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Shanivar Vrat Katha : शनिवार की व्रत कथा, सुनने से राजा विक्रमादित्य की तरह आपको भी मिलेगी शनि की वक्र दृष्टि से मुक्ति

यहाँ शनिवार व्रत की लोकप्रिय व्रत कथा प्रस्तुत है, जिसे सुनने और श्रद्धा से पालन करने पर माना जाता है कि शनि की वक्र दृष्टि से मुक्ति मिलती है। इस कथा का संबंध प्रसिद्ध राजा विक्रमादित्य से है।


🌑 शनिवार व्रत कथा (Shanivar Vrat Katha in Hindi)

बहुत पुरानी बात है। उज्जैन नगरी में राजा विक्रमादित्य राज्य करते थे। वे न्यायप्रिय, प्रजावत्सल और धार्मिक राजा थे। एक बार उनके दरबार में नौ ग्रहों के गुण-दोष पर चर्चा हो रही थी। उस चर्चा में सभी ग्रहों की तुलना की गई, लेकिन शनि देव का स्थान सबसे नीचे रखा गया। यह देखकर शनि देव क्रोधित हो गए और उन्होंने राजा विक्रमादित्य को दंड देने का निश्चय किया।

कुछ समय बाद, एक दिन राजा विक्रमादित्य अपने राज्य से बाहर गए और रास्ते में भटककर एक दूसरे राज्य में पहुंच गए। वहाँ उन्हें पहचान नहीं मिली और उन्हें एक तेली के यहाँ नौकरी करनी पड़ी। शनि देव की कृपा से उनकी पहचान छिप गई और उन्हें तेल पीसने का काम करना पड़ा। इस प्रकार वे वर्षों तक कष्ट झेलते रहे।

फिर एक दिन शनिवार को, राजा विक्रमादित्य को एक साधु मिले जिन्होंने उन्हें शनिदेव की सच्ची पूजा और व्रत करने का उपाय बताया। राजा ने श्रद्धा पूर्वक शनिवार का व्रत रखा, शनिदेव की कथा सुनी और उन्हें तैल, काला तिल, काली वस्तुएं और लोहे का दान किया।

इससे प्रसन्न होकर शनि देव ने उन्हें उनकी पहचान और राज्य लौटा दिया। तब से यह मान्यता बन गई कि जो भक्त शनिवार का व्रत करता है, कथा सुनता है और शनि देव को प्रसन्न करता है, उसे कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति प्राप्त होती है।


🛐 शनिवार व्रत करने की विधि:

  • सुबह स्नान कर साफ वस्त्र पहनें।
  • काले तिल, तेल, काले कपड़े, लोहे का दान करें।
  • व्रत कथा का श्रवण या पाठ करें।
  • “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप करें।

🪔 शनिवार व्रत करने की विधि:

1. प्रातःकाल की तैयारी

  • सूर्योदय से पूर्व उठें और स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें (काले या नीले वस्त्र शुभ माने जाते हैं)।
  • पूजा स्थान को साफ करें और शनि देव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

2. पूजन सामग्री तैयार करें

  • काला तिल
  • काले कपड़े
  • सरसों का तेल
  • नीले फूल
  • लोहे का दीपक
  • कपूर, धूप, अगरबत्ती
  • नारियल, गुड़, काले चने
  • शुद्ध जल, गंगाजल

3. पूजा विधि

  • सबसे पहले गणेश जी का पूजन करें।
  • फिर शनि देव का ध्यान करें और नीचे दिए गए मंत्र से पूजा प्रारंभ करें: मंत्र:
    ॐ शं शनैश्चराय नमः – इस मंत्र का 108 बार जप करें।
  • शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाएं।
  • लोहे के दीये में सरसों का तेल डालकर दीपक जलाएं।
  • काले तिल अर्पित करें, नीले फूल चढ़ाएं।
  • शनिदेव की व्रत कथा सुनें या पढ़ें।

4. उपवास विधि

  • दिन भर उपवास रखें (जलाहार या फलाहार कर सकते हैं)।
  • एक समय भोजन करें – वह भी बिना लहसुन-प्याज का सादा भोजन हो।
  • क्रोध, झूठ, अन्याय और कटु वचन से बचें।

5. दान और सेवा

  • किसी जरूरतमंद को काले वस्त्र, काला तिल, तेल, लोहे की वस्तु और अन्न का दान करें।
  • गाय, कुत्ता या कौए को रोटी या भोजन दें।

6. शाम की पूजा

  • संध्या को पुनः शनि देव की पूजा करें और दीपक जलाएं।
  • शनिदेव की आरती करें: “जय जय श्री शनिदेव, दया करो मुझ पर।
    संकट से अब बचाओ, चरणों में दो ठौर।…”

📅 व्रत की अवधि

  • यह व्रत कम से कम 11 शनिवार या लगातार 51 शनिवार तक किया जा सकता है।
  • मनोकामना पूर्ण होने पर उड़द दाल की खिचड़ी बनाकर गरीबों में बांटें।

यह रही श्री शनिदेव की आरती, जिसे शनिवार को पूजा के अंत में गाकर शनिदेव की कृपा प्राप्त की जाती है:


🙏 श्री शनिदेव की आरती 🙏

(आरती श्री शनिदेव जी की)

जय जय श्री शनिदेव, प्रभु जय जय श्री शनिदेव।
दीनन के तुम दाता, दुखियों के भाग्य लेख॥
जय जय श्री शनिदेव…

काला वस्त्र धारण करते, नीला रथ है सवारी।
श्याम रूप है भयंकर, दृष्टि है बड़ी ही भारी॥
जय जय श्री शनिदेव…

कृपा दृष्टि जिन पर डालो, रंक से राजा बनते।
सब दुख और कष्ट टलें, सुख संपत्ति मिलते॥
जय जय श्री शनिदेव…

कसौटी पर जो परखे, वह न्याय तुम्हारा।
भय मिटता तुम्हारा स्मरण, करुणा हो अपार॥
जय जय श्री शनिदेव…

जो भक्त शनिवार को, व्रत नित्य निवाहे।
धूप, दीप, नैवेद्य चढ़ाए, प्रेम सहित तुम्हें चाहे॥
जय जय श्री शनिदेव…

अंत काल को जो ध्यावे, भवसागर तर जावे।
शरण पड़े तेरी प्रभु, उसके कष्ट मिटावे॥
जय जय श्री शनिदेव…


इस आरती को शनिवार को पूजा के अंत में दीप जलाकर गाएं, और मन से प्रार्थना करें। शनि देव प्रसन्न होकर जीवन से कष्ट, बाधा, रोग और दरिद्रता दूर करते हैं।