Friday, October 18, 2024
क्या आपको पता है कि रामलला की बनने वाली मूर्ति की शिला कहां और कैसे मिली
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Ram Lalla Idol : क्या आपको पता है कि रामलला की बनने वाली मूर्ति की शिला कहां और कैसे मिली, ट्रस्ट ने बताई यह बात

अयोध्या में बने नए राम मंदिर में गर्भ ग्रह में रामलला की प्रतिमा स्थापित हो चुकी है. बताया जा रहा है कि यह प्रतिमा 300 करोड़ साल पुरानी चट्टान से बनी है.राम मंदिर ट्रस्ट ने उस चट्टान से जुड़ी जानकारी दी और बताया है कि उन्हें उसके बारे में कैसे पता चला? इसके साथ-साथ रामलला को अब ‘बालक राम’ नाम भी दे दिया गया है.

अयोध्या में अब श्री राम विराजमान हो चुके हैं. सोमवार यानी 22 जनवरी को अपने नए मंदिर में गर्भ ग्रह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है.रामलाल की 51 इंच की विग्रह स्थापित की गई है जिसे मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है जिस शिला को मूर्ति का रूप दिया गया है. उसकी खुदाई मैसूर के एचडी कोटे तालुका में जयापुरा होबली में गुज्जेगौदानपुरा से की गई थी. अब उस पत्थर से जुड़ी एक अहम जानकारी सामने आई है.

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बताया जा रहा है कि राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से जी चट्टान से पत्थर की मूर्ति बनाई गई है. वह तीन अरब साल पुरानी है. मतलब 300 करोड़ साल पुरानी चट्टान से कृष्ण शिला निकाली गई और फिर अरुण योगीराज ने उसको मूर्ति का रूप दिया.

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ट्रस्ट के मुताबिक, यह एक महीन से मध्यम दाने वाली और आसमानी-नीली मेटामर्फिक चट्टान है. इसकी सतह चिकनी होने की वजह से इसे सोपस्टोन कहा जाता है. आमतौर पर सोपस्टोन मूर्तिकारों के लिए मूर्तियां बनाने के लिए आदर्श माना जाता है.

Ram Lalla Idol
क्या आपको पता है कि रामलला की बनने वाली मूर्ति की शिला कहां और कैसे मिली

ट्रस्ट की ओर से यह बताया गया है कि कृष्ण शिला रामदास नमक शक्ति की कृषि भूमि को समतल करते समय मिली थी. एक स्थानीय ठेकेदार जिसने चट्टान के गुणवत्ता को आंका था संपर्क के जरिए इसकी जानकारी मंदिर के ट्रस्टी तक पहुंचाई थी.

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वही अरुण योगीराज ने सोमवार को कहा मैं हमेशा महसूस किया है कि भगवान राम मुझे और मेरे परिवार को बुरे समय से बचा रहे हैं. मेरा विश्वास है कि यह वही थे जिन्होंने मुझे शुभ कार्य के लिए चुना है. उन्होंने कहा की मूर्ति बनाते वक्त काम करते हुए मैं रातों की नींद की परवाह नहीं की.

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा की गई रामलला की मूर्ति को ‘बालक राम’ से जाना जाएगा. इस विग्रह का नाम बालक राम इसलिए रखा गया है कि क्योंकि भगवान पांच साल के बच्चे के रूप में खड़ी मुद्रा में स्थापित किए गए हैं. प्राण प्रतिष्ठा के एक पुजारी अरुण दीक्षित ने कहा है कि भगवान राम की मूर्ति का नाम बालक राम रखा गया है क्योंकि वो एक बच्चे की तरह दिखते हैं, जिनकी उम्र पांच साल है.