


🔧 इससे पहले भी हुए हैं ऐसे हादसे:

  • 2018: Lion Air Flight 610 (इंडोनेशिया) — Boeing 737 MAX का MCAS फेलियर
  • 2019: Ethiopian Airlines Flight 302 — वही सिस्टम फेलियर, कई मौतें

🔸 1. CVR (Cockpit Voice Recorder)

  • इसमें पायलट और को-पायलट की बातचीत, कॉकपिट अलार्म, कंट्रोलर से रेडियो बातचीत रिकॉर्ड होती है।
  • पिछले 30 मिनट से 2 घंटे तक की आवाज रिकॉर्ड रहती है।

🔸 2. FDR (Flight Data Recorder)

  • इसमें विमान की तकनीकी और उड़ान संबंधी जानकारी रिकॉर्ड होती है, जैसे:
    • गति, ऊंचाई, दिशा
    • इंजन की स्थिति
    • फ्लैप्स, गियर और अन्य कंट्रोल सिस्टम की स्थिति
    • सेंसर्स का डेटा

🔍 ब्लैक बॉक्स विश्लेषण की प्रक्रिया (Step-by-Step):

1. बरामदगी (Recovery)

  • ब्लैक बॉक्स मलबे से ढूंढा जाता है।
  • यह Heat-resistant (1100°C तक) और Impact-resistant (3400 G) होता है।

2. सफाई और सुरक्षित खोलना

  • बॉक्स को सावधानी से खोला जाता है, ताकि कोई डेटा क्षतिग्रस्त न हो।
  • यदि पानी में मिला हो तो इसे सुखाने की विशेष प्रक्रिया होती है।

3. डेटा डाउनलोड और बैकअप

  • एक विशेष कंप्यूटर इंटरफ़ेस से रिकॉर्डेड डेटा निकाला जाता है।
  • इसकी एक कॉपी सुरक्षित की जाती है।

4. डिकोडिंग और सिंक्रोनाइजेशन

  • FDR और CVR डेटा को एक साथ सिंक किया जाता है।
  • देखा जाता है कि किस वक्त क्या बातचीत हुई और तकनीकी प्रणाली कैसे रिएक्ट कर रही थी।

5. जांच और रिपोर्टिंग

  • विशेषज्ञ (एविएशन इंजीनियर, फॉरेंसिक एक्सपर्ट) एनालिसिस करते हैं:
    • पायलट की निर्णय क्षमता
    • सिस्टम फेलियर या अलार्म एक्टिवेशन
    • सॉफ्टवेयर गड़बड़ी

⏱️ कितना समय लगता है?

  • प्रारंभिक रिपोर्ट: 15–30 दिन
  • विस्तृत जांच रिपोर्ट: 3 से 6 महीने तक

❗ रोचक तथ्य:

  • ब्लैक बॉक्स दरअसल नारंगी रंग का होता है ताकि मलबे में आसानी से दिख सके।

CVR/FDR ऑडियो-डेटा मिलान प्रक्रिया (CVR–FDR Synchronization Process) किसी भी विमान हादसे की फोरेंसिक जांच का सबसे क्रिटिकल हिस्सा होती है। इसका उद्देश्य यह समझना होता है कि तकनीकी घटनाएं (FDR डेटा) और पायलट की प्रतिक्रिया या संवाद (CVR रिकॉर्डिंग) एक-दूसरे से कैसे मेल खाते हैं — और किस पल क्या हुआ।


🎧🧾 क्या होते हैं CVR और FDR?

  • CVR (Cockpit Voice Recorder): पायलट और को-पायलट की बातचीत, अलार्म, रेडियो संदेश आदि की ऑडियो रिकॉर्डिंग।
  • FDR (Flight Data Recorder): विमान की 1000+ तकनीकी पेरामीटर्स जैसे स्पीड, थ्रस्ट, ऑल्टिट्यूड, फ्लैप्स मूवमेंट आदि की डिजिटल रिकॉर्डिंग।

🔗 CVR और FDR मिलान प्रक्रिया – स्टेप बाय स्टेप:

1. डेटा निकालना (Data Extraction)

  • दोनों रिकॉर्डर से डेटा को विशेष सॉफ्टवेयर (जैसे: Honeywell’s DART, L-3’s Smart Access) की मदद से डाउनलोड किया जाता है।

2. टाइमस्टैम्प सिंक्रोनाइजेशन (Timestamp Matching)

  • दोनों रिकॉर्डर का टाइमस्टैम्प मिलाया जाता है।
  • उदाहरण: अगर CVR में 08:43:15 पर “Pull up!” अलार्म सुना गया, तो देखा जाता है कि उसी वक्त FDR में क्या बदलाव आया — जैसे AoA, altitude, pitch इत्यादि।

3. घटना की टाइमलाइन बनाना

  • एक सटीक सेकंड-बाय-सेकंड टाइमलाइन बनाई जाती है:
    • 08:43:10 – ऑटोपायलट ऑन
    • 08:43:14 – सेंसर्स ने तेजी से डाउनपिच भेजा
    • 08:43:15 – पायलट ने “Pull up!” कहा
    • 08:43:16 – इंजन थ्रस्ट कम हुआ
    • 08:43:18 – विमान ने नीचे गिरना शुरू किया

4. वीडियो/ऑडियो सिमुलेशन (Reconstruction)

  • कुछ एजेंसियाँ सॉफ्टवेयर के ज़रिए हादसे का 3D एनिमेटेड सिमुलेशन भी बनाती हैं, ताकि हर डाटा-पॉइंट और संवाद को विज़ुअल रूप में देखा जा सके।

5. विशेषज्ञों की व्याख्या

  • एविएशन साइकोलॉजिस्ट, टेक्निकल इंजीनियर और पायलट एक्सपर्ट्स जांच करते हैं कि:
    • पायलट ने सही रिएक्शन दिया या नहीं?
    • सॉफ्टवेयर/सिस्टम में चूक थी या इंसानी भूल?

📑 अंतिम रिपोर्ट में क्या शामिल होता है?

  • FDR और CVR की संयुक्त रिपोर्ट
  • हर सेकंड की तकनीकी और संवाद आधारित टाइमलाइन
  • सुझाव कि हादसे को रोका जा सकता था या नहीं