Pakistan First Grandmaster : मौत के 58 साल बाद मीर सुल्तान को मिला पाकिस्तान के पहले ग्रैंड मास्टर का खिताब
शतरंज के दिग्गज खिलाड़ी रहे मीर सुल्तान खान को मौत के 58 साल बाद आखिर में वह सम्मान मिल ही गया, जिसके वह हकदार थे। अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ ने उन्हें मानद ग्रैंड मास्टर की उपाधि से सम्मानित किया है। वह यह सम्मान पाने वाले पाकिस्तान के पहले खिलाड़ी हैं। सुल्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमक बिखरने वाले एशिया के पहले चेस खिलाड़ी थे। उन्होंने अविभाजित भारत के लिए कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट खेले। फिडे के अध्यक्ष अरकड़ी ड्वओरकओवईच ने
इस्लामाबाद में आयोजित समारोह में पाकिस्तान के पीएम अनवर उल हक को मिर सुल्तान खान की जीएम उपाधि सौंपी। फिडे ने साल 1950 में ग्रैंड मास्टर खिताब देने की शुरुआत की थी। सुल्तान की मौत 25 अप्रैल 1966 मैं टीवी की बीमारी से हुआ था। वह इस खिताब के प्रबल दावेदार थे, लेकिन किन्हीं कारणों से उन्हें तब यह नहीं दिया गया।
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सुल्तान का अंतरराष्ट्रीय करियर सिर्फ 5 साल का रहा। लेकिन इस दौरान उन्होंने तीन बार ब्रिटिश चेस चैंपियनशिप जीती और विदेश में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उन्हें अपने समय में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में गिना जाता था।
मीर सुल्तान का जन्म 13 मार्च 1903 को पंजाब के सरगोधा में हुआ था। जो अब उत्तर पूर्व पाकिस्तान में है। 9 साल की उम्र में मिर सुल्तान ने अपने पिता से चेस सीखना शुरू किया और इसमें महारत हासिल कर ली। वह 21 साल की उम्र में पंजाब के बेहतरीन खिलाड़ी थे।
मीर सुल्तान ने 1929, 1931 और 1932 में ब्रिटिश शतरंज चैंपियनशिप जीती। मीर सुल्तान ने फ्रैंक मार्शल और सेवीली टाटाकोवर जैसे मशहूर खिलाड़ियों के अलावा पूर्व वर्ल्ड चैंपियन अलेक्जेंडर अलेखिन और मैक्स यूवे को ड्रॉ पर रोका था।
मीर सुल्तान ने अपने पिता से शतरंज की बारीकियां सीखीं। पिता ने उन्हें पारंपरिक भारतीय नियम सिखाए, जो मॉडर्न खेल से कुछ अलग थे। मिर सुल्तान मेजर जनरल नवाब सर उमर हयात खान के नौकर थे, जो उस समय पंजाब के सबसे जमींदारों में से एक थे। नवाब ने मीर सुल्तान का टैलेंट पहचाना और उसे आगे बढ़ाया।
पाकिस्तान के अखबार के अनुसार, मिर सुल्तान की प्रोफाइल बताती है वह सर उमर खान की हवेली में छोटे-मोटे काम किया करते थे। एक पंजाबी शतरंज के खिलाड़ी और पाकिस्तान के नागरिक उन्हें अपने दौर में एशिया का बेस्ट चेस प्लेयर माना जाता था। 5 साल से भी कम के अंतरराष्ट्रीय शतरंज के करियर में उन्होंने तीन बार ब्रिटिश चैंपियनशिप जीती। मीर सुल्तान खान, जिन्होंने चेस बुक की कम पहुंच के साथ बड़े होने और शतरंज के सिद्धांत के बारे में कुछ भी नहीं जानने के बाद भी दुनिया के कुछ टॉप खिलाड़ियों को हराया, वह पाकिस्तान के पहले ग्रैंडमास्टर बने।