Surya Dev : जब सूर्य देव हुए थे भगवान शिव के क्रोध का शिकार, छा गया था सृष्टि में अंधकार; पढ़ें रोचक कथा
Surya Dev aur Bhagwan Shiv: हिन्दू धर्म में सप्ताह के 7 दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होते हैं. समर्पित देवी-देवताओं की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. इसी तरह रविवार का दिन भगवान सूर्यदेव को समर्पित होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्यदेव की पूजा करने से सुख-समृद्धि, यश की प्राप्ति होती है. इसी के साथ कुंडली में सूर्य ग्रह भी मजबूत होता है.
…जब भगवान शिव के क्रोध का शिकार हुए सूर्यदेव
सूर्यदेव की कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. एक कहानी है कि जब सूर्यदेव को देवों के देव महादेव के क्रोध का शिकार होना पड़ा था और पूरी सृष्टि में अंधेरा छा गया था. आइए जानते हैं पूरी घटनी की रोचक कहानी.
पौराणिक कथा
ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार माली और सुमाली नाम के दो असुर थे. इन दोनों असुरों को सूर्यदेव का निरादर करने से गंभीर शारीरिक पीड़ा थीं और इससे वो दोनों मुक्त नहीं हो पा रहे थे. ज्यादा कष्ट होने के बाद दोनों असुरों ने भगवान शिव के पास जाने का फैसला किया. दोनों असुर भगवान शिव के पास पहुंचे और अपनी व्यथा सुनाई. दोनों की व्यथा सुनकर भगवान शिव को क्रोध आ गया और क्रोधित हो कर उन्होंने सूर्यदेव पर त्रिशूल से प्रहार कर दिया.
कश्यप ऋषि ने भगवान शिव को दिया श्राप
भगवान शिव के प्रहार से सूर्यदेव अपने रथ नीचे गिर गए जिससे पूरी सृष्टि में अंधेरा छा गया. जब सूर्यदेव के पिता कश्यप ऋषि को इसके बारे में पता चला तो वह क्रोधित हो गए. उन्होंने भगवान शिव को पुत्र की दशा पर दुखी होने का श्राप दे दिया. इस श्राप के बाद ही भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश का सिर काटा था.
भोलेनाथ ने दिया जीवनदान
जब भोलेनाथ ने देखा कि सृष्टि में अंधेरा छा गया और उनका क्रोध शांत हो गया. इसके बाद भगवान शिव ने सूर्यदेव को जीवनदान दिया. इसके बाद कश्यप ऋषि को श्राप के बारे में पता चला तो उन्होंने सभी का त्याग करने का निर्णय लिया. फिर सूर्यदेव वापस अपने रथ पर सवार हो कर पूरी सृष्टि को प्रकाशमय करने लगे.
सूर्यदेव की पूजा करने का महत्व
ब्रह्मा जी ने माली और सुमाली असुरों को सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करने का महत्व बताया. इसके बाद दोनों असुरों ने सूर्यदेव की उपासना की जिससे सूर्यदेव प्रसन्न हुए और उनको शारीरिक पीड़ाओं से मुक्त कर दिया.