Yogini Ekadashi vrat katha : आज है योगिनी एकादशी, बिना कथा के नहीं पूरा होता है व्रत, पढ़िए यहां
🙏 योगिनी एकादशी व्रत कथा: बिना इस पावन कथा के अधूरा है व्रत, जानिए पूरा व्रत महात्म्य
📅 योगिनी एकादशी क्या है?
योगिनी एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह व्रत पापों से मुक्ति, रोगों से राहत और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत कथा का श्रवण/पाठ अनिवार्य होता है।
📖 योगिनी एकादशी की व्रत कथा (Yogini Ekadashi Vrat Katha in Hindi)
🔷 व्रत कथा का आरंभ:
पौराणिक कथा के अनुसार, अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नामक राजा राज्य करता था, जो भगवान शिव का परम भक्त था। उनके दरबार में हेममाली नामक एक यक्ष पुष्प लाकर शिवजी को अर्पित किया करता था।
हेममाली की पत्नी अत्यंत सुंदर और आकर्षक थी। एक दिन जब वह पुष्प लाने गया, तो रास्ते में अपनी पत्नी के मोह में फंसकर, उसने पुष्प अर्पण में विलंब कर दिया।
जब यह बात कुबेर को पता चली, तो वह अत्यंत क्रोधित हुआ और उसने हेममाली को कुष्ठ रोग का श्राप दे दिया।
🔷 श्राप और दुख:
श्राप के कारण हेममाली का शरीर कुरूप हो गया। वह दुखी होकर वन में तप करने चला गया। वहाँ उसने मुनि मार्कंडेय से भेंट की और अपने पाप का प्रायश्चित पूछा।
🔷 मुनि का उपदेश:

मुनि मार्कंडेय ने उसे योगिनी एकादशी व्रत करने की सलाह दी और कहा कि इस व्रत को श्रद्धा से करने पर वह सभी पापों से मुक्त होकर रोगमुक्त हो जाएगा।
हेममाली ने पूरी श्रद्धा से व्रत किया और कथा सुनी। परिणामस्वरूप वह न केवल कुष्ठ रोग से मुक्त हो गया, बल्कि उसे स्वर्ग लोक की प्राप्ति भी हुई।
🌸 व्रत का महात्म्य:
- इस व्रत को करने से 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।
- पापों का नाश होता है और दिव्य शरीर की प्राप्ति होती है।
- यह व्रत विशेष रूप से रोग नाश, स्वास्थ्य, और गृह शांति के लिए फलदायी है।
🛐 योगिनी एकादशी व्रत विधि (संक्षेप में):
- प्रातः स्नान कर निर्जल/सात्विक व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की पूजा करें – तुलसी, धूप, दीप, पुष्प, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
- व्रत कथा का पाठ या श्रवण अनिवार्य रूप से करें।
- अगले दिन द्वादशी पर व्रत का पारण करें – ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन व दान दें।
🌼 योगिनी एकादशी का विस्तार से धार्मिक महत्व
🔯 यह एकादशी क्यों खास मानी जाती है?
योगिनी एकादशी को “सभी पापों के नाश” और शारीरिक रोगों से मुक्ति देने वाली एकादशी कहा गया है। यह आषाढ़ कृष्ण पक्ष में आती है और इसका वर्णन पद्म पुराण में विस्तार से मिलता है।
🌟 भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं युधिष्ठिर को इस व्रत का महत्व बताया था।
🕉️ योगिनी एकादशी व्रत करने से मिलने वाले विशेष लाभ:
- ✅ कुष्ठ रोग जैसी भयंकर बीमारियों से मुक्ति।
- ✅ पूर्व जन्मों के पापों का क्षय।
- ✅ मृत्यु के बाद विष्णुलोक की प्राप्ति।
- ✅ अंतरात्मा की शुद्धि और मन की शांति।
- ✅ 88 हजार ब्राह्मणों को भोज कराने के बराबर पुण्य।
- ✅ मोक्ष प्राप्ति और चंद्रमा के दोषों से मुक्ति।
🌙 योगिनी एकादशी व्रत की संपूर्ण विधि (विस्तार से):
🌅 प्रातः काल:
- स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- घर या मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा/चित्र स्थापित करें।
🪔 पूजा सामग्री:
- तुलसी दल, पीले पुष्प, धूप, दीपक, नैवेद्य, पंचामृत, गंगाजल, दूध
🙏 पूजा विधि:
- विष्णु जी को गंगाजल से स्नान कराएं।
- पीले वस्त्र अर्पण करें।
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें (कम से कम 108 बार)।
- योगिनी एकादशी व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
- आरती करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
🌄 अगले दिन पारण (द्वादशी):
- सूर्योदय के बाद पारण करें।
- ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन, वस्त्र, और दक्षिणा दें।
🪄 सांस्कृतिक मान्यता व रहस्य:
- योगिनी शब्द का अर्थ है – “ऐसी शक्ति जो योग (साधना) के पथ पर ले जाए”।
- यह एकादशी मन और तन दोनों की शुद्धि का प्रतीक है।
- कुछ भक्त इस दिन तुलसी का पौधा घर में रोपते हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है।
✍️ योगिनी एकादशी पर विशेष भक्ति प्रेरणा:
🪔 “जो तन से शुद्ध हो, वह देवता के समीप होता है। योगिनी एकादशी व्रत आत्मा को दर्पण की तरह साफ कर देता है।”