धार्मिक

सावन आने वाला है…नोट कर लें रुद्राभिषेक की तारीखें, पूरे साल मेहरबान रहेंगे महादेव

सावन (श्रावण मास) भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इस दौरान रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता है। 2025 में सावन 14 जुलाई (सोमवार) से शुरू होकर 11 अगस्त (सोमवार) तक रहेगा। इस बार सावन में 5 सोमवार पड़ेंगे, जो अत्यंत शुभ माने जा रहे हैं।

🌿 2025 सावन के सोमवार (रुद्राभिषेक के श्रेष्ठ दिन):

  1. 14 जुलाई – पहला सोमवार
  2. 21 जुलाई – दूसरा सोमवार
  3. 28 जुलाई – तीसरा सोमवार
  4. 4 अगस्त – चौथा सोमवार
  5. 11 अगस्त – पाँचवां सोमवार

🕉️ रुद्राभिषेक के दौरान कौन-कौन से पदार्थ अर्पित करें:

  • गंगाजल
  • दूध
  • दही
  • घी
  • शहद
  • शक्कर
  • बेलपत्र, भांग, धतूरा
  • चंदन व भस्म

✨ रुद्राभिषेक का लाभ:

  • जीवन में कष्ट और रोगों से मुक्ति
  • विवाह में आ रही बाधा दूर होती है
  • आर्थिक स्थिति मजबूत होती है
  • पितृदोष और कालसर्प दोष से राहत

आप चाहें तो हर सोमवार “ॐ नमः शिवाय” का जाप करते हुए अभिषेक कर सकते हैं, या किसी शिव मंदिर में रुद्राभिषेक करवा सकते हैं।

सावन सोमवार रुद्राभिषेक की संपूर्ण पूजा विधि नीचे दी गई है, जिसे आप घर या मंदिर में पालन कर सकते हैं:


🌅 पूजा से पहले की तैयारी:

  • सुबह स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें (सफेद या पीला शुभ)
  • पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें
  • शिवलिंग को साफ जल से धोकर स्वच्छ करें
  • सभी पूजन सामग्री पास रखें:
    🔹 जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर
    🔹 बेलपत्र, धतूरा, भांग, आक, चंदन
    🔹 अक्षत, फूल, फल, भस्म, पंचामृत, धूप, दीप, अगरबत्ती

🕉 रुद्राभिषेक पूजा विधि:

  1. ध्यान करें
    – शिवजी का ध्यान करें:
    ॐ नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें
  2. शुद्धिकरण
    – गंगाजल या शुद्ध जल से शिवलिंग को स्नान कराएं
  3. पंचामृत से अभिषेक करें
    – दूध, दही, घी, शहद और शक्कर मिलाकर पंचामृत तैयार करें
    – इस पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें
  4. फिर जल से स्नान
    – पंचामृत के बाद फिर से जल अर्पित करें
  5. अन्य सामग्री अर्पण
    – बेलपत्र (तीन पत्तियों वाला), भांग, धतूरा, चंदन, फूल आदि चढ़ाएं
    – भस्म (विभूति) अर्पित करें
  6. धूप-दीप आरती करें
    – कपूर जलाकर आरती करें और शिव चालीसा या शिव तांडव स्तोत्र पढ़ें
  7. प्रार्थना और प्रसाद
    – भगवान से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें
    – फल, मिष्ठान्न या पंचामृत को प्रसाद रूप में बांटें

✨ विशेष मंत्र जो रुद्राभिषेक में बोले जाते हैं:

  • महामृत्युंजय मंत्र:
    ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
  • रुद्राभिषेक मंत्र (अभिषेक करते समय):
    ॐ नमः शिवाय
    ॐ रुद्राय नमः
    ॐ शंभवे नमः
    ॐ नीलकंठाय नमः

सावन सोमवार व्रत कथा भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने हेतु कही जाती है। यह कथा न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि श्रद्धा और आस्था का प्रतीक भी है।


🌿 सावन सोमवार व्रत कथा (संक्षिप्त रूप):

बहुत समय पहले की बात है, एक नगर में एक व्यापारी रहता था। वह शिवभक्त था और प्रतिवर्ष सावन के सोमवार का व्रत करता था। परंतु उसकी कोई संतान नहीं थी, जिससे वह बहुत दुखी रहता था।

एक दिन उसने शिवलिंग का रुद्राभिषेक करते हुए भगवान शिव से पुत्र की कामना की। प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और बोले – “तुम्हें एक पुत्र होगा, लेकिन उसकी आयु केवल 12 वर्ष की होगी।”

व्यापारी और उसकी पत्नी ने यह स्वीकार कर लिया और कुछ समय बाद उन्हें एक सुंदर पुत्र प्राप्त हुआ। उन्होंने उसका लालन-पालन पूरे प्रेम और भक्ति के साथ किया। जैसे-जैसे बालक बड़ा हुआ, उसे शिवजी की भक्ति और सोमवार व्रत करने की प्रेरणा दी गई।

जब वह 12 वर्ष का होने वाला था, तब माता-पिता ने उसे काशी पढ़ाई के लिए भेजा और शिवजी की शरण में उसकी रक्षा की प्रार्थना की।

काशी में बालक ने भी पूरी श्रद्धा से हर सोमवार को व्रत रखा और रुद्राभिषेक करता रहा। उसकी भक्ति देखकर यमराज भी द्रवित हो गए और उसकी मृत्यु का समय आगे बढ़ा दिया।

शिवजी की कृपा से वह बालक दीर्घायु हुआ और एक ज्ञानी तथा धर्मनिष्ठ पुरुष बना।


🙏 व्रत कथा से सीख:

  • भगवान शिव सच्ची भक्ति और श्रद्धा से जल्दी प्रसन्न होते हैं।
  • सावन सोमवार का व्रत श्रद्धापूर्वक करने से आयु, सुख, संतान, और सफलता की प्राप्ति होती है।

📜 पारंपरिक समापन वाक्य (व्रत कथा के अंत में बोला जाता है):

“इस प्रकार जो श्रद्धा भाव से सावन सोमवार की कथा सुनता है और व्रत करता है, उसे शिवजी की कृपा से समस्त मनोरथ की प्राप्ति होती है।”