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Shani Jayanti 2025 Katha: जब पैदा हुए शनि देव, तो माता छाया के चरित्र पर क्यों उठा सवाल? पिता पुत्र में बना 36 का आंकड़ा

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“Shani Jayanti 2025 Katha: जब पैदा हुए शनि देव, तो माता छाया के चरित्र पर क्यों उठा सवाल? पिता-पुत्र में बना 36 का आंकड़ा”
ज्योतिष, पौराणिक कथा और भावनात्मक तत्वों का गहरा संयोजन है। यह पाठकों को शनि देव की उत्पत्ति और पारिवारिक संघर्ष की कथा के रहस्य जानने के लिए आकर्षित करता है। नीचे इसी के अनुरूप एक भावपूर्ण और जानकारीपूर्ण लेख दिया गया है:

Shani Jayanti 2025 कथा: शनि देव का जन्म और परिवार में उठी तूफानी बातें

शनि जयंती हर साल ज्येष्ठ अमावस्या को मनाई जाती है और यह दिन न्याय के देवता शनि महाराज के जन्म का प्रतीक है।
2025 में शनि जयंती का पर्व विशेष है क्योंकि यह कालचक्र और कर्मफल के प्रभाव को समझने का श्रेष्ठ समय है।

शनि देव का जन्म कैसे हुआ?

शनि देव का जन्म भगवान सूर्य और माता छाया (संवर्णा) के पुत्र रूप में हुआ।
छाया, संज्ञा देवी की छाया रूप थीं जिन्हें सूर्यदेव ने स्वीकार किया था।

जब शनि देव गर्भ में थे, उस समय माता छाया ने कठोर तप किया, जिससे शनि जन्म से ही कृष्ण वर्ण (काले रंग) के हुए।

माता छाया के चरित्र पर क्यों उठे सवाल?

जब शनि का रंग देखा गया, तो सूर्यदेव को संदेह हुआ कि यह उनका पुत्र नहीं हो सकता।
उन्होंने माता छाया के चरित्र पर प्रश्न उठाया, जिससे छाया बहुत आहत हुई।
यह अपमान शनि देव ने अपनी तीव्र दृष्टि और क्रोध से देख लिया — और यहीं से पिता-पुत्र के बीच 36 का आंकड़ा शुरू हुआ।


पिता-पुत्र में दूरी क्यों बनी रही?

  • शनि की दृष्टि को अशुभ माना गया, जिससे सूर्य ने उन्हें तिरस्कार का पात्र बना दिया।
  • शनि देव को न्यायप्रिय और कर्मफलदाता बनाया गया, लेकिन वे परिवार से भावनात्मक रूप से कट गए
  • यही कारण है कि आज भी शनि की दृष्टि का विशेष महत्व है — वह अच्छे-बुरे कर्मों का निष्पक्ष न्याय करते हैं, चाहे वह कोई भी हो।

शनि जयंती का आध्यात्मिक महत्व:

  • शनि देव हमें कर्म का फल सिखाते हैं।
  • उनकी पूजा से न्याय, संयम, और स्थायित्व की प्राप्ति होती है।
  • विशेष रूप से साढ़ेसाती और ढैय्या से पीड़ित लोगों के लिए यह दिन अत्यंत शुभ होता है।

शनि जयंती पर क्या करें:

  • शनि मंत्र: “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” का 108 बार जाप करें।
  • काली वस्तुएँ (उड़द, तिल, लोहे का सामान) दान करें।
  • पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं।
  • गरीबों को भोजन कराएं और छाया पात्र दान करें।