19 साल बाद योगिनी एकादशी पर गजब संयोग! व्रत करने से मिलेगा 88,000 ब्राह्मणों को भोज कराने का फल
19 साल बाद योगिनी एकादशी पर बना दुर्लभ संयोग वास्तव में एक अत्यंत शुभ और पुण्यदायक अवसर है। इस बार की योगिनी एकादशी विशेष बन गई है क्योंकि यह 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य देने वाली मानी जा रही है।
🗓️ योगिनी एकादशी 2025 की तिथि
तारीख: 25 जून 2025, बुधवार
पारण (व्रत खोलने का समय): 26 जून 2025, सुबह 5:32 से 8:45 बजे तक (स्थानानुसार भिन्न हो सकता है)
🌟 इस बार का विशेष संयोग क्यों खास है?
- चंद्रग्रहण योग और शिवयोग के साथ यह एकादशी आ रही है
- 19 वर्षों बाद ऐसा संयोग बना है जिसमें व्रत का पुण्य 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने जितना माना गया है
- इस दिन किया गया व्रत पापों का नाश, आजीविका में सुधार, और मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होता है
🙏 योगिनी एकादशी व्रत विधि:
- व्रत से एक दिन पहले (दशमी) सात्विक भोजन लें
- एकादशी तिथि पर:
- प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें
- भगवान विष्णु की पूजा करें – तुलसी, पंचामृत, पीले फूल अर्पित करें
- विष्णु सहस्रनाम या ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें
- रात को जागरण करें और भगवान का भजन-कीर्तन करें
- द्वादशी (अगले दिन) पारण करें:
- सूर्योदय के बाद ब्राह्मण को भोजन या दान देकर व्रत खोलें
📖 योगिनी एकादशी व्रत कथा संक्षेप में:
एक गंधर्व युवक हेममाली, जिसने शिव पूजा में लापरवाही की, उसे कुष्ठ रोग हो गया। नारद जी के निर्देश पर उसने योगिनी एकादशी व्रत किया और वह रोगमुक्त होकर विष्णुलोक को प्राप्त हुआ।
योगिनी एकादशी व्रत में भगवान विष्णु की पूजा के लिए निम्नलिखित पूजन सामग्री की आवश्यकता होती है:
🛕 योगिनी एकादशी पूजन सामग्री सूची:
- जल का कलश (सुपारी व आम के पत्तों सहित)
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र
- पीला वस्त्र (विष्णु जी को प्रिय)
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
- गंगाजल या शुद्ध जल
- तुलसी के पत्ते (अवश्य होने चाहिए)
- चंदन या हल्दी-कुमकुम
- अक्षत (चावल बिना टूटे हुए)
- पुष्प (पीले या सफेद फूल)
- दीपक (घी अथवा तिल के तेल का)
- अगरबत्ती या धूपबत्ती
- नैवेद्य (मीठा या फल)
- दक्षिणा (साँकेतिक दान हेतु)
- व्रत कथा पुस्तक या प्रिंट
- भजन/कीर्तन के लिए घंटी या शंख
- सात्विक फलाहारी सामग्री (व्रत हेतु)
🕯️ व्रत के दौरान ध्यान दें:
- पूजा में केवल सात्विक व्रत की चीजें ही उपयोग करें
- प्याज, लहसुन, अनाज आदि का सेवन न करें
- तुलसी के पत्ते पूजा में जरूर चढ़ाएं, यह एकादशी व्रत का सबसे पवित्र अंग है
यह रहा योगिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि चार्ट (संक्षिप्त रूप में Step-by-Step):
🧾 योगिनी एकादशी व्रत पूजा विधि चार्ट
चरण | विधि विवरण |
---|---|
1. शुद्धिकरण | सुबह स्नान करें, पूजा स्थल और सामग्री को गंगाजल से शुद्ध करें |
2. संकल्प | हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें — “मैं योगिनी एकादशी व्रत का पालन करूंगा/करूंगी…” |
3. भगवान विष्णु का आह्वान | दीप प्रज्वलित करें, भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें |
4. अर्घ्य व स्नान | भगवान को गंगाजल, पंचामृत और शुद्ध जल से स्नान कराएं |
5. वस्त्र व आभूषण अर्पण | पीला वस्त्र और आभूषण रूप में अक्षत अर्पण करें |
6. चंदन व रोली तिलक | चंदन और हल्दी से तिलक करें, अक्षत चढ़ाएं |
7. फूल व तुलसी अर्पण | पीले फूल और तुलसी के पत्ते अर्पित करें (तुलसी अनिवार्य) |
8. धूप-दीप व नैवेद्य | धूप व दीप जलाएं, फल या मिष्ठान्न अर्पण करें |
9. मंत्र व पाठ | ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करें या विष्णु सहस्रनाम / योगिनी एकादशी व्रत कथा पढ़ें |
10. आरती | विष्णु आरती करें (शंख-घंटी के साथ) |
11. व्रत पालन | दिनभर व्रत रखें – फलाहार करें, रात्रि में जागरण करें |
12. पारण (द्वादशी को व्रत खोलना) | अगले दिन सूर्योदय के बाद ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन / दक्षिणा देकर व्रत खोलें |