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Ganga Dussehra 2025: इस तारीख को मनाया जाएगा गंगा दशहरा, ये गलतियां कीं तो ना पितृ माफ करेंगे ना गंगा मां, भारी संकट से घिर जाएगा जीवन

गंगा दशहरा 2025 एक पवित्र और अत्यंत शुभ पर्व है, जो मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक और कर्मों की शुद्धि का अवसर भी माना जाता है।


📅 गंगा दशहरा 2025 की तिथि:

तारीख: 3 जून 2025 (मंगलवार)
दशमी तिथि प्रारंभ: 2 जून 2025 को रात 10:36 बजे
समाप्त: 3/06/2025 को रात 8:52 बजे


🙏 क्या है गंगा दशहरा का महत्व?

गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान, दान-पुण्य, जप-तप और पितृ तर्पण करने से दस प्रकार के पाप नष्ट होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से जीवन के संकट और पितृ दोष दूर होते हैं।


❌ इन गलतियों से बचें वरना पड़ेगा भारी:

  1. गंगा जल को अपवित्र करना: गंगा जल को गंदे स्थान पर न रखें, और अनादर न करें।
  2. पितरों का तर्पण न करना: इस दिन पितृ तर्पण अवश्य करें, नहीं तो पूर्वज अप्रसन्न हो सकते हैं।
  3. दान में अनादर या दिखावा: श्रद्धा से किया गया दान ही फलदायी होता है, दिखावे के लिए नहीं।
  4. मांस-मदिरा का सेवन: इस दिन इन चीज़ों से पूर्ण परहेज़ करें।
  5. स्नान न करना या गंगाजल छिड़काव न करना: शुद्धता का पालन आवश्यक है।

✅ क्या करें इस दिन:

  • गंगा स्नान या गंगाजल से स्नान
  • मां गंगा की पूजा व आरती
  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय गंगाधराय नमः” का जाप
  • जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न, पंखा आदि का दान
  • तुलसी और गंगाजल घर में रखें

सार: गंगा दशहरा एक अत्यंत पुण्यदायी अवसर है। इस दिन सही आचरण और नियमों का पालन करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

यह रही गंगा दशहरा 2025 की पूजा विधि, जिसे विधिपूर्वक करने से मां गंगा प्रसन्न होती हैं और सभी पापों का क्षय होता है:


🌼 गंगा दशहरा की पूजा विधि:

🕖 1. शुभ मुहूर्त में स्नान करें:

  • सूर्योदय से पहले या प्रातः काल गंगा नदी में स्नान करें।
  • यदि गंगा नदी पर जाना संभव न हो, तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

🪔 2. गंगा मां का पूजन करें:

  • गंगाजल से कलश भरें और उस पर आम के पत्ते रखें।
  • मां गंगा की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।
  • उन्हें सफेद फूल, चंदन, अक्षत, धूप-दीप अर्पित करें।

📿 3. मंत्र जाप करें:

“ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिंधु कावेरी जलस्मिन्सन्निधिं कुरु॥”

  • या
    “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय गंगाधराय नमः”
    का 108 बार जाप करें।

🍚 4. व्रत व कथा:

  • इस दिन व्रत रखें (यदि स्वास्थ्य अनुकूल हो)।
  • गंगा अवतरण की कथा सुनें या पढ़ें।

🪣 5. पितृ तर्पण करें:

  • पूर्वजों के लिए जल में तिल और कुश डालकर तर्पण करें।

🎁 6. दान करें:

  • शीतल वस्तुएं जैसे – पंखा, जलपात्र, चावल, गुड़, घी, सफेद वस्त्र, शक्कर का दान करें।

🔥 7. दीपदान:

  • गंगा नदी में या घर के मंदिर में दीपदान करें। 10 दीपक जलाना विशेष पुण्यकारी माना जाता है।

⚠️ विशेष ध्यान दें:

  • सफेद वस्त्र धारण करें।
  • मांस, मदिरा, क्रोध और अपवित्रता से पूर्ण रूप से बचें।
  • गंगाजल का अनादर न करें।

सार: श्रद्धा और नियम से की गई गंगा दशहरा पूजा से दस प्रकार के पाप नष्ट होते हैं और मां गंगा की कृपा से जीवन में शुद्धता व समृद्धि आती है।

यह है गंगा दशहरा की पावन कथा, जो मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण से जुड़ी है और इस दिन को विशेष पुण्यदायक बनाती है:


🌊 गंगा दशहरा की पौराणिक कथा:

बहुत प्राचीन समय की बात है। सूर्यवंशी राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ किया था। जब यज्ञ का घोड़ा चोरी हो गया, तब राजा ने अपने 60,000 पुत्रों को उसे खोजने के लिए भेजा। वे घोड़ा खोजते हुए पाताललोक तक पहुँच गए, जहाँ उन्हें भगवान विष्णु के अवतार कपिल मुनि ध्यानमग्न अवस्था में दिखाई दिए।

राजा सगर के पुत्रों ने कपिल मुनि पर घोड़ा चुराने का आरोप लगाया। मुनि की समाधि भंग होने पर उनकी क्रोधाग्नि से सभी पुत्र वहीं भस्म हो गए। उनकी आत्माएं पितृलोक में भटकने लगीं और मोक्ष की प्रतीक्षा करने लगीं।

राजा सगर के वंशजों ने पितरों की मुक्ति के लिए तप किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। अंततः राजा भगीरथ ने कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने गंगा को पृथ्वी पर अवतरित होने की अनुमति दी, लेकिन उसकी प्रचंड धारा से पृथ्वी के विनाश की आशंका थी। तब राजा भगीरथ ने भगवान शिव की आराधना की।

भगवान शिव ने गंगा की धारा को अपनी जटाओं में समेटकर धीरे-धीरे पृथ्वी पर छोड़ा। गंगा के स्पर्श मात्र से सगर पुत्रों की आत्माओं को मुक्ति मिल गई। यही दिन गंगा दशहरा कहलाया — जब मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं।


🕉️ इस दिन का महत्व:

  • यह दिन दस पापों (काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, ईर्ष्या, द्वेष, अन्याय, हिंसा, अभिमान) के नाश के लिए जाना जाता है।
  • गंगा स्नान, तर्पण और दान करने से पितृ दोष और पापों का क्षय होता है।

🙏 गंगा दशहरा का संदेश:

भक्ति, तप और श्रद्धा से किए गए प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जाते। गंगा सिर्फ एक नदी नहीं, बल्कि मोक्षदायिनी देवी हैं।