Friday, October 18, 2024
Sanjay Mishra birthday
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संजय मिश्रा एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता हैं, जो हिंदी सिनेमा और टेलीविज़न में अपने बेहतरीन अभिनय के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने 1995 में टेलीविज़न शो चाणक्य से अपने करियर की शुरुआत की, और इसके बाद फिल्मों में भी पहचान बनाई। उनकी हास्य भूमिकाएँ जैसे गोलमाल सीरीज में और गंभीर किरदारों जैसे आँखों देखी में उनकी अदाकारी को बहुत सराहा गया है।

संजय मिश्रा की खासियत उनकी वर्सटैलिटी और विभिन्न शैलियों में उनके अद्वितीय प्रदर्शन में है। वे एक ऐसे अभिनेता हैं जिन्होंने अपने किरदारों में गहराई और सजीवता को उभारा है, चाहे वो कॉमेडी हो या ड्रामा।

नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में संजय मिश्रा

संजय मिश्रा नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) के पूर्व छात्र हैं, जो भारत के प्रतिष्ठित नाट्य संस्थानों में से एक है। उन्होंने यहां से नाट्य कला का प्रशिक्षण प्राप्त किया, जिसने उनके अभिनय करियर को गहराई और विविधता प्रदान की। एनएसडी में अपने समय के दौरान, संजय मिश्रा ने नाटकों और थिएटर की बारीकियों को सीखा, जो बाद में उनकी फिल्मों और टेलीविज़न में बेहतरीन अदाकारी में परिलक्षित हुआ।

एनएसडी ने उनकी अभिनय यात्रा की नींव रखी और उन्हें रंगमंच और फिल्मों में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाने का मौका दिया।

संजय मिश्रा चाणक्य से लेकर बॉलीवुड तक

संजय मिश्रा का करियर थिएटर और सिनेमा दोनों में व्यापक है, जो एनएसडी से शुरू होकर बॉलीवुड तक फैला हुआ है। अपने शुरुआती करियर में उन्होंने डीडी नेशनल के प्रसिद्ध शो “चाणक्य” में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस धारावाहिक में संजय मिश्रा के अभिनय को सराहा गया, जो भारतीय इतिहास पर आधारित था। यहाँ से उनकी पहचान एक गंभीर अभिनेता के रूप में बनी।

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इसके बाद, संजय मिश्रा ने बॉलीवुड में कदम रखा और फिल्मों में हास्य और गंभीर भूमिकाओं के साथ अपना अनूठा स्थान बनाया। उनके अभिनय की बहुमुखी प्रतिभा को “ऑल द बेस्ट”, “गोलमाल”, “फंस गए रे ओबामा”, और “आंखों देखी” जैसी फिल्मों में देखा जा सकता है। खासकर “आंखों देखी” में उनकी दमदार परफॉर्मेंस ने उन्हें भारतीय सिनेमा में एक विशेष स्थान दिलाया, जहां उन्हें उनकी गहरी और भावनात्मक भूमिकाओं के लिए भी जाना जाने लगा।

बॉलीवुड में उनकी यात्रा रंगमंच और टीवी के अनुभवों से भरी रही, जिसने उन्हें एक उत्कृष्ट कलाकार के रूप में स्थापित किया।

संजय मिश्रा कॉमेडी और गंभीर किरदारों में महारत

संजय मिश्रा एक ऐसे अभिनेता हैं, जिन्होंने कॉमेडी और गंभीर किरदारों में समान महारत हासिल की है। उनका अभिनय सशक्त, संवेदनशील और प्रभावशाली होता है, चाहे वह कॉमेडी में हो या ड्रामा में।

कॉमेडी में संजय मिश्रा का करियर बहुत सफल रहा है। उन्होंने कई कॉमेडी फिल्मों में शानदार भूमिकाएं निभाई हैं, जिनमें से कुछ उल्लेखनीय फिल्में हैं:

  • “गोलमाल” श्रृंखला: जहां उन्होंने ‘बाबली भैया’ का किरदार निभाया, जिसने दर्शकों को हंसाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
  • “धमाल” और “ऑल द बेस्ट” जैसी फिल्मों में उनका हास्य अभिनय बहुत सराहा गया।

उनकी कॉमिक टाइमिंग और सहजता उनके किरदारों में जान डाल देती है। उनका अभिनय स्वाभाविक और आसान लगता है, जो दर्शकों को उनसे जोड़ता है।

गंभीर किरदारों में भी संजय मिश्रा ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। उनकी फिल्म “आंखों देखी” में उनका किरदार ‘बाऊजी’ बेहद गहराई वाला और भावनात्मक था। इस फिल्म में उनके द्वारा निभाया गया एक बुजुर्ग व्यक्ति का किरदार, जो अपनी जिंदगी को एक नए दृष्टिकोण से देखने का फैसला करता है, दर्शकों को काफी प्रभावित करता है। इसके अलावा, “कड़वी हवा” जैसी फिल्मों में उन्होंने सामाजिक मुद्दों को संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत किया।

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संजय मिश्रा की यह विशेषता है कि वह किसी भी किरदार को इतनी सरलता और सच्चाई से निभाते हैं कि वह वास्तविक लगता है। यही कारण है कि वे कॉमेडी और गंभीर भूमिकाओं में दोनों में माहिर हैं।

संजय मिश्रा बनारस की गलियों से बॉलीवुड तक

संजय मिश्रा का सफर बनारस की गलियों से शुरू होकर बॉलीवुड की चमक-दमक तक पहुंचने की एक प्रेरणादायक कहानी है। बनारस के एक साधारण परिवार में जन्मे संजय मिश्रा का बचपन एक मध्यम वर्गीय परिवेश में गुजरा। उन्होंने अभिनय की शुरुआती शिक्षा नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD), दिल्ली से प्राप्त की, जहां उनकी अभिनय क्षमता और कला की समझ को एक नई दिशा मिली।

संजय मिश्रा का संघर्षपूर्ण दौर मुंबई में तब शुरू हुआ जब वे बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने के लिए आए। शुरुआत में उन्होंने छोटे-छोटे टीवी धारावाहिकों में काम किया, जिनमें “ऑफिस ऑफिस” (जिसमें उन्होंने शुक्लाजी का यादगार किरदार निभाया) बहुत लोकप्रिय हुआ।

इसके बाद फिल्मों में उन्हें छोटे और सहायक किरदार मिले, लेकिन उनका असली ब्रेक फिल्म “गोलमाल” से हुआ, जिसमें उनके कॉमेडी रोल ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई। इसके बाद उन्होंने “आंखों देखी” जैसी गंभीर फिल्मों में भी अपने अभिनय का लोहा मनवाया।

संजय मिश्रा का बनारस से मुंबई तक का सफर उनकी मेहनत, संघर्ष और अभिनय के प्रति समर्पण की कहानी है, जो यह दिखाता है कि एक साधारण पृष्ठभूमि से आकर भी अगर मेहनत की जाए, तो बड़े सपने पूरे हो सकते हैं।

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संजय मिश्रा फर्श से अर्श तक का सफर

संजय मिश्रा का फर्श से अर्श तक का सफर एक बेहतरीन प्रेरणादायक कहानी है, जो उनकी कड़ी मेहनत, संघर्ष और कभी न हार मानने वाली सोच को दर्शाता है। बनारस के साधारण परिवार से आने वाले संजय मिश्रा का बॉलीवुड तक का सफर आसान नहीं था। उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) से अभिनय की शिक्षा प्राप्त की, जो उनके करियर का एक महत्वपूर्ण कदम था।

मुंबई आने के बाद, संजय ने छोटे-मोटे कामों से शुरुआत की, और कई बार संघर्ष किया, यहां तक कि उन्हें कुछ समय तक सड़क किनारे भी रहना पड़ा। उनकी पहली बड़ी पहचान टीवी शो “ऑफिस ऑफिस” में शुक्लाजी के किरदार से मिली, जिसने उन्हें दर्शकों के दिलों में जगह दिलाई। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में छोटे-मोटे कॉमेडी रोल किए, परंतु उनका असली ब्रेक मिला “गोलमाल” फिल्म में, जिससे उन्हें बड़ी पहचान मिली।

हालांकि, “आंखों देखी” जैसी फिल्मों में उनके गहरे और गंभीर किरदार ने साबित किया कि वह सिर्फ कॉमेडी में ही नहीं, बल्कि गंभीर अभिनय में भी माहिर हैं। उनकी इस फिल्म को आलोचकों से काफी सराहना मिली और इसे उनके करियर का महत्वपूर्ण मोड़ माना जाता है।

संजय मिश्रा की सफलता का राज उनकी लगन और धैर्य है। वे हर चुनौती को स्वीकार करते हुए आगे बढ़े और अपने आपको एक बहुमुखी अभिनेता के रूप में स्थापित किया।