Virender Sehwag Birthday : वीरेंद्र सहवाग के पिता ने क्रिकेट खेलने पर लगाया था बैन, आज 46वां जन्मदिन मना रहे मुल्तान के सुल्तान
वीरेंद्र सहवाग भारतीय क्रिकेट के सबसे आक्रामक और लोकप्रिय बल्लेबाजों में से एक हैं। सहवाग ने अपने आक्रामक खेलने के अंदाज और धुआंधार बल्लेबाजी के लिए विश्वभर में पहचान बनाई। वह टेस्ट और वनडे दोनों प्रारूपों में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए सलामी बल्लेबाज के रूप में खेले और अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी से विरोधी टीमों के गेंदबाजों को परेशान किया।
वीरेंद्र सहवाग का करियर
- जन्म: 20 अक्टूबर 1978, नजफगढ़, दिल्ली
- बैटिंग स्टाइल: दाएं हाथ के आक्रामक बल्लेबाज
- बॉलिंग स्टाइल: दाएं हाथ से ऑफ-ब्रेक गेंदबाजी
अंतरराष्ट्रीय करियर:
- वनडे डेब्यू: 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ
- टेस्ट डेब्यू: 2001 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ
प्रमुख उपलब्धियां
- सहवाग ने टेस्ट मैचों में दो तिहरे शतक लगाए हैं, जो उन्हें इस कारनामे को दो बार करने वाले दुनिया के कुछ खिलाड़ियों में से एक बनाता है।
- उन्होंने 319 रनों की पारी दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेली, जो भारतीय क्रिकेट इतिहास में सबसे बड़ी टेस्ट पारी है।
- वनडे क्रिकेट में भी सहवाग का एक दोहरा शतक है। 2011 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ उन्होंने 219 रन बनाए, जो उस समय दूसरा सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर था।
- उनके आक्रामक खेल की बदौलत उन्हें “नजफगढ़ का नवाब” और “मुल्तान का सुल्तान” के नाम से जाना जाता है।
खेल शैली
वीरेंद्र सहवाग अपने “स्ट्रेट बैट” और बिना किसी भय के शॉट्स खेलने के लिए मशहूर थे। उनका ध्यान हमेशा से रन बनाने पर रहता था, चाहे वो टेस्ट क्रिकेट हो या वनडे। वे अपने साहसी खेल से टीम को तेज़ गति से रन दिलाते थे।
संन्यास
वीरेंद्र सहवाग ने 2015 में सभी प्रकार के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया, लेकिन उनकी खेल शैली और उपलब्धियां उन्हें भारतीय क्रिकेट के महानतम खिलाड़ियों में से एक बनाती हैं।
वीरेंद्र सहवाग के बारे में और जानकारी
- उन्होंने संन्यास के बाद कमेंट्री और विश्लेषण के क्षेत्र में कदम रखा और एक सफल क्रिकेट विश्लेषक बन गए।
- सहवाग ने “वीरेंद्र सहवाग इंटरनेशनल स्कूल” की स्थापना की, जहां वह शिक्षा के साथ-साथ खेल को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं।
पिता ने क्रिकेट खेलने पर लगाया था प्रतिबंध
वीरेंद्र सहवाग के पिता ने एक समय पर उनके क्रिकेट खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह घटना तब हुई जब वीरेंद्र सहवाग छोटी उम्र में खेलते हुए एक बार अपने दांत तुड़वा बैठे थे। सहवाग के पिता इस घटना से नाराज़ हुए और उन्होंने क्रिकेट खेलने पर रोक लगा दी थी, क्योंकि उन्हें डर था कि उनके बेटे को चोटें लग सकती हैं और उसका पढ़ाई से ध्यान भटक सकता है।
हालांकि, सहवाग की मां और उनके अन्य परिजनों ने इस निर्णय के खिलाफ जाकर सहवाग का समर्थन किया और उन्हें खेल जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। उनके इस समर्थन और सहवाग के खुद के जुनून के कारण वे क्रिकेट खेलते रहे, और बाद में भारतीय क्रिकेट के सबसे बड़े नामों में से एक बन गए।
यह घटना यह दर्शाती है कि सहवाग को शुरुआती दौर में अपने जुनून के लिए संघर्ष करना पड़ा था, लेकिन उनके परिवार के समर्थन और उनकी खुद की मेहनत ने उन्हें सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
सहवाह को मिले कई उपनाम
वीरेंद्र सहवाग को उनकी आक्रामक बल्लेबाजी शैली और अद्वितीय क्रिकेट कौशल के कारण कई उपनाम मिले हैं, जो उनके व्यक्तित्व और खेल को दर्शाते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख उपनाम दिए गए हैं जो सहवाग को उनके प्रशंसकों और क्रिकेट प्रेमियों से मिले:
1. “नजफगढ़ का नवाब”:
- वीरेंद्र सहवाग का जन्म दिल्ली के नजफगढ़ में हुआ था, और इस उपनाम से उन्हें उनके घरेलू क्षेत्र की पहचान मिली। सहवाग को इस उपनाम से उनकी आक्रामकता और बेखौफ खेलने के अंदाज के लिए जाना जाता है।
2. “मुल्तान का सुल्तान”:
- 2004 में मुल्तान (पाकिस्तान) में खेले गए एक टेस्ट मैच में सहवाग ने तिहरा शतक (309 रन) लगाया था, जो पाकिस्तान की धरती पर एक भारतीय खिलाड़ी द्वारा पहली बार था। इस ऐतिहासिक पारी के बाद उन्हें “मुल्तान का सुल्तान” कहा जाने लगा।
3. “वीरू”:
- यह उनके नाम वीरेंद्र का शॉर्ट फॉर्म है, और उन्हें उनके साथी खिलाड़ियों और प्रशंसकों द्वारा प्यार से “वीरू” बुलाया जाता है।
4. “सultan of swat”:
- सहवाग की आक्रामक बल्लेबाजी और तेज़ी से बड़े-बड़े शॉट खेलने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए उन्हें “सुल्तान ऑफ स्वैट” का उपनाम भी दिया गया, जो उनकी स्ट्राइकिंग पावर का प्रतीक है।
5. “नजफगढ़ का डॉन”:
- सहवाग के आक्रामक और निर्भीक खेलने के अंदाज की वजह से उन्हें कभी-कभी “डॉन” भी कहा गया, खासकर उनके फैंस ने उन्हें यह नाम दिया।
सहवाग की बैटिंग का अंदाज इतना अनूठा था कि ये उपनाम उनके खेल को पूरी तरह से बयां करते हैं। उनका नाम हमेशा भारतीय क्रिकेट इतिहास में एक आक्रामक और बेखौफ बल्लेबाज के रूप में याद किया जाएगा।