Friday, November 15, 2024
Worship of Mother Brahmacharini
धार्मिक

4 अक्टूबर 2024: द्वितीया – मां ब्रह्मचारिणी की पूजा : नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित, जानें उनका प्रिय भोग, पूजा मंत्र और आरती

शारदीय नवरात्रि 2024 का शुभारंभ 3 अक्टूबर 2024 से होगा और यह उत्सव 11 अक्टूबर 2024 तक चलेगा। यह 9 दिनों का पावन पर्व है, जिसमें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा और आराधना की जाती है। इस दौरान श्रद्धालु उपवास रखते हैं और मां दुर्गा से अपने जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति की कामना करते हैं।

प्रमुख तिथियां:

  1. 3 अक्टूबर 2024: प्रतिपदा – मां शैलपुत्री की पूजा
  2. 4 अक्टूबर 2024: द्वितीया – मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
  3. 5 अक्टूबर 2024: तृतीया – मां चंद्रघंटा की पूजा
  4. 6 अक्टूबर 2024: चतुर्थी – मां कूष्मांडा की पूजा
  5. 7 अक्टूबर 2024: पंचमी – मां स्कंदमाता की पूजा
  6. 8 अक्टूबर 2024: षष्ठी – मां कात्यायनी की पूजा
  7. 9 अक्टूबर 2024: सप्तमी – मां कालरात्रि की पूजा
  8. 10 अक्टूबर 2024: अष्टमी – मां महागौरी की पूजा
  9. 11 अक्टूबर 2024: नवमी – मां सिद्धिदात्री की पूजा
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इस पर्व में हर दिन एक विशेष रूप की पूजा होती है और भक्त अपने घरों में कलश स्थापना, व्रत, और हवन आदि करते हैं। अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है, जिसमें नौ कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर पूजा की जाती है।

दशहरा या विजयादशमी का पर्व भी नवरात्रि के बाद मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

4 अक्टूबर 2024: द्वितीया – मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

4 अक्टूबर 2024 को शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी। इस दिन भक्त मां के इस स्वरूप की आराधना करते हैं, जो संयम, त्याग, और साधना का प्रतीक हैं। मां ब्रह्मचारिणी को देवी पार्वती का वह रूप माना जाता है, जिन्होंने कठोर तपस्या के बल पर भगवान शिव को प्राप्त किया था।

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पूजा विधि:

  • भक्त दिन की शुरुआत स्नान करके पवित्र होते हैं और मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाते हैं।
  • उन्हें फूल, चंदन, अक्षत (चावल), रोली, और सफेद वस्त्र अर्पित किए जाते हैं।
  • मां को चीनी और पंचामृत का भोग लगाया जाता है।
  • ध्यान और मंत्र जाप करके मां से जीवन में संयम, धैर्य, और साहस की प्राप्ति की कामना की जाती है।

मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः।”

इस पूजा का आध्यात्मिक महत्व यह है कि यह साधक को धैर्य और अनुशासन का पाठ पढ़ाती है।