छत्रपति शिवाजी कौन थे ? क्या है इनकी इतिहास ?
छत्रपति शिवाजी महाराज भारत के महान योद्धा, कुशल रणनीतिकार और मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। उन्होंने 17वीं शताब्दी में मुगलों, आदिलशाही, और अन्य विदेशी आक्रांताओं के विरुद्ध संघर्ष कर एक स्वतंत्र मराठा साम्राज्य की नींव रखी। उनका जीवन पराक्रम, धर्मनिष्ठा, और स्वराज्य की भावना का प्रतीक है।
छत्रपति शिवाजी का जीवन परिचय:
- पूरा नाम: शिवाजी भोंसले
- जन्म: 19 फरवरी 1630 (शिवनेरी किला, पुणे, महाराष्ट्र)
- माता-पिता: माता जीजाबाई और पिता शाहजी भोंसले
- मृत्यु: 3 अप्रैल 1680 (रायगढ़ किला)
शिवाजी महाराज की प्रमुख उपलब्धियाँ:
- स्वराज्य की स्थापना: उन्होंने विदेशी और दमनकारी शासन के खिलाफ संघर्ष कर मराठा साम्राज्य की नींव रखी।
- गुरिल्ला युद्ध नीति: शिवाजी ने छापामार युद्ध नीति (गुरिल्ला वारफेयर) को अपनाया, जिससे वह शक्तिशाली मुगलों और अन्य दुश्मनों को हराने में सफल रहे।
- किलों का निर्माण एवं प्रशासन: उन्होंने कई महत्वपूर्ण किलों का निर्माण एवं पुनर्निर्माण किया, जैसे रायगढ़, प्रतापगढ़, और राजगढ़।
- राज्याभिषेक: 1674 में रायगढ़ किले में उन्हें विधिवत ‘छत्रपति’ की उपाधि देकर मराठा साम्राज्य का राजा बनाया गया।
- धार्मिक सहिष्णुता: शिवाजी धार्मिक सहिष्णु थे। उन्होंने सभी धर्मों का सम्मान किया और उनके शासन में प्रजा को न्याय और सुरक्षा मिली।
- नौसेना की स्थापना: शिवाजी ने एक मजबूत नौसेना तैयार की और समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए सिंधुदुर्ग और जंजीरा जैसे किले बनवाए।
मुगलों और अन्य शक्तियों से संघर्ष:
- उन्होंने मुगल सम्राट औरंगज़ेब, बीजापुर के आदिलशाही सुल्तान, और पुर्तगालियों से युद्ध किए।
- 1666 में आगरा में औरंगज़ेब ने शिवाजी को बंदी बना लिया, लेकिन वे चतुराई से भाग निकले।
- 1670 में उन्होंने मुगलों से फिर से अपने किले जीत लिए और मराठा साम्राज्य को पुनर्स्थापित किया।
शिवाजी की विरासत:
शिवाजी महाराज का प्रभाव आज भी महाराष्ट्र और भारत के कोने-कोने में देखा जा सकता है। उन्हें ‘हिंदवी स्वराज्य’ के संस्थापक के रूप में सम्मान दिया जाता है। उनकी वीरता, प्रशासनिक कुशलता और रणनीतिक सूझबूझ उन्हें भारत के महानतम योद्धाओं में से एक बनाती है।
छत्रपति शिवाजी महाराज: विस्तृत इतिहास
छत्रपति शिवाजी महाराज केवल एक महान योद्धा ही नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी शासक और एक आदर्श प्रशासक भी थे। उन्होंने एक स्वतंत्र हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की और अपने प्रशासन, सैन्य नीति, और कूटनीति से मुगलों और अन्य शासकों को कड़ी चुनौती दी। उनके जीवन और कार्यों ने आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरित किया।
1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी किले में हुआ था। उनके पिता शाहजी भोंसले बीजापुर के सुल्तान के अधीन एक जागीरदार थे, और उनकी माता जीजाबाई धर्मपरायण व वीरता की मूर्ति थीं।
- माता जीजाबाई ने उन्हें रामायण, महाभारत और भारतीय इतिहास की गाथाएँ सुनाकर देशभक्ति और युद्ध कौशल का ज्ञान दिया।
- गुरु दादोजी कोंडदेव ने उन्हें सैन्य शिक्षा, किलेबंदी, रणनीति और राज्य प्रबंधन की बारीकियाँ सिखाईं।
- शिवाजी ने बचपन से ही स्वतंत्र राज्य की कल्पना की और अपने जीवन का लक्ष्य ‘स्वराज्य’ की स्थापना बनाया।
2. स्वराज्य की स्थापना
किलों पर नियंत्रण और प्रारंभिक विजय (1645-1655)
शिवाजी ने सबसे पहले बीजापुर के कमजोर प्रशासन का लाभ उठाते हुए रणनीतिक रूप से कई किलों पर कब्ज़ा कर लिया।
- 1645: पहली बार तोरणा किला जीता और उसे अपनी राजधानी बनाया।
- 1647-1655: राजगढ़, कोंढाणा (सिंहगढ़), पुरंदर, रोहिड़ा और अन्य कई किलों पर अधिकार किया।
- बीजापुर की आदिलशाही सत्ता ने जब शिवाजी की बढ़ती ताकत देखी, तो 1659 में अफजल खान को भेजा।
अफजल खान वध और प्रतापगढ़ युद्ध (1659)
- बीजापुर के सेनापति अफजल खान ने कूटनीति के तहत शिवाजी को बुलाकर छलपूर्वक हत्या करने की योजना बनाई।
- लेकिन शिवाजी ने अपनी चतुराई से इसे भांप लिया और वाघनख (बाघ के नख जैसे हथियार) से अफजल खान का वध कर दिया।
- इसके बाद प्रतापगढ़ युद्ध में मराठाओं ने बीजापुर सेना को पूरी तरह परास्त किया।
- इस जीत ने शिवाजी की प्रतिष्ठा को पूरे भारत में बढ़ा दिया।
3. मुगलों से संघर्ष
शाइस्ता खान पर आक्रमण (1663)
- मुगल सेनापति शाइस्ता खान पुणे पर अधिकार कर बैठा था।
- शिवाजी ने रात के अंधेरे में अपने सैनिकों के साथ शाइस्ता खान के किले में घुसकर हमला किया और उसका अंगूठा काट दिया।
- यह हमला मुगलों के लिए एक बड़ा झटका था।
सूरत की लूट (1664)
- शिवाजी ने मुगलों की आर्थिक रीढ़ तोड़ने के लिए गुजरात के सूरत बंदरगाह पर धावा बोल दिया।
- उन्होंने वहाँ से भारी धन-संपत्ति प्राप्त की, जिससे मराठा सेना को मजबूती मिली।
- आगरा से शिवाजी का साहसिक पलायन (1666)
- मुगल सम्राट औरंगज़ेब ने कूटनीति के तहत शिवाजी को आगरा बुलाया।
- वहाँ उन्हें कैद कर लिया गया, लेकिन शिवाजी ने चतुराई से फल-टोकरियों के अंदर छिपकर भागने की योजना बनाई और सफलतापूर्वक आगरा से निकल गए।
- इसके बाद उन्होंने फिर से अपनी सेना संगठित कर ली और मुगलों पर हमले शुरू कर दिए।
4. मराठा नौसेना की स्थापना
शिवाजी पहले भारतीय शासक थे जिन्होंने समुद्री शक्ति को महत्व दिया और एक मजबूत नौसेना का निर्माण किया।
- उन्होंने सिंधुदुर्ग, विजयदुर्ग, और जंजीरा जैसे मजबूत किले समुद्र तट पर बनवाए।
- पुर्तगाली, डच और अंग्रेज व्यापारियों को समुद्री कर चुकाने के लिए मजबूर किया।
- मराठा नौसेना भारतीय तटों की रक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगी।
5. राज्याभिषेक और छत्रपति की उपाधि (1674)
- 6 जून 1674 को शिवाजी का रायगढ़ किले में भव्य राज्याभिषेक हुआ।
- उन्हें आधिकारिक रूप से “छत्रपति” (सम्राट) की उपाधि दी गई।
- उन्होंने हिंदवी स्वराज्य (भारतीयों द्वारा भारतीयों के लिए शासित राज्य) की स्थापना की।
- मराठा प्रशासन में न्याय, कर-व्यवस्था और सैनिक सुधार लागू किए गए।
6. शिवाजी का प्रशासन और शासन नीति
लोकप्रिय नीतियाँ:
- स्वराज्य की संकल्पना: उन्होंने एक स्वतंत्र हिंदू साम्राज्य की नींव रखी।
- न्यायिक प्रणाली: सभी धर्मों के लिए समान न्याय व्यवस्था लागू की।
- कर प्रणाली: “चौथ” और “सरदेशमुखी” कर प्रणाली लागू की।
- महिलाओं और किसानों की सुरक्षा: महिलाओं को उच्च सम्मान दिया, उनके सम्मान की रक्षा के लिए कड़े नियम बनाए।
- धार्मिक सहिष्णुता: शिवाजी सभी धर्मों का सम्मान करते थे और किसी पर जबरन धर्म परिवर्तन नहीं किया।
7. शिवाजी की मृत्यु (1680)
- 3 अप्रैल 1680 को रायगढ़ किले में शिवाजी महाराज का निधन हो गया।
- उनकी मृत्यु के बाद, उनके पुत्र संभाजी महाराज ने राज्य की बागडोर संभाली।
- हालांकि, औरंगज़ेब और अन्य शत्रुओं के खिलाफ संघर्ष जारी रहा, और अंततः मराठाओं ने 18वीं सदी में भारत में मुगलों को पूरी तरह परास्त कर दिया।
8. शिवाजी महाराज की विरासत
शिवाजी महाराज भारतीय इतिहास में वीरता, कुशल प्रशासन और रणनीतिक सोच के प्रतीक हैं।
- महाराष्ट्र में उन्हें भगवान तुल्य सम्मान प्राप्त है।
- भारत की सैन्य रणनीतियों में आज भी उनकी युद्ध नीतियाँ पढ़ाई जाती हैं।
- भारतीय नौसेना के युद्धपोतों का नाम INS शिवाजी रखा गया।
- शिवाजी टर्मिनस (मुंबई), शिवाजी विश्वविद्यालय, शिवाजी पार्क आदि उनके सम्मान में बनाए गए।
निष्कर्ष
छत्रपति शिवाजी महाराज केवल एक योद्धा नहीं, बल्कि एक कुशल शासक, समाज सुधारक, और दूरदर्शी नेता थे। उनकी नीतियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, और वे भारत की स्वतंत्रता की पहली लौ के रूप में देखे जाते हैं। उनका जीवन हमें संघर्ष, साहस और कर्तव्यनिष्ठा की प्रेरणा देता है।
“हर हर महादेव! जय भवानी!”