Gyanvapi Case : रिटायरमेंट से पहले वाराणसी के इस जज ने दिया ऐतिहासिक फैसला, इतिहास में हुआ दर्ज

Gyanvapi Case

न्यायिक सेवा के अंतिम दिन बुधवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ज्ञानवापी ऐतिहासिक प्रकरण से संबंधित मुकदमे में आदेश देकर इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए हैं। ज्ञानवापी का पूरा मामला उन्ही के कार्यकाल में ही महत्वपूर्ण पड़ाव से गुजरा।

अब ऐसा प्रतीत होने लगा है कि 355 साल पुराने विवाद का पटाक्षेप भी कानूनी तरीके से जल्द ही होगा। जिला जज डॉक्टर अजय कृष्ण विश्वास ने साल 2021 में 21 अगस्त को जिला जज का कार्यभार संभाला था। साल 2022 को 20 भी को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था की मां श्रृंगार गौरी से संबंधित मुकदमे की सुनवाई जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश करें।

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जिला जज ने यह आदेश दिया था की मां श्रृंगार गौरी का मामला विशेष पूजा स्थल अधिनियम से बाधित नहीं है। जिला जज ने मां श्रृंगार गौरी वाद के साथ 7 अन्य मामलों को भी अपनी कोर्ट में स्थानांतरित कर एक साथ सुनवाई करने का आदेश दिया। जिला जज ने हीं ज्ञानवापी परिसर में साल 2023 में 21 जुलाई को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का सर्वे का आदेश दिया था।

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रिटायरमेंट से पहले वाराणसी के इस जज ने दिया ऐतिहासिक फैसला

जिला जज के आदेश से ही 839 पन्ने की सर्वे रिपोर्ट साल 2024 में 25 जनवरी को पझकारों को मिली और सार्वजनिक हुई। न्यायिक सेवा के अंतिम दिन बुधवार को जिला जज ने हीं ज्ञान वापी स्थित व्यास जी के तहख़ाने में 30 साल बाद दोबारा पूजा पाठ करने का फैसला सुनाया है।

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जिला जज ज्ञानवापी जैसे महत्वपूर्ण प्रकरण से संबंधित प्रार्थना पत्रों में देर रात तक आदेश देने के लिए जाने जाते रहे। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कार्य शैली ऐसी रही की सभी समस्याओं का समाधान वह हमेशा मुस्कुरा कर ही करते रहे। युवा अधिवक्ताओं को काम सीखने के लिए वह लगातार प्रोत्साहित करते रहें और कभी किसी के दबाव में नहीं दिखे।

वह कामकाज के दौरान इतने सख्त रहे कि किसी के मोबाइल की घंटी कोर्ट रूम में बज जाती थी तो उसे जमा करा लेते थे। उन्होंने ही ज्ञानवापी की मीडिया रिपोर्टिंग पर भी रोक लगाई थी। उत्तराखंड के हरिद्वार के मूल निवासी जिला जज को पिछले साल अगस्त महीने में उस समय दुख भी सहन करना पड़ा था, जब उनकी मां का बीमारी के कारण काशी में निधन हो गया था।