इस मंदिर में बस एक बार मांग लीजिए मन्नत, 24 से 36 घंटे में हो जाएगी पूरी! PM मोदी के लिए भी हो चुका है यज्ञ
सुरकंडा देवी मंदिर से जुड़ी यह लोक मान्यता बेहद लोकप्रिय है कि यहां बस एक बार सच्चे मन से मन्नत मांग ली जाए, तो वह 24 से 36 घंटे के भीतर पूरी हो जाती है। यही कारण है कि यह मंदिर केवल तीर्थयात्रियों के लिए नहीं, बल्कि हर आस्तिक के लिए आस्था का केंद्र बन चुका है।
🔱 खास बातें जो इस मान्यता को मजबूत करती हैं:
- मन्नत पूरी होने का चमत्कारिक अनुभव:
हजारों श्रद्धालुओं ने यह दावा किया है कि उन्होंने जो भी मन्नत मांगी — चाहे वह नौकरी, स्वास्थ्य, विवाह या संतान से जुड़ी हो — माता ने 1-2 दिन में उसका संकेत या समाधान दे दिया। - यज्ञ और विशेष अनुष्ठान:
इस मंदिर में पीएम नरेंद्र मोदी के लिए विशेष यज्ञ किए जा चुके हैं, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे। इसके बाद से यहां राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से भी बड़ी श्रद्धा देखी गई है। - सच्ची श्रद्धा = तुरंत फल:
स्थानीय पुजारियों का भी कहना है कि यह शक्ति पीठ “कर्मफल देने वाली देवी” का स्थान है — यानी जो जैसा भाव लेकर आता है, माता वैसा ही फल देती हैं।
🌼 लोक मान्यता का सार:
“मन में एक बार भरोसे से मांगा हुआ वरदान — सुरकंडा माता तुरन्त स्वीकार करती हैं।”
सुरकंडा देवी की विशेष पूजा विधि शक्ति, श्रद्धा और नियमों का संगम है। यह पूजा साधक को मानसिक, आध्यात्मिक और पारिवारिक उन्नति देती है। नीचे चरणबद्ध विधि दी गई है:

🔱 सुरकंडा देवी पूजा विधि (घर या मंदिर में)
1. स्नान और शुद्धि
- सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करें।
- साफ वस्त्र पहनें (लाल या पीले रंग को शुभ माना जाता है)।
- पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
2. माता का आवाहन
- दीपक जलाएं और घंटी बजाकर माता का आह्वान करें।
- “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र का जाप करें।
3. पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा
- माता को रोली, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें।
- विशेष नैवेद्य: नारियल, गुड़, और हलवा या पुए।
4. मंत्र जाप व आरती
- 108 बार देवी मंत्र का जाप करें: ॐ सुरकांडा देव्यै नमः
- फिर माता की आरती करें: “जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी…”
5. मन्नत या प्रार्थना
- सच्चे मन से अपनी मन्नत माँगे।
- यदि किसी विशेष कार्य के लिए पूजा कर रहे हों, तो उसे स्पष्ट करें।
6. पालना या चुनरी चढ़ाना (स्थानीय परंपरा)
- मन्नत पूरी होने पर लकड़ी का पालना या माता की चुनरी चढ़ाने का रिवाज है।
- मंदिर में जाकर मन्नत पूरी होने पर भंडारे या कन्या पूजन का आयोजन भी होता है।
🙏 विशेष तिथि पर पूजा:
- नवरात्रि, अष्टमी, पूर्णिमा, और शनि अमावस्या को सुरकंडा देवी की पूजा विशेष फलदायक मानी जाती है।
सुरकंडा देवी मंदिर में मन्नत मांगने की परंपरा अत्यंत प्राचीन और श्रद्धा से भरी हुई है। इस परंपरा के पीछे जनविश्वास यह है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी इच्छा माता अवश्य पूरी करती हैं — और वह भी बहुत कम समय में।
🌸 मन्नत मांगने की पारंपरिक विधि:
- पहली बार दर्शन पर ही श्रद्धालु अपनी मनोकामना देवी को बताते हैं।
- माता के समक्ष दीपक जलाकर, हाथ जोड़कर मन में या मौखिक रूप से मन्नत माँगी जाती है।
- साथ ही एक वचन दिया जाता है कि “मनोकामना पूरी होने पर मैं यह चढ़ावा चढ़ाऊंगा या यह सेवा करूंगा।”
🙏 मन्नत पूरी होने पर निभाई जाती है ये परंपराएं:
- लकड़ी का पालना चढ़ाना:
खासकर संतान की मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु मंदिर में पालना चढ़ाते हैं। - चुनरी चढ़ाना:
श्रद्धालु देवी को लाल या पीली चुनरी अर्पित करते हैं। - नारियल या प्रसाद अर्पित करना:
मन्नत पूरी होने पर माता को विशेष नारियल, मिठाई और फल अर्पण किए जाते हैं। - भंडारा या कन्या पूजन:
कुछ लोग श्रद्धापूर्वक भंडारा करवाते हैं या कन्या पूजन करते हैं।
💬 लोक मान्यता:
“जो भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है, सुरकंडा माता उसकी बात ज़रूर सुनती हैं — वह भी 24 से 36 घंटे के भीतर कोई संकेत ज़रूर देती हैं।”
सुरकंडा देवी मंदिर से जुड़े कई चमत्कारी अनुभव वर्षों से श्रद्धालुओं के बीच लोककथाओं और साक्षात्कारों के माध्यम से प्रसारित होते आ रहे हैं। लोग कहते हैं कि यह मंदिर केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि चमत्कारों की भूमि है।
🌟 प्रसिद्ध चमत्कारी अनुभव:
1. हकलाने की समस्या दूर हुई
कई अभिभावकों ने यह अनुभव साझा किया है कि जब उनके बच्चे ठीक से बोल नहीं पाते थे (हकलाना या बोलने में रुकावट), तो उन्होंने सुरकंडा देवी मंदिर में आकर मन्नत मांगी। मन्नत के बाद, बच्चों की वाणी साफ और स्पष्ट हो गई। इसके बाद वे लकड़ी का पालना चढ़ाने मंदिर आए।
2. बीमारी से चमत्कारी ठीक होना
एक महिला भक्त ने साझा किया कि उनके पति को गंभीर बीमारी थी और डॉक्टर जवाब दे चुके थे। उन्होंने मंदिर में 5 दिन तक पूजा की और माता से प्रार्थना की। कुछ ही समय में बिना इलाज के स्वास्थ्य में सुधार हुआ, और आज वह पूरी तरह स्वस्थ हैं।
3. संतान प्राप्ति की मन्नत पूरी होना
कई श्रद्धालुओं का अनुभव है कि संतान न होने की दशा में उन्होंने सुरकंडा देवी से मन्नत मांगी। एक वर्ष के भीतर उन्हें संतान की प्राप्ति हुई और वे माता को पालना और चुनरी चढ़ाने वापस लौटे।
4. रोजगार व विवाह से जुड़े चमत्कार
कई भक्तों ने बताया कि उन्हें नौकरी या विवाह में लगातार अड़चनें आ रही थीं। मंदिर में जाकर विशेष पूजा और मन्नत लेने के बाद, कुछ ही समय में अच्छा प्रस्ताव मिला और कार्य सिद्ध हुआ।
🛐 देवी का संदेश:
भक्तों का मानना है कि सुरकंडा माता चुपचाप चमत्कार करती हैं, लेकिन जो लोग विश्वास से आए, उन्हें कभी निराश नहीं लौटाया।