बेहद चमत्कारी है ये हनुमान मंदिर, बरगद के पेड़ पर मौली बांधने से पूरी होती है पुत्र की मनोकामना! रामायण से है कनेक्शन
बेहद चमत्कारी है ये हनुमान मंदिर – बरगद पर मौली बांधने से पूरी होती है पुत्र की मनोकामना!
क्या आप भी संतान सुख की कामना कर रहे हैं? तो आपको एक ऐसे पावन स्थल के बारे में जानना चाहिए, जहाँ भगवान हनुमान की कृपा से कई श्रद्धालुओं की वर्षों पुरानी मनोकामनाएं पूर्ण हुई हैं।
कहाँ है यह चमत्कारी स्थान?
यह हनुमान मंदिर उत्तर भारत के एक पवित्र क्षेत्र में स्थित है (स्थान का नाम आप जोड़ सकते हैं)। यहां एक प्राचीन बरगद का पेड़ है, जिसे इच्छा पूर्ति का पेड़ भी कहा जाता है।
मौली बांधने की परंपरा
श्रद्धालु यहाँ आकर लाल मौली (पवित्र धागा) इस पेड़ पर बांधते हैं और पुत्र प्राप्ति की कामना करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि जो सच्चे मन से यह मन्नत मांगता है, उसे भगवान हनुमान शीघ्र फल देते हैं।

रामायण से है कनेक्शन
कहा जाता है कि इस स्थान का संबंध सीधे रामायण काल से है। मान्यता है कि यहाँ कभी प्रभु श्रीराम और हनुमान जी का मिलन हुआ था, और यहीं से भक्तों को यह आशीर्वाद मिला – “जहाँ हनुमान, वहाँ संकट नहीं आता।”
भक्तों के अनुभव
हज़ारों दंपत्ति जिन्होंने यहाँ आकर प्रार्थना की, उन्होंने कुछ ही समय में संतान सुख प्राप्त किया। यह मंदिर सिर्फ आस्था नहीं, चमत्कारों की भी गवाही देता है।
निष्कर्ष
अगर आप भी अपनी गोद भरने की मनोकामना रखते हैं, तो एक बार इस पावन स्थान पर जाकर हनुमान जी से प्रार्थना करें।
बरगद पर बांधी गई मौली, विश्वास की डोरी बन जाती है — जो आपके जीवन में खुशियों की गांठ बांध देती है।
बहुत अच्छा! एक प्रसिद्ध चमत्कारी हनुमान मंदिर जिसे इस तरह की मान्यता मिली है, वह है:
बालाजी धाम – राजस्थान का सालासर हनुमान मंदिर
या
उत्तर प्रदेश का नैमिषारण्य हनुमान मंदिर
या
मध्य प्रदेश का चिंताहरण हनुमान मंदिर (रतलाम के पास)
इनमें से सबसे प्रसिद्ध और पुत्र प्राप्ति के लिए विशेष मान्यता प्राप्त स्थल है:
नैमिषारण्य हनुमान मंदिर (उत्तर प्रदेश)
स्थान: सीतापुर जिले में स्थित नैमिषारण्य एक अत्यंत प्राचीन और पवित्र तीर्थ स्थल है।
यहाँ स्थित हनुमान मंदिर में एक विशेष बरगद का पेड़ है, जहाँ श्रद्धालु लाल मौली बांधकर पुत्र की प्राप्ति की कामना करते हैं।
मान्यता:
“जो भी श्रद्धा से इस बरगद पर मौली बांधता है और प्रभु हनुमान का ध्यान करता है, उसे संतान सुख अवश्य प्राप्त होता है।”
पूजन विधि
- पहले हनुमान जी को सिंदूर, चमेली का तेल अर्पित करें।
- फिर बरगद के पेड़ की 7 परिक्रमा करें।
- हर परिक्रमा में मौली से एक गांठ बांधते जाएं और संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें।
- कामना पूरी होने पर वापस आकर मौली खोलें और प्रसाद चढ़ाएं।
अंतिम पंक्तियाँ:
नैमिषारण्य का यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह हज़ारों लोगों की अधूरी मनोकामनाओं का समाधान भी है।
हनुमान मंदिर और बरगद के पेड़ से जुड़ी इस कथा का रामायण से गहरा आध्यात्मिक और पौराणिक संबंध है। यहाँ रामायण से संबंधित तथ्य विस्तार से दिए जा रहे हैं, जो इस मंदिर की महिमा को और भी चमत्कारी बनाते हैं:
रामायण से है गहरा कनेक्शन – जानिए पौराणिक रहस्य
नैमिषारण्य – जहां श्रीराम ने यज्ञ किया
नैमिषारण्य को सप्तर्षियों की तपोभूमि माना जाता है। रामायण काल में, भगवान श्रीराम ने अश्वमेध यज्ञ इसी स्थल पर संपन्न किया था।
हनुमान जी की अमरता का वरदान
रामायण के उत्तरकांड के अनुसार, जब श्रीराम ने पृथ्वी से विदा लेनी चाही, तब हनुमान जी ने पृथ्वी पर रहने और प्रभु की कीर्ति फैलाने का वर माँगा।
कहा जाता है कि हनुमान जी आज भी नैमिषारण्य क्षेत्र में सूक्ष्म रूप से निवास करते हैं।
बरगद का पेड़ – वट वृक्ष का प्रतीक
रामायण में वट वृक्ष (बरगद) को स्थिरता, जीवन और वंशवृद्धि का प्रतीक माना गया है।
पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्ति जब इस बरगद पर मौली बांधते हैं, तो यह श्रीराम और हनुमान जी दोनों के आशीर्वाद का फल माना जाता है।
श्रद्धा और भक्ति से जाग्रत होता है चमत्कार
कथा अनुसार, माता सीता ने भी वनों में रहते समय वट वृक्ष के नीचे हनुमान जी का ध्यान कर बालक की रक्षा की कामना की थी।
इसी परंपरा के अनुसार, आज भी महिलाएं मौली बांधकर हनुमान जी से पुत्र की मनोकामना करती हैं।
निष्कर्ष:
यह सिर्फ एक मंदिर नहीं, रामायण काल की जीवित स्मृति है।
यहाँ हनुमान जी का आशीर्वाद वही फल देता है, जो कभी माता अंजनी को मिला था – एक तेजस्वी पुत्र का वरदान।
मौली बांधने से पूरी होती है पुत्र की मनोकामना – जानिए रहस्य!
भारत की धरती चमत्कारों और आस्था की कहानियों से भरी पड़ी है। ऐसी ही एक मान्यता जुड़ी है बरगद के पेड़ पर मौली बांधने की परंपरा से – जहाँ सच्चे मन से की गई प्रार्थना पुत्र रूपी वरदान में बदल जाती है।
बरगद – जीवन और वंशवृद्धि का प्रतीक
बरगद का पेड़ हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। इसे वंशवृद्धि और दीर्घायु का प्रतीक कहा गया है।
वट सावित्री व्रत से लेकर रामायण काल तक, वट वृक्ष से जुड़ी कथाएं हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं।
मौली बांधने की परंपरा और उसका महत्व
मंदिर परिसर में स्थित बरगद के पेड़ पर लाल मौली बांधते समय भक्त विशेष कामनाएं करते हैं – विशेष रूप से पुत्र प्राप्ति के लिए।
हर परिक्रमा में एक गांठ बांधते हैं।
मन में हनुमान जी या इष्टदेव से संतान की प्रार्थना करते हैं।
मान्यता है कि मौली बांधने के कुछ ही समय बाद इच्छाएं पूरी होती हैं।
कई भक्तों के अनुभव
देशभर से आए दंपत्ति बताते हैं कि जब उन्होंने इस पेड़ पर मौली बांधी, और सच्चे मन से पूजा की, तो कुछ महीनों में ही उनके जीवन में संतान का सुख आया।
धार्मिक मान्यता क्या कहती है?
पौराणिक मान्यता के अनुसार –
“जहां आस्था हो, वहाँ चमत्कार अवश्य होता है।”
और जब यह आस्था हनुमान जी जैसे अमर भक्त और बरगद जैसे जीवनदायी वृक्ष से जुड़ जाए, तो वह सिर्फ पूजा नहीं, एक जीवित आशीर्वाद बन जाती है।
निष्कर्ष:
अगर आप भी संतान सुख की कामना रखते हैं, तो किसी ऐसे चमत्कारी मंदिर या पीपल/बरगद के पेड़ पर मौली बांधकर प्रार्थना करें।
यह सिर्फ एक परंपरा नहीं, ईश्वर से जुड़ने का सुंदर माध्यम है।