इस अद्भुत मंदिर के कपाट खुलते ही दिखते हैं नाग-नागिन के 12 जोड़े, मन्दिर को सिर्फ नागपंचमी पर खोला जाता है…

Religious Facts

Religious Facts : मध्य प्रदेश के उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर के बारे में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति हो जो नहीं जानता हो. इसी महाकाल मंदिर में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर को भी लगभग हर भक्त जानते ही हैं. ठीक ऐसा ही एक मंदिर और है जिसके पुजारी मीत चोरे के अनुसार आज से 46 साल पहले उनके पिता प्रकाश चोरे ने इस अद्भूत मंदिर को बनवाया था. 

यह मंदिर भी महाकाल मंदिर के नागचंद्रेश्वर मंदिर की तरह साल में सिर्फ एक बार ही खोला जाता है. यह मंदिर कोठी बाजार की चौराहे वाली गली स्थित है. 46 साल पुराने इस मंदिर की भी यही खासियत है कि इसे सिर्फ नागपंचमी पर ही खोला जाता है. इस मंदिर को नागपंचमी के दिन भी खोलने का अधिकार सिर्फ चोरे परिवार को ही है. मंदिर के पुजारी मीत चोरे के अनुसार इस मंदिर में शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित है.

साथ ही शिव परिवार के अलावा नाग-नागिन के 12 जोड़ों को भी स्थापित किया गया है. इस मंदिर के द्वार को लगातर 46 साल से चोरे परिवार के द्वारा ही खोला जाता हैं. मालूम हो कि नागचंद्रेश्वर भगवान का अभिषेक नाग पंचमी के दिन करके श्रृंगार किया जाता है.

इस अद्भुत मंदिर के दर्शन करने शहर तथा आसपास से लोग बड़ी संख्या में आते हैं. नागचंद्रेश्चर मंदिर में 12 नाग-नागिन के जिन जोड़ों की प्रतिमाओं को स्थापित किया गया है. उन्हें मंदिर के खुलते ही सबसे पहले स्नान कराकर पूजन अर्चन कर सिंदूर चढ़ाया जाता है. 

मालूम हो कि भगवान शिव को नागों को अपने जटा जूट और गले में धारण करने के कारण ही काल का देवता कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि नागपंचमी के दिन अपने घर-द्वार के दोनों तरफ गाय के गोबर से सर्पाकृति बनाकर घी, दूध, जल, दही, दूर्वा, धूप, दीप एवं नील कंठी, बेलपत्र और आक-धतूरा के फ़ूलों से पूजा करना चाहिए. फिर नागदेव को धान का लावा, गेहूं और दूध का भोग लगाकर पूजन करना चाहिए.