धार्मिक

साढ़ेसाती और ढैय्या वाले लोग शनिवार को भूलकर भी ना खाएं ये चीजें, जानें क्या करें और क्या नहीं

साढ़ेसाती और ढैय्या वाले लोग शनिवार को भूलकर भी न खाएं ये चीजें, जानें क्या करें और क्या नहीं

शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या जीवन में कई बार कठिनाइयाँ और मानसिक तनाव लेकर आती है। यह समय शनि देव की विशेष कृपा पाने का भी मौका होता है, यदि व्यक्ति सही कर्म और आहार-विहार को अपनाए। खासकर शनिवार के दिन कुछ चीजों का सेवन वर्जित माना गया है।


🔴 शनिवार को जिन चीजों से बचना चाहिए (क्या न खाएं):

  1. मांसाहार और शराब – ये तमोगुणी आहार हैं, जो शनि की दृष्टि को और भी कठोर बना सकते हैं।
  2. तिल के अलावा अन्य तेल में तली चीजें – शनि देव को तिल का तेल प्रिय है, लेकिन सरसों आदि तेलों में तली चीजें सेहत और ऊर्जा पर प्रतिकूल असर डाल सकती हैं।
  3. काले चने को बिना भोग लगाए न खाएं – काले चने शनि देव को प्रिय हैं, इन्हें सीधे खाने की बजाय भोग लगाकर प्रसाद के रूप में लें।
  4. नमक युक्त भोजन – शनिदेव के पूजन वाले दिन विशेष रूप से व्रत रखने वाले लोग नमक नहीं खाते।
  5. खट्टी चीजें – जैसे इमली, अचार, नींबू आदि शनि पूजा के दिन त्याज्य मानी जाती हैं।

शनिवार को क्या करना चाहिए (क्या खाएं व करें):

  1. सात्विक भोजन करें – खिचड़ी, तिल का लड्डू, उबले चने, मूंग की दाल, सादा भोजन ग्रहण करें।
  2. तिल व तिल के तेल का उपयोग करें – स्नान से लेकर भोजन तक तिल का प्रयोग शुभ फल देता है।
  3. शनि मंदिर जाएं या पीपल वृक्ष की पूजा करें – जल चढ़ाएं, दीपक जलाएं और ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का जाप करें।
  4. गरीबों, विकलांगों को दान दें – काला कपड़ा, काले तिल, चप्पल, लोहे का सामान आदि का दान शुभ होता है।
  5. शनि चालिसा या दशरथ रचित शनि स्तोत्र का पाठ करें – इससे मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

विशेष सुझाव: अगर शनि की महादशा, साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव अधिक है, तो किसी ज्योतिषाचार्य से व्यक्तिगत परामर्श लेना लाभदायक रहेगा।

शनिवार के दिन शनि देव की कृपा पाने के लिए कुछ विशेष शुभ उपाय बहुत प्रभावशाली माने जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति साढ़ेसाती, ढैय्या या शनि की महादशा से पीड़ित हो, तो ये उपाय विशेष रूप से लाभदायक होते हैं:


शनिवार के शुभ उपाय

  1. पीपल के वृक्ष की पूजा करें
    • प्रातःकाल पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाएं।
    • सरसों के तेल का दीपक जलाएं और सात बार परिक्रमा करें।
    • “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करें।
  2. काले तिल और तेल का दान करें
    • किसी गरीब, वृद्ध या विकलांग को काले तिल, तिल का तेल, काला कपड़ा, चप्पल, या लोहे का सामान दान करें।
  3. शनि चालिसा या दशरथ रचित शनि स्तोत्र का पाठ करें
    • शांति और शनिदेव की कृपा के लिए प्रतिदिन या कम से कम शनिवार को पाठ करें।
  4. काले कुत्ते, कौवे या गरीबों को भोजन कराएं
    • ये शनि के प्रतीक माने जाते हैं। इनके माध्यम से शनि की दृष्टि शांत होती है।
  5. नीलम रत्न (Blue Sapphire) पहनना चाहते हैं?
    • बिना ज्योतिष परामर्श के न पहनें। पहले एक सप्ताह तक ट्रायल करें, फिर ही धारण करें।
  6. हनुमान जी की आराधना करें
    • शनि से जुड़े कष्टों से हनुमान जी रक्षा करते हैं।
    • बजरंग बाण या हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  7. शनि अमावस्या या शनि जयंती पर विशेष पूजा करें
    • इन अवसरों पर शनि मंदिर में जाकर विशेष पूजन, तेल अभिषेक और दान करने से शुभ फल मिलता है।

शनिदेव की पूजा विशेष रूप से शनिवार के दिन की जाती है। यह पूजा यदि विधिपूर्वक की जाए तो साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष से राहत मिलती है। नीचे दी गई है शनि पूजा की संपूर्ण विधि:


🕉️ शनि पूजा विधि (Shani Puja Vidhi)

🔹 पूजा का समय:

  • सुबह 6–8 बजे या शाम 5–7 बजे, विशेषकर शनिवार को।
  • अमावस्या या शनि जयंती पर विशेष फलदायी मानी जाती है।

🔸 पूजा सामग्री:

  • काले तिल
  • तिल का तेल
  • लोहे का दीपक या कटोरी
  • काला कपड़ा
  • नीले या काले फूल
  • सरसों के तेल का दीपक
  • मूंग, उड़द, चना
  • अक्षत (चावल), जल, पंचामृत
  • धूप, दीप, अगरबत्ती, नैवेद्य
  • शनि मंत्रों की पुस्तक या शनि चालिसा

🔹 पूजा की विधि:

  1. स्नान करके साफ काले या नीले वस्त्र पहनें।
  2. शनि देव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
    • यदि घर में नहीं है तो शनि मंदिर में जाएं या पीपल वृक्ष के नीचे पूजा करें।
  3. जल, अक्षत, पुष्प आदि से शनि देव को अभिषेक करें।
  4. सरसों के तेल का दीपक जलाएं, लोहे की कटोरी में रखें और काले तिल डालें।
  5. काले तिल और उड़द दाल चढ़ाएं
  6. शनि मंत्रों का जप करें:
    • ॐ शं शनैश्चराय नमः” – कम से कम 108 बार जपें
    • या “नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
      छायामार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
  7. शनि चालिसा या दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें।
  8. भोग चढ़ाएं: गुड़-चना, तिल के लड्डू, खिचड़ी आदि।
  9. आरती करें:
    • “जय जय शनिदेव, जय शनिदेव…” की आरती करें।
  10. प्रसाद सभी में बांटें और अंत में स्वयं लें।

❗ विशेष सावधानियां:

  • शनिवार को मांस, शराब, और कटु भाषण से बचें।
  • किसी गरीब या विकलांग को दान करें – काले तिल, तेल, लोहे की वस्तु, काला कपड़ा आदि।