धार्मिक

क्या मंदिर से निकलते समय बजानी चाहिए घंटी? ज्यादातर भक्त करते हैं गलती

यह एक बहुत रोचक और आम जिज्ञासा है कि मंदिर से निकलते समय घंटी बजानी चाहिए या नहीं। दरअसल, अधिकतर लोग अनजाने में एक सामान्य धार्मिक गलती कर बैठते हैं। आइए इसे शास्त्रों और परंपराओं के अनुसार स्पष्ट करते हैं।


🔔 मंदिर में घंटी कब और क्यों बजाते हैं?

  • घंटी बजाने का मुख्य उद्देश्य है – पूजा आरंभ करने से पहले वातावरण को शुद्ध करना और अपने मन को एकाग्र करना।
  • घंटी की ध्वनि से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और एक सकारात्मक कंपन (vibration) उत्पन्न होता है।
  • मान्यता है कि यह ध्वनि “ॐ” की ध्वनि के समान होती है, जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ी मानी जाती है।

मंदिर से निकलते समय घंटी बजाना क्यों गलत माना जाता है?

  1. घंटी पूजन की शुरुआत का संकेत है, अंत का नहीं।
    मंदिर में प्रवेश करते समय घंटी बजाना पूजन का आरंभ माना जाता है।
  2. मंदिर से बाहर निकलते समय घंटी बजाने से यह संदेश जाता है कि अभी पूजा शुरू हो रही है, जबकि आप तो पूजन कर चुके हैं।
  3. यह परंपरा और मर्यादा के विपरीत माना जाता है – विशेषकर दक्षिण भारत और कई प्रमुख मंदिरों में इसे वर्जित भी किया गया है।

✅ मंदिर में सही तरीका क्या है?

  1. मंदिर में प्रवेश करते समय घंटी बजाएं।
  2. शांत चित्त से पूजा, जप, ध्यान करें।
  3. प्रसाद ग्रहण करके मंदिर से शांतिपूर्वक और बिना घंटी बजाए बाहर निकलें।

🔖 निष्कर्ष:

मंदिर से निकलते समय घंटी नहीं बजानी चाहिए।
यह धार्मिक अनुशासन और शास्त्रीय परंपरा के विरुद्ध माना जाता है।
अधिकतर लोग यह गलती अनजाने में करते हैं, लेकिन अब आप इस बात को जानकर अगली बार ध्यान रख सकते हैं।

🔔 मंदिर से संबंधित घंटी बजाने के नियम व मान्यताएं (विस्तार से)

🕉️ 1. घंटी का आध्यात्मिक महत्व

  • शास्त्रों में कहा गया है: “अघं दूरं द्रवत्येव तेनादुः स्वनतः ध्वनिः।”
    (घंटी की ध्वनि से पाप दूर भागते हैं।)
  • जब आप मंदिर में प्रवेश करते हैं और घंटी बजाते हैं, तो वह संकेत है कि आप अब संसारिक बातों को छोड़कर ईश्वर की ओर मन केंद्रित करने जा रहे हैं।

❌ 2. मंदिर से बाहर निकलते समय घंटी क्यों न बजाएं?

  • यह पूजा समापन का प्रतीक नहीं है।
  • अगर बाहर निकलते समय घंटी बजाते हैं, तो वह भ्रम उत्पन्न करता है कि कोई नया भक्त अभी-अभी पूजा शुरू कर रहा है।
  • कुछ पुरानी परंपराओं में इसे अभिमान या ध्यान भंग करने वाली क्रिया भी माना गया है, जो शेष भक्तों की पूजा में विघ्न डाल सकती है।

📿 3. कुछ विशेष स्थानों पर नियम और भी सख्त होते हैं

  • जैसे:
    • तिरुपति बालाजी मंदिर, पद्मनाभस्वामी मंदिर, या काशी विश्वनाथ मंदिर में यह परंपरा बेहद अनुशासनात्मक होती है।
    • यहां पुजारी भी ध्यान दिलाते हैं कि बाहर निकलते समय घंटी नहीं बजाई जाए।

🙏 4. घंटी बजाने का आदर्श तरीका

अवसरक्या करें
मंदिर में प्रवेश करते समयघंटी 1-3 बार धीरे बजाएं
आरती के समयघंटी बज सकती है, लेकिन पुजारी के अनुसार
बाहर निकलते समयबिना किसी ध्वनि के, शांति से बाहर आएं

🌟 अतिरिक्त जानकारी

🧘‍♀️ मानसिक लाभ

  • घंटी की ध्वनि 7 स्पेक्ट्रम की वेव्स को प्रभावित करती है — जिससे शरीर के सातों चक्र (chakras) सक्रिय होते हैं।
  • यह ध्यान और चेतना को बढ़ावा देता है।

🎵 वैज्ञानिक कारण

  • घंटी की ध्वनि लगभग 528 Hz होती है, जो Healing Frequency मानी जाती है।

✅ निष्कर्ष: क्या करें और क्या न करें

करें ✅न करें ❌
मंदिर में प्रवेश से पहले घंटी बजाएंबाहर निकलते समय घंटी न बजाएं
एकाग्रता से घंटी बजाएंशो-ऑफ या तेज आवाज में न बजाएं
आरती या पूजन समय पर पुजारी की अनुमति से बजाएंभीड़-भाड़ में दूसरों की शांति भंग न करें

🏠 घर के मंदिर में घंटी बजाने के नियम

✅ कब बजानी चाहिए घंटी?

  • पूजा शुरू करते समय – जब आप सुबह या शाम पूजा आरंभ करें, तब घंटी बजाना शुभ माना जाता है।
  • आरती के समय – आरती के दौरान घंटी बजाकर वातावरण को पवित्र किया जाता है।
  • ध्यान केंद्रित करने के लिए – अगर मन भटक रहा हो, तो धीरे से घंटी बजाने से चित्त एकाग्र होता है।

❌ कब न बजाएं?

  • पूजा खत्म करने के बाद।
  • रात के 9 बजे के बाद (शास्त्रों में कहा गया है कि रात में घंटी न बजाएं, ताकि सोते हुए परिवार और देवी-देवताओं की “आराम की अवस्था” भंग न हो)।
  • बिना कारण बार-बार बजाना अशुभ या असंवेदनशील माना जाता है।

🛕 देवी-देवता विशेष मंदिरों में घंटी से जुड़ी परंपराएं

🔱 1. शिव मंदिर

  • शिव जी शांतिदूत हैं।
  • इसलिए शिव मंदिर में घंटी बहुत धीरे और शांत स्वर में बजानी चाहिए।
  • रुद्राभिषेक या आरती के समय घंटी बजाई जा सकती है।

🌺 2. दुर्गा / काली मंदिर

  • देवी के मंदिर में ऊर्जावान और शक्तिशाली घंटनाद को शुभ माना जाता है।
  • तांत्रिक साधनाओं में भी घंटी की ध्वनि का महत्व होता है।
  • आरती के समय जोश और श्रद्धा से घंटी बजाना उचित होता है।

☀️ 3. सूर्य मंदिर

  • सूर्य देव के मंदिर में सूर्योदय के समय घंटी बजाना अत्यंत शुभ माना गया है।
  • यह ध्यान और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति के लिए प्रभावी माना जाता है।

🐒 4. हनुमान मंदिर

  • हनुमान जी के मंदिर में घंटी का उपयोग शक्तिशाली कंपन उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
  • मंगलवार और शनिवार को भक्ति भाव से घंटी बजाना शुभ फलदायी माना जाता है।

🪔 5. विष्णु / राम / कृष्ण मंदिर

  • शांत और माधुर्यपूर्ण स्वर में घंटी बजाना उचित है।
  • भगवान विष्णु को शांति प्रिय माना जाता है, अतः आरंभ और आरती के समय ही घंटी बजाई जाती है।

📌 क्या आप यह जानते थे?

  • कुछ विशेष मंदिरों में घंटी बजाना वर्जित होता है – जैसे पद्मनाभस्वामी मंदिर (केरल) और जगन्नाथ पुरी (कुछ परंपराओं में)।
  • दक्षिण भारत के कई मंदिरों में पुजारी के अलावा कोई घंटी नहीं बजाता।

🙏 निष्कर्ष में:

स्थानकब घंटी बजाएंकब नहीं बजाएं
घरपूजा शुरू, आरतीरात में, पूजा के बाद
शिव मंदिरधीरे से, आरती के समयजोर से न बजाएं
देवी मंदिरआरती या जागरण मेंबहुत देर तक न बजाएं
हनुमान मंदिरमंगलवार/शनिवार आरतीनकारात्मक मन से
सूर्य मंदिरसूर्योदय परसूर्यास्त के बाद