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Air India Plane Crash: चंद मिनटों की उड़ान में कैसे उड़े विमान के चिथड़े? हो सकते हैं ये 4 बड़े कारण

किसी विमान का उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों में क्रैश हो जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और चौंकाने वाला होता है। ऐसी घटनाएं आमतौर पर कुछ खास कारणों से होती हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही 4 बड़े संभावित कारण जो इस दुर्घटना के पीछे हो सकते हैं:


1. तकनीकी खराबी (Technical Failure)

विमान के इंजन, हाइड्रोलिक सिस्टम, एविऑनिक्स या किसी महत्वपूर्ण यंत्र में गड़बड़ी हो सकती है। टेकऑफ के दौरान इंजन फेल होना सबसे खतरनाक होता है क्योंकि उस समय स्पीड और ऊंचाई दोनों कम होते हैं।


2. मानव त्रुटि (Human Error)

पायलट या एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से हुई कोई चूक भी हादसे का कारण बन सकती है। जैसे कि गलत कम्युनिकेशन, रनवे पर टेकऑफ की दिशा में गलती, या मौसम की गलत आकलन करना।


3. मौसम की खराबी (Adverse Weather Conditions)

घना कोहरा, बिजली, ओलों की बारिश या तेज़ हवाएं विमान को असंतुलित कर सकती हैं, खासतौर पर टेकऑफ के शुरुआती मिनटों में। बर्फ जमी हो तो विंग्स की लिफ्ट क्षमता कम हो जाती है।


4. बर्ड हिट या ऑब्जेक्ट स्ट्राइक (Bird Hit/Object Strike)

उड़ान के शुरुआती क्षणों में पक्षियों से टकराव आम समस्या है। यदि पक्षी इंजन में चला जाए तो यह उसे तुरंत फेल कर सकता है, जिससे पूरा सिस्टम क्रैश हो सकता है।


इन सभी कारणों की पुष्टि के लिए विस्तृत जांच की आवश्यकता होती है, जिसे DGCA (Directorate General of Civil Aviation) और अन्य एजेंसियां मिलकर करती हैं।

ब्लैक बॉक्स की भूमिका: विमान हादसों की सच्चाई जानने की चाबी

ब्लैक बॉक्स किसी भी विमान हादसे के बाद जांच की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होता है। इसका असली नाम Flight Data Recorder (FDR) और Cockpit Voice Recorder (CVR) होता है, लेकिन इसे आमतौर पर “ब्लैक बॉक्स” कहा जाता है।


🔹 ब्लैक बॉक्स के दो मुख्य हिस्से:

  1. FDR (Flight Data Recorder)
    • यह विमान की तकनीकी जानकारियों को रिकॉर्ड करता है जैसे:
      • गति (Speed), ऊंचाई (Altitude), दिशा (Direction), इंजन की स्थिति, ऑटो पायलट डेटा आदि।
      • हर सेकंड में सैकड़ों पैरामीटर कैप्चर करता है।
  2. CVR (Cockpit Voice Recorder)
    • पायलट और को-पायलट के बीच बातचीत, एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से कम्युनिकेशन, और कॉकपिट के अंदर की आवाजें रिकॉर्ड करता है।
    • इससे यह पता चलता है कि दुर्घटना से पहले पायलटों ने क्या महसूस किया या कहा।

🔹 ब्लैक बॉक्स की खासियत:

  • यह गहरे नारंगी रंग का होता है ताकि मलबे में आसानी से खोजा जा सके।
  • यह 1000°C तक तापमान और 6000 मीटर तक पानी के दबाव को सहन कर सकता है।
  • इसमें एक अंडरवॉटर लोकेटर बीकन होता है, जो 30 दिन तक सिग्नल भेजता है।

🔹 ब्लैक बॉक्स से क्या मदद मिलती है?

  • दुर्घटना के कारणों की सटीक जानकारी मिलती है।
  • पायलट की संभावित गलती, तकनीकी गड़बड़ी या बाहरी हस्तक्षेप का पता चलता है।
  • इससे भविष्य की उड़ानों को सुरक्षित बनाने के लिए सुझाव दिए जाते हैं।

ब्लैक बॉक्स मिल जाने पर जांच एजेंसियां आमतौर पर 30 से 90 दिनों के भीतर प्रारंभिक रिपोर्ट जारी कर देती हैं, लेकिन फाइनल रिपोर्ट आने में कई महीने भी लग सकते हैं।

ब्लैक बॉक्स कैसे काम करता है?
ब्लैक बॉक्स वास्तव में एक उच्च-तकनीकी रिकॉर्डिंग डिवाइस है जो विमान की उड़ान के दौरान हर जरूरी डेटा और आवाजें लगातार रिकॉर्ड करता रहता है। यह हादसे के बाद यह पता लगाने में मदद करता है कि विमान में क्या और क्यों हुआ।


🔹 1. ब्लैक बॉक्स की बनावट:

  • यह आग-रोधी, पानी-रोधी और शॉक-प्रूफ होता है।
  • इसमें दो मुख्य यूनिट होते हैं:
    1. FDR (Flight Data Recorder)
    2. CVR (Cockpit Voice Recorder)
  • बाहरी खोल टाइटेनियम या स्टेनलेस स्टील से बना होता है और अंदर डेटा स्टोर करने के लिए क्रैश-सर्वाइवेबल मेमोरी यूनिट (CSMU) होती है।

🔹 2. डेटा रिकॉर्डिंग कैसे होती है?

✈️ FDR कैसे काम करता है:

  • यह लगभग 88 घंटों तक की उड़ान डेटा को स्टोर कर सकता है।
  • यह प्रति सेकंड 25 बार डेटा कैप्चर करता है — जैसे:
    • गति (airspeed), ऊंचाई (altitude)
    • थ्रस्ट, फ्लैप की स्थिति, इंजन का तापमान
    • जॉयस्टिक मूवमेंट और अन्य नियंत्रण डेटा

🎤 CVR कैसे काम करता है:

  • यह पिछले 2 घंटे की ऑडियो रिकॉर्ड करता है।
  • इसमें रिकॉर्ड होती है:
    • पायलटों की आपसी बातचीत
    • रेडियो ट्रांसमिशन (ATC से बात)
    • कॉकपिट की पृष्ठभूमि ध्वनियाँ (warning alarms, engine noise, इत्यादि)

🔹 3. डेटा कैसे सुरक्षित रहता है?

  • डेटा को नॉन-वोलैटाइल मेमोरी में स्टोर किया जाता है जिसे बिजली कटने पर भी नुकसान नहीं होता।
  • हादसे के बाद, विशेष सॉफ़्टवेयर की मदद से इन डेटा को डिकोड किया जाता है।

🔹 4. लोकेशन ट्रैकिंग (Beacon System):

  • ब्लैक बॉक्स में एक अंडरवॉटर लोकेटर बीकन (ULB) होता है।
  • यह क्रैश के बाद 37.5 kHz की ध्वनि तरंगें (pings) भेजता है।
  • इसकी बैटरी लगभग 30 दिनों तक सक्रिय रहती है।

ब्लैक बॉक्स की मदद से यह स्पष्ट होता है कि विमान दुर्घटना मानव त्रुटि, तकनीकी खामी, या बाहरी कारण से हुई थी या नहीं।