धार्मिक

झांसी की रानी को किले से सुरक्षित निकालने वाली थीं ये 3 बहादुर महिलाएं, जिन्हें इतिहास ने भुला दिया

भारत की स्वतंत्रता संग्राम की मशहूर योद्धा रानी लक्ष्मीबाई को तो सभी जानते हैं, लेकिन जिन महिला योद्धाओं ने उन्हें झांसी के किले से सुरक्षित निकलने में मदद की, उन्हें इतिहास में वह मान-सम्मान नहीं मिला, जिसके वे अधिकारिणी थीं

🔥 झांसी की रानी को किले से सुरक्षित निकालने वाली थीं ये 3 बहादुर महिलाएं, जिन्हें इतिहास ने भुला दिया

जब भी 1857 की क्रांति और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का ज़िक्र होता है, तो उनकी वीरता, साहस और मातृभूमि के लिए बलिदान की बातें हर भारतीय के दिल में जोश भर देती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब अंग्रेजों ने झांसी के किले को चारों ओर से घेर लिया था, तब तीन बहादुर महिला योद्धाओं ने रानी लक्ष्मीबाई को किले से बाहर निकलने में मदद की थी?

इन महिलाओं के नाम इतिहास की किताबों में शायद कम मिले, लेकिन इनका बलिदान रानी की रक्षा और भारत के गौरव के लिए अतुलनीय था।


👑 झांसी की रानी की वीरता का वह क्षण

1858 में अंग्रेज जनरल ह्यू रोज़ ने झांसी पर आक्रमण किया था। रानी लक्ष्मीबाई अपनी सेना के साथ बहादुरी से लड़ीं, लेकिन जब किला पूरी तरह से घिर गया, तब रानी को अपनी जान बचाकर आगे की लड़ाई लड़ने के लिए झांसी से निकलना जरूरी हो गया


🛡️ ये थीं वो 3 वीरांगनाएं जिन्होंने रानी की रक्षा की

1. झलकारी बाई

  • कौन थीं: एक दलित वीरांगना जो लक्ष्मीबाई से हूबहू मिलती थीं।
  • क्या किया: उन्होंने रानी के वेश में अंग्रेजों का सामना किया, ताकि असली रानी किले से सुरक्षित निकल सकें।
  • बलिदान: वह अंग्रेजों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुईं। आज उन्हें दलित गौरव की प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

2. सुंदर मुंडे

  • कौन थीं: रानी लक्ष्मीबाई की अंगरक्षक और विशेष महिला सैनिकों में से एक।
  • क्या किया: उन्होंने रानी को घोड़े पर बैठाकर, उनके साथ लड़ते हुए कई रास्तों से अंग्रेजों का ध्यान भटकाया।
  • बलिदान: रानी को बचाते हुए वो घायल हुईं, लेकिन अंतिम क्षण तक रानी के साथ रहीं।

3. कौशल्या

  • कौन थीं: झांसी की महिला सेना ‘दुर्गा दल’ की सदस्य।
  • क्या किया: किले के पिछले रास्ते से निकलने में मार्गदर्शन किया और घुड़सवारी में रानी की मदद की।
  • बलिदान: वो अंग्रेजों से हुई झड़प में शहीद हो गईं, पर रानी को सुरक्षित पहुंचाया।

📚 इतिहास ने क्यों भुला दिया इन्हें?

  • उस दौर में महिलाओं की वीरता को प्राथमिकता नहीं दी गई
  • इतिहासकारों ने ज्यादातर राजनीतिक नेताओं और पुरुष सेनानायकों पर ध्यान केंद्रित किया।
  • जाति और सामाजिक पृष्ठभूमि के कारण भी इन वीरांगनाओं को वह स्थान नहीं मिला, जो मिलना चाहिए था।

🕊️ इनसे मिलती प्रेरणा:

इन तीनों वीर महिलाओं की कहानी हमें सिखाती है कि त्याग, निडरता और बलिदान का कोई लिंग, जाति या प्रसिद्धि से संबंध नहीं होता। भारत की स्वतंत्रता की नींव में ऐसे अनगिनत गुमनाम बलिदानियों की भूमिका रही है

🔥 झलकारी बाई: झांसी की रानी की छाया बनकर लड़ी वीरांगना

🌿 परिचय:

झलकारी बाई एक साधारण परिवार से थीं, लेकिन उनका साहस असाधारण था। रानी लक्ष्मीबाई से उनका चेहरा बहुत मिलता था, जो आगे चलकर एक रणनीतिक लाभ बन गया।

🛡️ युद्धभूमि में क्या किया:

  • अंग्रेजों के सामने रानी लक्ष्मीबाई बनकर खुद को प्रस्तुत किया।
  • उन्होंने ब्रिटिश सेना को भ्रमित किया, जिससे असली रानी को भागने का समय मिला।
  • उन्होंने अंग्रेजों से जमकर युद्ध किया और गौरवपूर्ण मृत्यु को प्राप्त हुईं।

📌 इतिहास में स्थान:

  • कुछ जगहों पर उनके नाम पर प्रतिमाएं और पार्क हैं, लेकिन शिक्षा प्रणाली या इतिहास की मुख्यधारा में नाम नहीं।

🐎 सुंदर मुंडे: छाया की तरह रानी की रक्षा करने वाली शूरवीर

🌿 परिचय:

सुंदर मुंडे रानी की महिला अंगरक्षकों में थीं। उन्हें घुड़सवारी, तलवारबाज़ी और युद्धकला में पूर्ण दक्षता थी।

🛡️ युद्धभूमि में योगदान:

  • रानी के साथ लगातार किले की सुरक्षा में तैनात रहीं।
  • किले से रानी को गुप्त रास्ते से निकालने में मदद की।
  • अंग्रेजी घुड़सवारों से युद्ध करते हुए गंभीर रूप से घायल हुईं।

📌 विरासत:

  • इनका नाम अब भी झांसी के लोकगीतों और महिला युद्धक दस्तों की प्रेरणा के रूप में लिया जाता है, परंतु ऐतिहासिक दस्तावेजों में इनका उल्लेख दुर्लभ है।

🪔 कौशल्या: दुर्गा दल की मूक नायिका

🌿 परिचय:

दुर्गा दल — झांसी की महिला सैनिकों की विशेष टुकड़ी का हिस्सा थीं। कौशल्या का कार्य संदेश पहुंचाना, मार्गदर्शन देना और रानी के लिए गुप्त सूचना एकत्र करना था।

🛡️ युद्ध में भूमिका:

  • जब रानी को किले से निकालने की योजना बनी, तब कौशल्या ने गुप्त सुरंग और जंगल मार्ग सुझाया।
  • दुश्मन को गुमराह करने के लिए खुद दूसरे मार्ग पर भेज दी गईं, और वहीं शहीद हो गईं।

📌 सम्मान:

  • आज भी कई नारी संगठन कौशल्या को ‘गुमनाम साइलेंट शहीद’ के रूप में याद करते हैं।

🧵 इन वीरांगनाओं से जुड़ी लोककथाएं और सांस्कृतिक महत्व

  • बुंदेलखंड क्षेत्र में आज भी कई फोक गीत झलकारी बाई और सुंदर मुंडे पर आधारित हैं।
  • ग्रामीण महिलाएं उन्हें ‘देश की बेटियां’ कहकर याद करती हैं।
  • कुछ कलाकार और लोक नाटक समूह इनके जीवन पर आधारित नाटक, नृत्य-नाटिकाएं और झांकियां प्रस्तुत करते हैं।

🏛️ आज की शिक्षा प्रणाली में इनका स्थान क्यों नहीं?

  • इतिहास की मुख्यधारा आज भी राजनीतिक और ब्राह्मणवादी दृष्टिकोण से संचालित होती है।
  • दलित, पिछड़े, और महिला योद्धाओं को केवल हाशिए पर जगह मिलती है।
  • राष्ट्रीय पाठ्यक्रम (NCERT) में झलकारी बाई को छोड़कर अन्य किसी महिला सहायक का जिक्र नहीं।

🗣️ अब समय है इन्हें इतिहास में वापस लाने का

आज जब हम महिलाओं के सशक्तिकरण, दलित गौरव, और गुमनाम नायकों को सम्मान देने की बात करते हैं, तो झलकारी बाई, सुंदर मुंडे, और कौशल्या जैसी वीरांगनाओं को राष्ट्रीय स्तर पर पुनः स्थापित करना अत्यंत आवश्यक है।