बिज़नेस न्यूज़

चीन, जापान, हांगकांग से भी नीचे…मई में एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी क्यों बना भारतीय रुपया?

मई 2025 में भारतीय रुपया एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गया, जबकि अन्य प्रमुख एशियाई मुद्राएं जैसे चीनी युआन, जापानी येन और सिंगापुर डॉलर डॉलर के मुकाबले मजबूत हुईं। रुपये की इस गिरावट के पीछे कई वैश्विक और घरेलू कारण हैं:

🔑 रुपये की गिरावट के प्रमुख कारण

1. अमेरिकी डॉलर की मजबूती

अमेरिकी फेडरल रिजर्व की सख्त मौद्रिक नीति और उच्च ब्याज दरों ने डॉलर को मजबूत किया, जिससे उभरते बाजारों से पूंजी का बहिर्वाह हुआ और रुपये पर दबाव बढ़ा।

2. कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें

भारत अपनी कच्चे तेल की आवश्यकताओं का लगभग 80% आयात करता है। मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के कारण कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि हुई, जिससे भारत का आयात बिल बढ़ा और रुपये पर दबाव पड़ा।

3. विदेशी निवेशकों की पूंजी निकासी

मई में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से लगभग $3.5 बिलियन की निकासी की, जिससे रुपये की मांग घटी और उसकी कीमत में गिरावट आई।

4. व्यापार घाटा और चालू खाता घाटा

उच्च आयात और कमजोर निर्यात के कारण भारत का व्यापार घाटा बढ़ा, जिससे चालू खाता घाटा भी बढ़ा और रुपये पर दबाव पड़ा।

5. भूराजनीतिक तनाव

वैश्विक स्तर पर बढ़ते भूराजनीतिक तनाव, जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध, ने निवेशकों को सुरक्षित परिसंपत्तियों की ओर मोड़ा, जिससे रुपये की मांग घटी और उसकी कीमत में गिरावट आई।


📊 अन्य एशियाई मुद्राओं की तुलना

जबकि भारतीय रुपया मई में लगभग 0.8% गिरा, अन्य एशियाई मुद्राएं जैसे कोरियाई वॉन, थाई बहत और इंडोनेशियाई रुपिया ने 2.5% से 5.5% तक की बढ़त दर्ज की।


🧭 आगे की राह

विशेषज्ञों का मानना है कि रुपये पर दबाव बने रह सकते हैं, लेकिन भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की हस्तक्षेप नीति और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों के आधार पर स्थिति में सुधार संभव है।


रुपये की इस गिरावट के बावजूद, यह भारत के निर्यातकों के लिए प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्रदान कर सकता है, जिससे निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है। हालांकि, आयातकों और आम जनता के लिए यह महंगाई का कारण बन सकता है।


मई 2025 में भारतीय रुपया एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गया, जिसकी प्रमुख वजहें निम्नलिखित हैं:


🔑 रुपये की गिरावट के प्रमुख कारण

1. अमेरिकी डॉलर की मजबूती

अमेरिका में व्यापार टैरिफ से संबंधित अनिश्चितताओं के बीच अमेरिकी डॉलर मजबूत हुआ, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ा। विशेष रूप से, अमेरिकी अदालत द्वारा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्तावित टैरिफ को रोकने के फैसले के बाद डॉलर इंडेक्स 100 के ऊपर चला गया, जिससे रुपये की कमजोरी बढ़ी।

2. भूराजनीतिक तनाव

भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर बढ़ते तनाव ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया, जिससे विदेशी पूंजी का बहिर्वाह हुआ और रुपये पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

3. भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति पर अपेक्षाएं

बाजार में यह अपेक्षा थी कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) मौद्रिक नीति में ढील दे सकता है, जिससे रुपये की कीमत पर दबाव पड़ा।

4. कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें

वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि ने भारत के आयात बिल को बढ़ाया, जिससे चालू खाता घाटा बढ़ा और रुपये पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

5. विदेशी निवेशकों की पूंजी निकासी

मई में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से पूंजी निकासी की, जिससे रुपये की मांग घटी और उसकी कीमत में गिरावट आई।


📊 अन्य एशियाई मुद्राओं की तुलना

जबकि भारतीय रुपया मई में लगभग 1% गिरा, अन्य एशियाई मुद्राएं जैसे कोरियाई वॉन और चीनी युआन ने लगभग 1% की बढ़त दर्ज की।


🧭 आगे की राह

विशेषज्ञों का मानना है कि रुपये पर दबाव बने रह सकते हैं, लेकिन भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की हस्तक्षेप नीति और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों के आधार पर स्थिति में सुधार संभव है।


रुपये की इस गिरावट के बावजूद, यह भारत के निर्यातकों के लिए प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्रदान कर सकता है, जिससे निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है। हालांकि, आयातकों और आम जनता के लिए यह महंगाई का कारण बन सकता है।