Sunday, September 8, 2024
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Ramlala Idol Arun Yogiraj : मूर्ति को लेकर मूर्तिकार अरुण योगीराज ने किया अब बड़ा खुलासा, जानकर हैरान रह गए सब

राम मंदिर के गर्भ ग्रह में जो रामलाल की प्रतिमा विराजमान है। उसे मैसूर के मशहूर शिल्पकार अरुण योगीराज ने बनाया है।रामलला की प्रतिमा बनाना इतना आसान नहीं था। कठोर शिला को तराश कर बाल प्रतिमा का रूप देने के लिए योगीराज ने दिन-रात मेहनत की और इस दौरान उन्हें कई गंभीर चोटे भी लगी।

नवनिर्मित राम मंदिर के गर्भ ग्रह में जो रामलाल की प्रतिमा है उसे कर्नाटक के मशहूर शिल्पकार अरुण योगीराज द्वारा बनाया गया है।इस प्रतिमा को बनाने के बाद अरुण योगीराज का कहना है कि उनका जीवन इस मूर्ति को बनाने के बाद धन्य हो गया कई। महीनो की मेहनत सफल हुई।

प्रभु श्री राम ने उन्हें इस काम के लिए चुना था लेकिन राम लाल की प्रतिमा बनाने का सफर अरुण योगीराज के लिए इतना आसान भी नहीं था। इस दौरान उन्हें कई सारी गंभीर चोटे भी लगी प्रतिमा को तरसते समय उनके आंखों में पत्थर के बड़े टुकड़े भी चले गए थे जिसे ऑपरेशन के जरिए बाहर निकल गया .रामलला की प्रतिमा को तराशने के दौरान अरुण योगिराज ने रात-दिन मेहनत की है. ऐसे ही अरुण योगिराज की जिंदगी से जुड़े तमाम किस्से जानते हैं

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योगीराज ने कहा कि कभी-कभी उनको लगता है कि जैसे वह सपनों की दुनिया में हैं। यह जीवन का सबसे बड़ा दिन है। अरुण योगीराज को भारत सरकार व कर्नाटक सरकार से कई पुरस्कार मिले हैं, लेकिन भगवान रामलला की इस अद्भुत प्रतिमा ने उन्हें इतिहास के पन्नों में अंकित करा दिया।

रामलला की इस मूर्ति को काले पत्थर से बनाया गया है। इस अचल मूर्ति को बनाने में रोजाना 18-18 घंटे काम किया। अपनी कला से देश को गर्वित करने वाले अरुण योगीराज ने अपने पिता से मूर्तिकला की बारीकियां सीखी थी।

उन्होंने समाचार से बात करते हुए कहा, “मैंने मूर्ति बनाने की कला अपने पिता से सीखी है। आज मेरी मूर्ति को यहां देखकर उन्हें बहुत गर्व होता।” हालांकि, योगीराज इस ऐतिहासिक घटना को व्यक्तिगत रूप साक्षी बने। मैसूरु में उनके परिवार ने इस समारोह को टीवी पर लाइव देखा।

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अरुण योगीराज ने मैसूर विश्वविद्यालय से एमबीए की पढ़ाई की है। पढ़ाई के बाद उन्होंने एक प्राइवेट कंपनी के एचआर विभाग में छह महीने तक ट्रेनिंग ली। उन्होंने कहा कि मैंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने हुए प्राइवेट कंपनी की नौकरी छोड़ दी और पारिवारिक परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए मैसूरु लौट आया।