क्यों इतनी खास मानी गई है अपरा एकादशी? महत्व जान लेंगे तो जरूर करेंगे ये काम
अपरा एकादशी क्यों इतनी खास मानी जाती है? इसका महत्त्व जानकर आप भी इसे जरूर मानेंगे और इस दिन कुछ खास काम करेंगे।
अपरा एकादशी का महत्त्व और खासियत
1. अपरा एकादशी कब आती है?
- यह एकादशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष (अंधेरी पक्ष) की ग्यारहवीं तिथि को आती है।
- इसे अपरा, उपरा या अपरा एकादशी भी कहा जाता है।
2. क्यों है खास?
- इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा होती है। माना जाता है कि इस एकादशी व्रत से सारे पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- अपरा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख-शांति आती है।
- इसे शत्रुओं पर विजय पाने और जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने वाला व्रत माना गया है।
3. पौराणिक महत्व

- पुराणों के अनुसार, राजा हरि वर्मा के एक दासी ने इस व्रत का पालन किया था, जिससे उसके जीवन में अपार परिवर्तन आया।
- भगवान विष्णु ने इस व्रत को अत्यंत शुभ और फलदायी बताया है।
4. इस दिन करें ये काम
- पूजा और व्रत: सुबह सूर्योदय के बाद स्नान करके शुद्ध कपड़े पहनें और भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करें।
- सत्य और संयम: इस दिन सच बोलना, अहिंसा का पालन करना और संयमित आहार रखना जरूरी होता है।
- दान और सेवा: गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें, यह व्रत की महत्ता बढ़ाता है।
- जप और ध्यान: भगवान विष्णु के नाम का जप और ध्यान करें।
5. अपरा एकादशी का फल
- अपरा एकादशी के व्रत से व्यक्ति के जीवन की सभी कष्टों का अंत होता है।
- परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और मन में शांति आती है।
- मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति भी संभव होती है।
ज़रूर! यहाँ है अपरा एकादशी पूजा विधि और शुभ समय की जानकारी —
अपरा एकादशी पूजा विधि
1. स्नान और शुद्धिकरण
- एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर शुद्ध जल से स्नान करें।
- साफ-सुथरे वस्त्र पहनें, बेहतर होगा कि सफेद या पीले रंग के कपड़े हों।
2. स्थल और पूजा सामग्री
- घर में पूजा के लिए साफ और स्वच्छ स्थान चुनें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- पूजा में उपयोग करें: हल्दी, कुमकुम, अक्षत (चावल), फूल, दीपक, अगरबत्ती, तुलसी के पत्ते, फल, पंचामृत, दूध, शहद, गुड़।
3. पूजा विधि
- सबसे पहले भगवान विष्णु के चरणों में जल, पंचामृत आदि अर्पित करें।
- 108 बार या जितना संभव हो भगवान विष्णु का नाम (जैसे “ॐ नमो नारायणाय”) जप करें।
- तुलसी के पत्ते चढ़ाएं, जो विष्णु जी को बहुत प्रिय हैं।
- दीपक जलाएं और अगरबत्ती फूंकें।
- भक्ति भाव से विष्णु स्तुति या अपरा एकादशी व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
- अंत में प्रसाद वितरण करें।
4. व्रत और आहार
- पूरे दिन निर्जल (जल न पीने) या फलाहार/सात्विक भोजन का व्रत रखें।
- इस दिन मांसाहार, अनाज, और तामसिक भोजन से बचें।
अपरा एकादशी का शुभ समय (मोहूर्त) – 2025 (अनुमानित)
- एकादशी तिथि प्रारंभ: शाम के समय से (स्थानीय अनुसार)
- व्रत प्रारंभ: एकादशी तिथि के आरंभ से सूर्योदय तक
- एकादशी तिथि समाप्ति: द्वादशी तिथि के प्रातःकाल तक
- व्रत तोड़ने का समय: द्वादशी तिथि के प्रातःकाल में द्वादशी व्रत के शुभ मुहूर्त में।
, बिहार के लिए अपरा एकादशी 2025 का अनुमानित शुभ मुहूर्त और पूजा समय इस प्रकार हो सकता है:
अपरा एकादशी 2025 – बिहार के लिए शुभ मुहूर्त
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 5 नवंबर 2025, सुबह 6:10 बजे (लगभग)
- एकादशी तिथि समाप्ति: 6 नवंबर 2025, सुबह 5:45 बजे (लगभग)
- व्रत प्रारंभ: 5 नवंबर 2025, सूर्योदय तक व्रत शुरू करें
- व्रत तोड़ने का शुभ समय (द्वादशी मुहूर्त):
6 नवंबर 2025, सुबह 7:00 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक
पूजा के लिए सुझाव:
- एकादशी तिथि के दौरान निर्जल या फलाहारी व्रत रखें।
- द्वादशी तिथि के शुभ मुहूर्त में ही व्रत तोड़ें।
- पूजा के समय तुलसी, भगवान विष्णु की मूर्ति, दीपक, और फल का विशेष ध्यान रखें।
यह रहे अपरा एकादशी के लिए खास मंत्र और पूजा विधि:
अपरा एकादशी पूजा मंत्र और विधि
1. भगवान विष्णु का मंत्र (जप करें):
ॐ नमो नारायणाय।
ॐ विष्णवे नमः।
ॐ दामोदराय नमः।
इस मंत्र का 108 बार जप करें या जितना संभव हो।
2. अपरा एकादशी व्रत कथा पढ़ें या सुनें
- व्रत कथा पढ़ने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है। आप इसे ऑनलाइन भी सुन सकते हैं।
3. पूजा के लिए मुख्य श्लोक:
शुक्लां बरद्मासि विष्णुम् शश्वद् वन्दे जगत्पतिम्।
पार्ष्णि पतिं गिरीन्द्राणाम् आचार्यं च सर्वभूतानाम्॥
4. पूजा विधि संक्षेप में:
- स्वच्छ स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- तुलसी के पत्ते चढ़ाएं।
- दीपक जलाएं और अगरबत्ती फूंकें।
- पंचामृत से अभिषेक करें।
- मंत्र जप के साथ ध्यान लगाएं।
- व्रत के अंत में दान करें और प्रसाद वितरण करें।