Story Of A Muslim Nawab Born As Hindu : औरंगजेब का खास प्रिय जो हिंदू ब्राह्मण परिवार में पैदा हुआ, कौन था बंगाल का वह सबसे ताकतवर मुस्लिम नवाब
बंगाल में मुर्शीद कुली खान को सबसे ताकतवर मुस्लिम शासक माना जाता है। वह एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में जन्म जरूर लिया था, लेकिन उसको पश्चिम बंगाल में आज भी अगर किसी मुस्लिम शासक को सबसे ताकतवर माना गया है तो वह है मुर्शिद कुली खान था, जिनके नाम पर बंगाल के एक शहर का नाम मुर्शिदाबाद पड़ा। यह शहर अब बांग्लादेश में है। वह बंगाल का पहला नवाब था। सबसे रुतबे वाले ताकतवर नवाब। क्या आप जानते हैं कि मोहम्मद हादी के नाम से भी जाने जाने वाले इस नवाब का जन्म हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
एक हिंदू कैसे बंगाल का ताकतवर मुस्लिम शासक और नवाब बन गया। यह किस्सा काफी दिलचस्प है। मुर्शीद कुली खान का जन्म साल 1660 में हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ। बचपन का नाम सूर्य नारायण मिश्रा था। इतिहासकार सर जादू नाथ सरकार के मुताबिक, मुर्शीद कुली खान मूल रूप से एक हिंदू था। उसका जन्म डेक्कन में हुआ।
इतिहासकार जादू नाथ सरकार की पुस्तक के मुताबिक, मुर्शिद कुली खान अपने जन्म के 10 साल तक हिंदू रीति रिवाज के साथ बड़ा हुआ। फिर घर के हालात ऐसे हुए की माता-पिता को उसे एक मुगल सरदार हाजी शफी को बेचना पड़ा। जिसकी कोई औलाद नहीं थी।
मासीर अल -उमारा किताब भी इस तथ्य का समर्थन करती है कि लगभग 10 साल की उम्र में उसे हाजी शफी नाम के एक फारसी को बेच दिया गया, जिसने उसका खतना किया। अब उसका नाम मोहम्मद हादी हो गया।
बुद्धि से तेज मुर्शिद ने विदर्भ के दीवान के अधीन काम किया इस दौरान तत्कालीन सम्राट औरंगजेब उसेस नसे प्रभावित हो गया। उन्हें दीवान बनाकर बंगाल भेजा गया। मुर्शिद को औरंगजेब से लेकर मुगल सम्राट बहादुर शाह प्रथम तक कई जिम्मेदारियां दी गई। वह आगे बढ़ते गया। राजस्व मामलों में उसकी खास विशेषज्ञता थी। उसने कई वित्तीय राणतियां लागू करने में खास भूमिका अदा की।
बाद में औरंगजेब के पोते अजीम -उस -शान से उसकी ठन गई। तब अजीम शान सुबे का सूबेदार था। अजीम- उस- शान ने कुली खान की हत्या की योजना बनाई। लेकिन वह इससे बच गया। उल्टे ज्ञान संग्रह की जिम्मेदारी पास होने के कारण वह और भी ताकतवर होने लगा। बंगाल के आर्थिक मामलों पर भी उसकी पकड़ और ज्यादा हो गई। कारण यह भी थी कि औरंगजेब उसको पसंद करता था, उसको अपने तरीके से कर संचय और दूसरे आर्थिक मामलों की पूरी आजादी थी।
वह अपना दीवानी कार्यालय ढाका से मुकसूदाबाद ले गया। यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों ने भी वहां अपने अडे स्थापित कर लिए थे। मुर्शीद कुली खान व्यापारियों और बैंकर्स का भी चहेता था। क्योंकि वह बंगाल से काफी ज्यादा राजस्व औरंगजेब को दे रहा था, लिहाजा वह उससे खुश था। औरंगजेब ने उसे मुर्शीद कुली की उपाधि दी और शहर का नाम बदलकर मुर्शिदाबाद कर दिया।
साल 1707 में जब औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुर्शीद कुली खान की ताकत घटने लगी। हालांकि कुछ समय बाद वह फिर और ताकतवर और असरदार होने लगा। मुर्शीद कुली खान ने मुगल जागीरदार प्रणाली को माल जसमानी प्रणाली से बदल दिया, जो फ्रांस के फर्मियर्स जनरल के समान थी। उसने ठेकेदारों या इज्जतदारों से सुरक्षा बांड लिया जो बाद में भू- राजस्व एकत्र करते थे।
इतिहास कारो के मुताबिक, उसके शासन काल में हिंदुओं की स्थिति भी अच्छी थी। क्योंकि वे और ज्यादा अमीर हो गए। मुर्शीद कुली खान ने हिंदुओं को कर विभाग में मुख्य रूप से नियुक्त किया, क्योंकि उसे लगता था कि वह इस क्षेत्र में विशेषज्ञ थे, वह धारा प्रवाह फारसी भी बोल सकते थे।
वैसे तो मुगल शासक फरुख्शियर ने साल 1717 में उसे बंगाल का सूबेदार बनाया लेकिन वह वास्तव में कई सालों से बंगाल के वास्तविक शासक के तौर पर काम कर रहा था। उसके पास मजबूत सेना थी। बंगाल में उसका शासन चलता था। ईस्ट इंडिया कंपनी उसके साथ थी। जल्द ही उसने खुद को मुगल शासन से अलग कर लिया। बंगाल पर अधिकार करके वह वहां का नवाब बन गया। कहा जाता है कि मुर्शिद ने बेखटके करीब 30 सालों तक बंगाल पर शासन किया। उसका निधन साल 1727 में हुआ।
कहा जाता है कि मुस्लिम बनने के बाद उसने इस धर्म का कठोरता से पालन किया। यह सही है कि हिंदुओं को उसने अपने शासनकाल में अहम पदों पर बिठाया लेकिन उसका यह नियम था कि जो भी किसान अथवा जमीदार लगन ना दे, उसको परिवार सहित मुस्लिम होना पड़ता था।