Padmini Kolhapure Birthday : ऋषि कपूर को ताबड़तोड़ थप्पड़ मारने वाली हसीना आज भी लगती है बेहद खूबसूरत, 58 साल की उम्र में भी कम नहीं हुआ नूर
पद्मिनी कोल्हापुरे एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेत्री और गायिका हैं, जिन्होंने 1980 और 1990 के दशक में बॉलीवुड में अपनी प्रतिभा और अभिनय से ख्याति अर्जित की। उनका जन्म 1 नवंबर 1965 को मुंबई में हुआ था। पद्मिनी ने बहुत छोटी उम्र में अपने करियर की शुरुआत की थी और अपने दमदार अभिनय के कारण उन्हें जल्दी ही हिंदी सिनेमा में एक प्रमुख अभिनेत्री के रूप में पहचान मिल गई।
पद्मिनी ने सत्यम शिवम सुंदरम (1978) में एक बाल कलाकार के रूप में शुरुआत की, लेकिन उन्हें असली पहचान इंसाफ का तराजू (1980) और प्रेम रोग (1982) जैसी फिल्मों में मिली। प्रेम रोग में उनके अभिनय के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फ़िल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला। उनकी अन्य प्रमुख फिल्मों में वो सात दिन, प्यार झुकता नहीं, सौतन, और स्वर्ग से सुंदर शामिल हैं। अपनी खूबसूरती, मासूमियत और अभिनय कौशल के कारण पद्मिनी उस दौर की सबसे लोकप्रिय अभिनेत्रियों में से एक थीं।
पद्मिनी कोल्हापुरे गायन में भी रुचि रखती हैं और उन्होंने कुछ फिल्मों में गाने भी गाए हैं। उनके परिवार में भी कई लोग बॉलीवुड से जुड़े हैं, जैसे उनकी बहन शिवांगी कोल्हापुरे (जो अभिनेता शक्ति कपूर की पत्नी हैं) और उनके बेटे सिद्धांत कपूर और श्रद्धा कपूर भी बॉलीवुड में सक्रिय हैं।
आज भी पद्मिनी फिल्मों, वेब सीरीज़ और थिएटर में काम करती हैं, और उनकी सादगी और सहज अभिनय का जादू उनके फैंस के बीच बरकरार है।
ऋषि कपूर को मारे थे 8 थप्पड़, ‘प्रेम रोग’ के सेट का मजेदार किस्सा
पद्मिनी कोल्हापुरे और ऋषि कपूर के साथ फिल्म प्रेम रोग के सेट का एक मजेदार और मशहूर किस्सा है, जिसमें पद्मिनी को ऋषि कपूर को लगातार थप्पड़ मारने पड़े। प्रेम रोग (1982), राज कपूर द्वारा निर्देशित एक सामाजिक मुद्दे पर आधारित फिल्म थी, जिसमें विधवा पुनर्विवाह और समाज में उसके प्रति नजरिए को दिखाया गया है। फिल्म में पद्मिनी ने “मंजरी” का किरदार निभाया, जो एक युवा विधवा है, और ऋषि कपूर ने “देवधर” का किरदार निभाया, जो उससे प्रेम करता है और समाज के विरुद्ध जाकर उसके सम्मान और पुनर्विवाह के लिए संघर्ष करता है।
फिल्म के एक सीन में, मंजरी (पद्मिनी) को देवधर (ऋषि कपूर) पर गुस्सा जताते हुए उसे थप्पड़ मारने की जरूरत थी। लेकिन राज कपूर, जो निर्देशक थे, इस सीन को एकदम सटीक ढंग से फिल्माना चाहते थे। इसलिए कई टेक्स लिए गए, और हर बार पद्मिनी को ऋषि कपूर को असली थप्पड़ मारना पड़ता था। इस दौरान लगभग आठ बार रीटेक हुए, और हर बार ऋषि को थप्पड़ पड़ता गया। हालांकि, ऋषि कपूर ने इसे सहन किया और सीन को पूरी शिद्दत से निभाया।
यह किस्सा आज भी लोगों को हंसने पर मजबूर कर देता है और बताता है कि कैसे उस दौर के कलाकार अपने किरदारों में पूरी तरह डूब जाते थे। यह सीन और इस किस्से ने फिल्म प्रेम रोग के निर्माण के दौरान कलाकारों की मेहनत और लगन को दर्शकों के सामने उजागर किया।