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Sushma Shreshta Aka Singer Poornima Life Story : गायिका ने बताया अपने दिल का दर्द, कभी दोहरे अर्थ वाले गाने गाकर हुई थी मशहूर लेकिन फिर छीना नाम और सम्मान

बॉलीवुड की मशहूर गायिका जिनकी आवाज और दोहरे अर्थ वाले गानो ने 90 के दौर में काफी धमाल मचा दिया था। सिंगर ने सरकाई लो खटिया जाड़ा लगे, सैया के साथ मढ़ैया में और कबूतरी बोले कबूतर से जैसे दिव्अर्थी गाने गाए थे जिसके बाद यह बेहद सुपरहिट हो गई थी लेकिन ऐसे गानों के चलते उनकी बदनामी और आलोचना भी हुई।

वह अपने दौर की सिंगर अलका याग्निक, अनुराधा पौडवाल, साधना सरगम और कविता कृष्णमूर्ति जैसे ही काफी टैलेंटेड थी लेकिन उन्हें वह सम्मान और पहचान नहीं मिल पाई जिसकी वह हकदार थी। सिंगर की मां आशा भोसले की दोस्त थी। वह बचपन से ही आशा भोसले की गोद में बैठकर उन्हें गाते हुए सुनती थी लेकिन आज वह गुमनामी की जिंदगी जीने पर मजबूर हो गई है
सिंगर की आवाज सुरीली होने के साथ तीखापन भी है तो उनके गानों में मिठास भी देखने को मिलती है।

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Sushma Shreshta Aka Singer Poornima Life Story
गायिका ने बताया अपने दिल का दर्द, कभी दोहरे अर्थ वाले गाने गाकर हुई थी मशहूर लेकिन फिर छीना नाम और सम्मान

उन्होंने अलका याग्निक और अनुराधा पौडवाल जैसी बेहतरीन गायिकाओं के बीच अपनी एक खास पहचान बनाई जिनके गाने आज भी सुनने के बाद लोग काफी खुश हो जाते हैं।
आज भी लोगों के मोबाइल में उनके गाने प्ले लिस्ट में मिलते हैं।उन्होंने फिल्म ‘हीरो नंबर है’ का गाना ‘सोना कितना सोना है’ सहित ‘तुतु तू..तुतु तारा तोड़ो न दिल हमारा’ और ‘सरकाई लो खटिया जाड़ा लगे’ जैसे सुपरहिट गाने गाए थे.

सिंगर ने सिर्फ 9 साल की उम्र से ही फिल्मों में गाना शुरू कर दिया था।उन्होंने साल 1969 में फिल्म अंदाज़ का गाना है ना बोलो बोलो’ गाया था. उन्होंने 70 के दौर की कई हिंदी फिल्मों में सुषमा श्रेष्ठ के नाम से कई गाने गाए जो काफी हिट भी हुए। जिसमे फिल्म आ गले लग जा का फेमस गाना तेरा मुझे है पहले का नाता कोई भी शामिल है

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सुषमा श्रेष्ठ बड़े होकर पूर्णिमा नाम से मशहूर हुईं. सिंगर की आवाज 90 के दौर में युवाओं की धड़कन बन गई थी. उन्होंने ‘सरकाई लो खटिया जाड़ा लगे’, ‘जोरा जोरी चने के खेत में’, ‘ऊंची है बील्डिंग’, ‘सोना कितना सोना है’ जैसे कई हिट गाने गाए थे. वे गानों में करिश्मा कपूर की आवाज ही बन गईं. हालांकि उन्हें गायिकाओं अल्का याग्निक, अनुराधा पौडवाल, साधना सरगम और कविता कृष्णमूर्ति की तरह सम्मान नहीं मिला.

सिंगर पूर्णिमा जैसी बेहतरीन गायिका से आज की नई पीढ़ी अनजान है।वह गुमनामी की जिंदगी की रही हैं पूर्णिमा ने कभी किसी इंटरव्यू में अपना दर्द बयां किया था उन्होंने कहा कि यहां ऐसा होता है कि लोग स्वाभिमानी इंसान को पसंद करते हैं लेकिन उनके साथ काम करना पसंद नहीं करते।

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सुषमा श्रेष्ठ उर्फ पूर्णिमा मुंबई मिशन 1960 में एक नेपाली मूल परिवार में जन्मी थी। उनके मम्मी पापा का संगीत की दुनिया से ताल्लुक था।पिता भी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े थे। उनकी मां निर्मला श्रेष्ठ भी संगीत से जुड़ी थी और उनकी आशा भोसले से काफी अच्छी दोस्ती थी।

63 साल की पूर्णिमा ने एक इंटरव्यू में बताया कि जब उनका जन्म होने वाला था तो उनकी मां आशा भोसले से गाने सुनती थी। वह भगवान से प्रार्थना करती थी कि उनकी संतान की आवाज भी आशा भोसले की तरह ही सुरीली निकले . सिंगर ने ‘कुली नंबर 1’, ‘जुड़वां’ और ‘हीरो नंबर 1’ जैसी फिल्मों के सभी गाने गाए थे. वे आज भी स्टेज शोज करती हैं