Sita Navami 2025: बढ़ेगा पति पत्नी में प्यार व समर्पण, कर लें सीता नवमी पर ये अचूक उपाय
सीता नवमी 2025 (Sita Navami 2025) का पर्व 5 मई, सोमवार को मनाया जाएगा। यह दिन देवी सीता के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें माता जानकी, सीता माता, और धरती पुत्री भी कहा जाता है।
तिथि और शुभ मुहूर्त
- तिथि: 5 मई 2025, सोमवार
- नवमी तिथि प्रारंभ: 4 मई, रात्रि 7:35 बजे
- नवमी तिथि समाप्ति: 5 मई, रात्रि 8:38 बजे
- मध्यान्ह मुहूर्त (पूजा का सर्वोत्तम समय): 11:18 AM से 1:55 PM तक (2 घंटे 37 मिनट)

पूजा विधि
- घर की सफाई: पूजा स्थल और घर की सफाई करें।
- मूर्ति या चित्र स्थापना: माता सीता और भगवान राम के चित्र या मूर्तियों को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।
- स्नान और पंचामृत अभिषेक: मूर्ति का जल, दूध, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें।
- फूल और प्रसाद अर्पित करें: पीले या लाल रंग के ताजे फूल, फल और मिठाइयाँ अर्पित करें।
- मंत्र जाप: “ॐ श्री सीतायै नमः” और रामायण के श्लोकों का जाप करें।
- आरती: घी के दीपक और अगरबत्ती से आरती करें।
- प्रसाद वितरण: पूजा समाप्ति पर प्रसाद का वितरण करें।
महत्व और धार्मिक मान्यता
सीता नवमी का पर्व माता सीता के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, राजा जनक ने हल चलाते समय माता सीता को पृथ्वी से प्रकट होते देखा और उन्हें अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया। इसी कारण इस दिन को सीता नवमी और जानकी नवमी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है, जो इस दिन उपवासी रहकर अपने पतियों की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।
विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व
सीता नवमी के दिन विवाहित महिलाएँ व्रत रखकर माता सीता की पूजा करती हैं। यह व्रत उनके पतियों की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति की कामना के लिए किया जाता है। माता सीता ने अपने जीवन में पति के प्रति समर्पण, त्याग और सत्यनिष्ठा का परिचय दिया, जिससे उन्हें आदर्श पत्नी माना जाता है। उनकी पूजा से वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है।